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ब्रांड मोदी और ब्रांड केजरीवाल को लेकर क्या कहते हैं तीनों चुनावों के Exit Poll?

तीन राज्यों के चुनाव के एग्जिट पोल के मुताबिक गुजरात में बीजेपी, हिमाचल में कांग्रेस और दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है. चुनाव में ब्रांड मोदी की चमक बरकरार है, लेकिन सिर्फ मोदी के नाम पर बीजेपी को जीत नहीं है. वहीं, ब्रांड केजरीवाल भी तेजी से मजबूत हुई है, जिसके नाम और काम पर AAP चुनाव लड़ती है.

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अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी
अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी

गुजरात, हिमाचल के विधानसभा और दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजों का इंतजार है, लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल ने कहीं खुशी तो कहीं गम जैसा हाल कर दिया है. तीन राज्यों के चुनावी एग्जिट पोल देखें तो ब्रांड मोदी की चमक अभी भी बरकरार है. लेकिन इसी बीच ब्रांड केजरीवाल को भी एक मजबूत पहचान मिली है.

एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी ने पीएम मोदी के सहारे हिमाचल में कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी, तो गुजरात में बीजेपी अपना दबदबा बनाए रखने में पूरी तरह सफल रही है. दिल्ली एमसीडी में बीजेपी के मजबूत किले को केजरीवाल ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है, तो वहीं गुजरात में केजरीवाल तीसरी ताकत बनकर उभरे हैं. ऐसे में ब्रांड मोदी बनाम ब्रांड केजरीवाल को लेकर चर्चा तेज है.

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ब्रांड मोदी के भरोसे बीजेपी 

गुजरात, हिमाचल और एमसीडी चुनाव को लेकर इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के नतीजों ने साबित कर दिया है कि ब्रांड मोदी की चमक अभी बरकरार है, लेकिन सिर्फ मोदी के करिश्मे के भरोसे जीतने की उम्मीद पालकर रखना सही नहीं है. पीएम मोदी के दम पर ही बीजेपी एक बार फिर से गुजरात में रिकॉर्ड सीटों के साथ सत्ता में वापसी कर रही है, लेकिन हिमाचल और दिल्ली एमसीडी उसके हाथों से निकलती नजर आ रही है. यह बीजेपी के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका है. 

हर चुनाव में मोदी के चेहरे पर जीतना मुश्किल!

हिमाचल और एमसीडी चुनाव के एग्जिट पोल के सियासी संदेश बता रहे हैं कि बीजेपी हर चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर नहीं जीत सकती है. राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को भी काम करना होगा. एक बात साफ है कि पीएम मोदी के नाम पर भीड़ तो जुटा सकते हैं, लेकिन वोट सरकार के काम पर ही मिलेगा. दिल्ली एमसीडी पर बीजेपी 15 साल से काबिज है, लेकिन अपने काम की उपलब्धि गिनाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था. ऐसे ही हिमाचल में बीजेपी जयराम सरकार के काम के बजाय मोदी के नाम और राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट मांग रही थी, 

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माना जाता है कि बीजेपी के पास दिल्ली में केजरीवाल के कद के बराबर का कोई चेहरा भी नहीं है, जिसके नाम को आगे कर चुनावी मैदान में उतरती. ऐसे ही गुजरात और हिमाचल में पार्टी के पास कोई मजबूत और कद्दावर नेता नहीं है. एमसीडी में बीजेपी को जो भी सीटें मिलती दिख रही है, वो पीएम मोदी के नाम पर है. हिमाचल में भी कांग्रेस को बीजेपी कड़ी टक्कर दे पाई है तो पीएम मोदी का आक्रमक प्रचार करने के चलते. 

एग्जिट पोल के नतीजों से समझा जा सकता है कि विधानसभा और निकाय चुनाव में पीएम मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट देने से न तो वो राज्य में मुख्यमंत्री बनेंगे और न ही नगर निगम में मेयर. स्थानीय नेता का ही नेतृत्व होगा, जिसके चलते लोकसभा और विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न एक दूसरे से अलग होतो हों. 

लोकसभा चुनाव में बदल जाता है समीकरण!

लोकसभा का चुनाव होते है तो दिल्ली से लेकर हिमाचल तक की जनता बीजेपी को छप्पर फाड़कर वोट देती है. दिल्ली में पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी सातों सीटें जीतने में सफल रही थी जबकि विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की सरकार बनी थी. पिछली बार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी जबकि एक साल बाद 2019 में चुनाव हुए बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. कांग्रेस राजस्थान में खाता भी नहीं खोल सकी थी और एमपी में एक सीट से संतोष करना पड़ा था. लोकसभा चुनाव में जनता जब वोट देती है तो उसे पता है कि नरेंद्र मोदी ही पीएम बनेंगे, कोई दूसरा नहीं. 2019 में ओडिशा के विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हुए थे, विधानसभा में बीजेडी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही थी, लेकिन लोकसभा की 8 सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी. 

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गुजरात, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा के चुनावी नतीजों का आकलन करें तो बीजेपी की सत्ता में वापसी ऐसे ही नहीं हुई. बीजेपी ने मोदी के नाम पर जरूर चुनाव लड़ा गया, लेकिन यूपी में योगी सरकार के पांच साल के काम भी थे. इस तरह उत्तराखंड में बीजेपी और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने काम किया था, जिसके दम पर सत्ता में वापसी हुई है. 2014 के बाद से बीजेपी जिन राज्यों में हारी है, वहां पर स्थानीय मजबूत नेतृत्व की कमी एक बड़ी वजह रही थी. ब्रांड मोदी के नाम पर बीजेपी को सियासी लाभ तभी मिलेगा जब स्थानीय सरकार भी कुछ काम की थी. 


ब्रांड केजरीवाल को मिली पहचान  

तीन राज्यों के चुनाव से ब्रांड केजरीवाल को एक मजबूत पहचान मिली है. देश में पीएम मोदी के बाद अरविंद केजरीवाल ही सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उभरे हैं. बीजेपी जिस तरह से पीएम मोदी के नाम और काम पर वोट मांगती है, उसी तरह आम आदमी पार्टी भी केजरीवाल के नाम, काम और चेहरे पर ही वोट मांगती है. आम आदमी पार्टी की सियासी ताकत केजरीवाल है. एग्जिट पोल के मुताबिक केजरीवाल विपरीत परिस्थियों के बावजूद दिल्ली एमसीडी में बीजेपी को मात देते नजर आ रहे हैं तो गुजरात में 20 फीसद के करीब वोट हासिल कर तीसरी ताकत के तौर पर उभरते दिख रहे हैं. यही अगर नतीजे में तब्दील होते हैं कतो ब्रांड केजरीवाल और भी मजबूती मिलेगी. 

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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर चुनाव लड़ी थी और पूरा प्रचार भी उन्हीं के नाम पर केंद्रित था. 'दिल्ली में केजरीवाल के पार्षद', 'एमसीडी में केजरीवाल लाओ दिल्ली से कचरे के पहाड़ हटाओ' और 'अब एमसीडी में भी केजरीवाल'. इस तरह गुजरात में आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल के नाम पर फोकस कर चुनाव लड़ा था और उनके नाम पर ही वोट मांगे हैं. 'गुजरात का भाई केजरीवाल, का नारा दिया था. सीएम केजरीवाल ने भी कहा था, मैं आपका भाई हूं, आपके परिवार का हिस्सा हूं और एक बार हमें मौका दें. गुजरात में केजरीवाल के नाम पर वोट पड़े थे और 20 फीसदी वोटों के साथ 9 से 21 सीटें मिलने का अनुमान है. 

दिल्ली के बाद पंजाब में भी केजरीवाल का जलवा

पंजाब में भगवंत मान भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा थे, लेकिन पूरा चुनाव अरविंद केजरीवाल के नाम पर लड़ा गया था. पंजाब में केजरीवाल ने पूरी ताकत झोंक दी थी और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था. यही वजह रही थी कि जीत का श्रेय भी भगवंत मान ने भी केजरीवाल को दिया गया था. गुजरात चुनाव के दौरान राघव चड्ढा ने आजतक पंचायत के मंच पर कहा था कि अरविंद केजरीवाल हमारी पार्टी के संयोजक है. हम उनके नाम पर चुनाव लड़ते हैं और हमें उनके ही नाम पर वोट पड़ता है. हम उनका नाम इस्तेमाल करके गारंटी देंगे और हम उनके नाम पर ही वोट लेंगे. केजरीवाल एक मिशन को लेकर चल रहे हैं और वो आम आदमी पार्टी के जीत के गारंटी है.

केजरीवाल का नाम और 'आप' का काम

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आम आदमी पार्टी केजरीवाल के नाम और काम पर ही चुनाव लड़ रही है और धीरे-धीरे एक के बाद एक राज्य में अपना पैर पसारती जा रही है, क्योंकि ब्रांड केजरीवाल अभी नया है और लोगों से लोकलुभाने वादे कर रहे हैं. फ्री बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा देने का वादा कर रहे हैं, जिसे आम आदमी पार्टी का दिल्ली माडल कहा जाता है. इसी दम पर आम आदमी पार्टी राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राजों में चुनाव लड़नी की तैयारी में है, जो कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के लिए भी चुनौती खड़ी करेगी. 


 

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