गुजरात के आगामी सियासी समर को देखते हुए आज हम आपको बताने जा रहे हैं दाहोद विधानसभा सीट के बारे में. यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. इस सीट पर बीजेपी या कांग्रेस ही नहीं बल्कि भारतीय ट्रायबल पार्टी (BTP) भी निर्णायक भूमिका निभाती है. चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों ने आदिवासी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है. इस क्षेत्र में 2 लाख 44 हजार 614 मतदाता हैं. इसमें ST सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत और SC 2.68 प्रतिशत है.
क्षेत्र का सियासी समीकरण
यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. साल 1968 में हुए चुनावों के बाद से अब तक केवल तीन बार यहां बीजेपी को जीत मिली है. आदिवासी इलाका होने की वजह से भारतीय ट्रायबल पार्टी भी काफी जोर लगा रही है और वह निर्णायक भूमिका में नजर आ रही है.
क्षेत्र के लोगों की समस्याएं
यह क्षेत्र कुदरती सौंदर्य से भरपूर है. कई इलाके जंगल में पड़ते हैं. इस क्षेत्र में प्राथमिक सुविधाओं की कमी है. किसानों को सिंचाई का पानी मिलने में दिक्कत होती है. इसके अलावा रोजगार की समस्या काफी बड़ी है. लोगों को रोजी-रोटी कमाने के लिए अपने गांव छोड़ने पड़ रहे हैं. इस इलाके में शिक्षण क्षेत्र में भी कुछ ज्यादा काम नहीं हुआ है. इलाके के लोग मेडिकल कॉलेज की भी मांग कर रहे हैं.
आदिवासियों को मनाने में जुटी बीजेपी
यह सीट पाने के लिए बीजेपी ने कड़ी मेहनत शुरू कर दी है. कुछ दिन पहले ही इस क्षेत्र में 22 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन वेदप्रधान के हाथों हुआ है. दूसरी ओर कांग्रेस अपनी सीट बचने के लिए काफी मशक्कत कर रही है. आम आदमी पार्टी और बीटीपी भी चुनावी रण जीतने के लिए आदिवासियों को अपनी ओर खींचने के प्रयास कर रही है.
पिछले चुनाव का परिणाम
कांग्रेस: वजेसिंह पांडा को 79 हजार 850 वोट मिले
बीजेपी: किशोरी कानायालाल को 64 हजार 347 वोट मिले