गुजरात में वैसे तो बीजेपी की लंबे समय से राज है लेकिन यहां कई ऐसी भी सीटें जहां बीजेपी को जीत का स्वाद नहीं पता चला है. ऐसी ही एक विधानसभा सीट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. ये सीट है खेड़ा जिले की महुधा. यहां की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 2.97 और 0.74 है.
इस सीट पर साल 1975 से कांग्रेस के प्रत्याशी जीतते आए हैं. यह कांग्रेस का ऐसा किला है जिसे कोई पार्टी भेद नहीं पाई है. इस सीट पर ठाकोर, क्षत्रिय और पाटीदार समुदायों का दबदबा है. जिनका वोट इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाता है. बीजेपी, कांग्रेस ओबीसी और सामान्य दोनों वर्गों के वोटों को पाने की पूरी कोशिश कर रही है.
इस सीट से भरत सिंह परमार ने साल 2017 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. चुनाव से कुछ समय पहले ही वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके साथ कई कांग्रेस कार्यकर्ता भी दलबदल कर गए थे.
पिछले चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो यहां से कांग्रेस के इंद्रजीत सिंह परमार ने बीजेपी के भरत सिंह परमार को हराया था. कांग्रेस के इंद्रजीत को करीब 78 हजार वोट मिले थे.
कभी नहीं जीती बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी भले ही गुजरात की सत्ता पर काबिज हो लेकिन महुधा सीट से उसे कभी कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस के नटवर सिंह ठाकोर ने साल 2012 में 58 हजार 373 वोट पाकर बीजेपी के रतनसिंह को हराया था. जबकि 2007 में नटवर सिंह ने बीजेपी के नटवरलाल भट्ट को शिकस्त दी थी. इससे पहले नटवर सिंह ठाकोर ने 2002, 1998, 1995 और 1990 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था.