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Gujarat Vidhansabha Chunav: जलालपुर विधानसभा सीट, क्या कायम रहेगा बीजेपी का जलवा या होगा बदलाव! 

Gujarat Vidhansabha Chunav: जलालपुर विधानसभा सीट से साल 2017 में बीजेपी के रमेशभाई छोटूभाई पटेल ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के परिमलभाई नानूभाई पटेल को 86 हजार 411 मतों से हराया था. पिछले चार चुनावों की बात करें तो यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर सौराष्ट्र पटेल, कोली पटेल, ब्राह्मण अनाविल, मराठी, मछुआरे, मुस्लिम, जैन, क्षत्रिय, अहीर और अनुसूचित जनजाति के मतदाता प्रमुख हैं.

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गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर
गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर

गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी मैदान तैयार हो चुका है. राजनीतिक दल अपने मुद्दों के साथ एक दूसरे पर हमला करने के साथ ही जनता को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं. इसी बीच आइए जानते हैं नवसारी जिले की जलालपुर विधानसभा सीट के बारे में. इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से तटीय गांव शामिल हैं. 

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बात अगर मतदाता समीकरण की करें तो इस सीट पर सौराष्ट्र पटेल, कोली पटेल, ब्राह्मण अनाविल, मराठी, मछुआरे, मुस्लिम, जैन, क्षत्रिय, अहीर और अनुसूचित जनजाति के मतदाता प्रमुख हैं. निर्वाचन क्षेत्र में कुल 1 लाख 36 हजार 117 मतदाता हैं. इसमें 1 लाख 2 हजार 155 पुरुष, 1 लाख 15 हजार 950 महिला और 12 अन्य मतदाता हैं. 

साल 2017 में जलालपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के रमेशभाई छोटूभाई पटेल ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के परिमलभाई नानूभाई पटेल को 86 हजार 411 मतों से हराया था. पिछले चार चुनावों की बात करें तो यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

आगामी चुनाव को देखते हुए इस सीट पर विपक्ष बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला कर रहा है. आरोप है कि ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक बहुमत वाली बीजेपी के सत्ता में होने के बावजूद क्षेत्र में रोजगार का कोई खास इंतजाम नहीं है. 

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ये सामान्य सीट है और इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. जिस पर रमेशभाई छोटूभाई पटेल की तूती बोलती है. पिछले चार चुनावों में यहां से रमेशभाई पटेल ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं. रमेश पटेल 1998 में पहली बार यहां से चुनाव मैदान में उतरे और इस सीट पर दशकों से जारी कांग्रेसी तिलिस्म को तोड़ते हुए जीत हासिल की. 

हालांकि, उनकी जीत का अंतर महज 1700 वोटों का रहा लेकिन इसके बाद पटेल ने सीट पर अपना जनाधार मजबूत किया और अगले चुनावों में वे इस अंतर को बढ़ाते रहे. पिछले चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेसी उम्मीदवार को करीब 17000 वोटों से पराजित किया. 

 

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