गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाले सभी राजनीतिक पार्टी अपने-अपने तरीके से चुनावी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. इसी चुनावी दौर में हम बात करते है गीर सोमनाथ की कोडिनार विधानसभा सीट के बारे में. गीर सोमनाथ की यह विधानसभा सीट जिला की 4 विधानसभा सीट में से सबसे खास माना जाता है. कोडिनार विधानसभा सीट पर गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की नजर रहती है. कोडिनार के दीनू बोघा सोलंकी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात के चुनाव में 1995 से लेकर अभी तक के सभी चुनावों में अहम भूमिका रही है. फिलहाल अभी यहां से कांग्रेस के विधायक मोहन मालव वाला हैं
विधायक पर लगे हत्या के आरोप
साल 1998, साल 2002 और साल 2007 में तीन बार लगातार चुनाव जीतने वाले बीजेपी के दीनू बोघा सोलंकी पर RTI एक्टिविस्ट अमित जेठवा की हत्या करने का आरोप लगा. अमित जेठवा को 20 जुलाई 2010 को हाई कोर्ट के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हाईकोर्ट में केस चलने के बाद दीनू बोघा सोलंकी को विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा. जिसके बाद चुनाव में कांग्रेस के बि.डि करसन को कोडिनार विधानसभा सीट पर जीत मिली. साल 2012 में फिर से एक बार बीजेपी से जेठा भाई दाना भाई सोलंकी विधायक बने. बीजेपी का गढ़ बन चुकी कोडिनार विधानसभा सीट पर 2019 में कांग्रेस के मोहनलाल माला भाई विधायक बने. यहां विधायक कोई भी हो आज भी दीनू बोधा सोलंकी का वर्चस्व है.
अमित शाह को पनाह दी थी दीनू बोधा सोलंकी ने
साल 2010 में सीबीआई अमित शाह को शोहराउद्दीन शेख़ के एनकाउंटर मामले में ढूंढ रही थी. तब कोडिनार के दाऊद माने जाते दीनू बोधा सोलंकी के बंगले में पनाह मिली थी. तभी से दीनू बोधा सोलंकी को अमित शाह के सबसे करीबी में गिने जाने लगा. फिर दीनू बोधा को राजकीय ताकत मिली. बाद में जैसे-जैसे बीजेपी की जीत और ताकत बढ़ती गई वैसे वैसे दीनू बोधा भी ताकतवर होते गए.
कोडिनार के राजकीय रंग
कोडिनार में चुनाव की शुरुआत 1975 हुई थी. तब से अब तक चार बार कांग्रेस की और पांच बार बीजेपी की सत्ता रही है. फिलहाल 2017 से इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक मोहन माला भाई वाला हैं. अब देखना है कि आने वाले चुनाव में बीजेपी कितनी चुनावी जमीन तैयार कर पाते है, या फिर से कोडिनार विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा बना रहेगा.