आज हम बात कर रहे हैं वडोदरा की डभोई विधानसभा सीट की. हम आपको बताएंगे कि यहां चुनावी समीकरण क्या हैं? इस बार चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी की एंट्री ने बीजेपी के लिए मुसीबत बढ़ा दी है.
वडोदरा की डभोई विधानसभा क्षेत्र पर साल 2017 में बीजेपी के विधायक शैलेश मेहता ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 2 हजार 839 वोटों से कांग्रेस के कद्दावर नेता सिद्धार्थ पटेल को हराया था. 2017 में इस सीट पर कुल 48.46 प्रतिशत ही वोटिंग हुई थी.
इस बार किस पर दांव लगाएगी बीजेपी
डभोई विधानसभा सीट पर किसी भी पार्टी का वर्चस्व नहीं माना जाता है. यहां पिछले दो चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. वर्ष 2012 और 2017 की चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
वहीं, 2007 में इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के बेटे सिद्धार्थ चिमनभाई पटेल ने जीत हासिल की थी. दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी ने डभोई विधानसभा सीट पर अपने किसी भी विधायक को दोबारा टिकट नहीं दी है.
ऐसे में इस बार लोगों के बीच भी यह चर्चा है कि बीजेपी अगर शैलेश मेहता को टिकट नहीं देती है, तो किसे देगी टिकट?शैलेश मेहता अपने बयानों को लेकर भी काफी विवादों में रहे हैं. इसमें उनका लधुमती कौम को लेकर बयान से काफी विवाद खड़ा हुआ था.
पाटीदार और मुस्लिम समाज के वोटर ज्यादा
डभोई विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 2 लाख 28 हजार 45 है. इसमें 1 लाख 16 हजार 685 पुरुष वोटर हैं और 1 लाख 11 हजार 355 महिला वोटर हैं. डभोई में सबसे ज्यादा वोटर पाटीदार समाज और मुस्लिम समाज के हैं.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनने से डभोई में हुआ विकास
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of unity) बनने के बाद डभोई विधानसभा सीट का महत्व बढ़ गया है. स्टैचू ऑफ यूनिटी देखने जाने के लिए केवड़िया की प्रमुख सड़क से होकर जाना पड़ता है. वो सड़क डभोई से ही होकर गुजरती है. स्टैचू ऑफ यूनिटी पर टूरिस्ट आने की वजह से डभोई का अच्छा डेवलपमेंट हुआ है.