गुजरात चुनाव में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कहने को कम हुआ है, लेकिन राजनीति में इसकी अहमियत आज भी कायम है. समय के साथ कांग्रेस ने कम मुस्लिमों को टिकट देना जरूर शुरू किया है, लेकिन 10 प्रतिशत के करीब इस समुदाय को लुभाने का एक भी अवसर छोड़ा नहीं जाता है. बड़ी बात ये है कि बीजेपी भी मुस्लिमों के एक वर्ग को अपने पाले में करना चाहती है. गुजरात में ओवैसी के 13 उम्मीदवार हैं, क्या वह वोट काटेंगे इस बार?