हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में वापसी की जद्दोजहद कर रही है. लेकिन, बीजेपी ने हरियाणा के चुनावी कुरक्षेत्र में इस बार कांग्रेसी दिग्गजों के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारकर उनके घर में उन्हें घेरने का चक्रव्यूह रचा है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला जैसे कांग्रेसी दिग्गजों को अपनी-अपनी सीटें बचाए रखने में पसीने छूट रहे हैं.
हुड्डा के खिलाफ घेरेबंदी
रोहतक जिले की गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट पर कांग्रेस का चेहरा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के यहां से विधायक होने के चलते यह काफी हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है. हरियाण के दो बार सीएम रह चुके भूपेंद्र हुड्डा एक बार फिर इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. हुड्डा को उन्हीं के दुर्ग में घेरने के लिए बीजेपी ने इनेलो छोड़कर पार्टी में आए सतीश नांदल पर दांव खेला है. वहीं, इनेलो ने ब्राह्मण चेहरे कृष्ण कौशिक को उतारा है तो जेजेपी ने डॉ. संदीप हुड्डा और आम आदमी पार्टी ने मनीपाल अत्री को उतारकर जबरदस्त घेरेबंदी की है.
बीजेपी प्रत्याशी सतीष नांदल इस सीट पर हुड्डा के खिलाफ 2009 से लगातार चुनावी मैदान में उतर रहे है, लेकिन अभी तक मात नहीं दे सके हैं. बीजेपी के रणनीतिकार इसे हुड्डा के खिलाफ चक्रव्यूह के तौर पर देख रहे हैं. सभी तरह के राजनीतिक गुणा-भाग के बाद ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह बयान दिया था कि किलोई सीट का परिणाम दुनिया देखेगी.
हुड्डा के साथ सतीश नांदल भी जाट समुदाय से आते है. जाट वोटों के एक तय प्रतिशत के अलावा, ब्राह्मण, वैश्य, एससी और पिछड़े वोटों को बीजेपी अपने पाले में मानकर चल रही है. पिछले दिनों नगर निगम के चुनाव में सतीश नांदल ने अपने बेटे संचित नांदल को चुनाव में उतारा था, जिन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था. भले ही वे जीत से दूर रहे. नांदल यह मानकर चल रहे हैं कि गैर जाट वोट अगर उनके पाले में आ गया तो हुड्डा के लिए अपने दुर्ग को बचाए रखना आसान नहीं होगा.
वहीं, इनेलो ने ब्राह्मण चेहरे को उतारकर मजबूत दांव खेला है. जबकि जेजेपी ने जाट प्रत्याशी के जरिए घेरने की रणनीति बनाई है. हालांकि 19 साल से हुड्डा का यह इलाका मजबूत गढ़ माना जाता है. ऐसे में हुड्डा को उन्हीं के दुर्ग में मात देना आसान नहीं है, लेकिन विपक्षियों की जिस तरह से किलेबंदी है. ऐसे में हुड्डा के लिए आसानी से जीत भी नजर नहीं आ रही.
टिक-टॉक स्टार से कुलदीप विश्नोई परेशान
हरियाणा की आदमपुर सीट भजनलाल परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. आदमपुर सीट पर 1967 के पहले चुनाव में हरिसिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद से इस सीट पर भजनलाल परिवार का दबदबा आज तक कायम है. इस बार के विधानसभा चुनाव में अपना पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए भजनलाल के पुत्र कुलदीप विश्नोई कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं. उन्हें न केवल जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ रही है, बल्कि वे अपने परिवार सहित आदमपुर में पिछले तीन माह से डेरा जमाए हुए हैं.
कुलदीप विश्नोई के खिलाफ बीजेपी ने सेलिब्रेटी सोनाली फोगाट को उतारकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है. जबकि विश्नोई के खिलाफ इनेलो से राजेश गोदारा, जेजेपी से रमेश कुमार और बसपा से सतबीर छिंपा चुनाव मैदान में उतरे हैं. सोनाली फोगाट सेलिब्रेटी हैं और टिक-टॉक पर काफी मशहूर हैं. उनका नाम बरवाला हलके से चल रहा था, लेकिन बीजपी ने उन्हें आदमपुर की टिकट देकर सबको चौंका दिया. हालांकि सोनाली का बाहरी होना एक बड़ी परेशानी बना हुआ है.
कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई साल 2014 के विधानसभा चुनाव में हांसी से विधायक बनीं थीं. इस बार कुलदीप को 52 साल से उनका पारिवारिक गढ़ रही आदमपुर सीट को बचाने की चिंता है और न केवल वे स्वयं, बल्कि उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई और पुत्र भव्य बिश्नोई भी उनके साथ क्षेत्र में ही डट गए हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर बीजेपी से कम वोट मिले थे. ऐसे में विश्नोई की चिंता बढ़ी हुई है और वह अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.
चक्रव्यूह में सुरजेवाला
हरियाणा में कांग्रेस की दूसरी हाई प्रोफाइल सीटो में कैथल सीट का नाम आता है. कांग्रेस का यह मजबूत गढ़ माना जाता है. इस सीट पर लंबे समय से सुरजेवाला परिवार का कब्जा है. राहुल के राइट हैंड माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला हैट्रिक लगाने के मकसद से कैथल सीट से एक बार फिर मैदान में हैं. बीजेपी ने सुरजेवाला को उन्हीं के दुर्ग में घेरने के लिए साल 2000 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने लीला राम पर दांव लगाया है. जबकि जेजेपी ने खुराना गांव के मौजूदा सरपंच रामफल मलिक को मैदान में उतारा है जिससे कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगाड़ते नजर आ रहे हैं.
कैथल विधानसभा सीट पर अभी तक कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. हालांकि बदले हुए समीकरण में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में सुरजेवाला के खिलाफ दो तरफा चक्रव्यूह रचा गया है. ऐसे में देखना होगा कि वह हैट्रिक लगा पाते हैं या फिर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रहती है.
किरण चौधरी को विरासत बचाने की चिंता
हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट कांग्रेस की काफी महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के गढ़ कहे जाने वाले तोशाम सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है. बंसीलाल की विरासत को संभाल रही किरण चौधरी मौजूदा समय में विधायक हैं और एक बार फिर तोशाम सीट से चुनावी मैदान में उतरी हैं. किरण चौधरी को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए बीजेपी ने शशि रंजन परमार और इनेलो ने कमला देवी पर दांव लगाया है.
तोशाम सीट पर कांग्रेस का 2000 से कब्जा है और किरण चौधरी 2005 से इस सीट पर विधायक हैं, लेकिन बदले हुए राजनीतिक समीकरण में इस सीट को बचाए रखना कांग्रेस के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है. बता दें कि तोशाम लोकसभा सीट भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में आती है, 2019 के चुनाव में किरण चौधरी की बेटी उतरी थीं, लेकिन जीत नहीं सकीं. इसी के चलते किरण चौधरी को तोशाम सीट पर अपनी जीत के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
चिरंजीवी के सामने पिता की सीट वापस लाने की चिंता
रेवाड़ी विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीवी राव चुनावी मैदान में उतरे हैं, जो कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. बीजेपी ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक रणधीर सिंह का टिकट काटकर सुनील यादव पर दांव लगाया है. हालांकि राव इंद्रजीत अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे. वहीं, इनेलो से कमला तो जेजेपी से मलखान सिंह मैदान में उतरे हैं.
रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार जीत दर्ज करने वाले पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव 2014 में मोदी लहर में चुनाव हार गए थे. ऐसे में उन्होंन इस बार खुद के बजाय अपने बेटे को उतारा है. बीजेपी ने उन्हें घेरने के लिए यादव प्रत्याशी पर ही दांव लगाया है. ऐसे में अजय यादव को अपने बेटे को जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. वहीं, रेवाड़ी में राव इंद्रजीत ने भी डेरा जमा दिया है और बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए पसीना बहा रहे हैं.
मुस्लिम बनाम मुस्लिम की जंग
मेवात की नूंह विधानसभा सीट कई बार राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई की गवाह बनी है. खुर्शीद अहमद बनाम रहीम खान के परिवार के बीच यहां हमेशा जोर आजमाइश रही है, लेकिन तीसरे परिवार के तौर पर तैय्यब हुसैन की एंट्री हुई और मौजूदा समय में इसी परिवार का कब्जा है. 2014 में इनेलो से जाकिर हुसैन विधायक बने थे और इस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
वहीं कांग्रेस से हुड्डा के राइट हैंड माने जाने वाले चौधरी आफताब अहमद कांग्रेस से मैदान में है, जो खुर्शीद अहमद के बेटे हैं. इसी के चलते यह सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जा रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी आफताब अहमद के समर्थन में रैली की है. इसी से उनके कद का अंदाजा लगाया सकता है. हालांकि जेजेपी से तय्यब हुसैन तो इनेलो से नासिर हुसैन ने उतरकर कांग्रेस और बीजेपी की चिंता को बढ़ा दिया है. नूंह के बदले हुए राजनीतिक समीकरण में कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना आसान नजर नहीं आ रहा है.