हरियाणा के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा एक बड़ी भूमिका निभाता आया है. नेता चाहे जिस पार्टी का, जितने बड़े कद का हो, डेरे में पहुंचकर हाजिरी लगाता था. डेरे की ओर से फरमान जारी किया जाता था और उसी के अनुसार डेरे के लाखों अनुयायी मतदान करते थे. 2014 में हुए सूबे के पिछले चुनाव के बाद तो यह दावा भी किया गया कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार डेरे के दम पर ही बनी, लेकिन अबकी बार हालात अलग नजर आ रहे हैं. चुनाव के मौसम में न तो डेरे में चहल-पहल है और ना ही किसी मतदान के लिए कोई फरमान ही आया है.
हरियाणा और पंजाब में जब भी चुनाव होते थे, इस डेरे के इर्द-गिर्द तमाम बड़े नेताओं और वीआईपी शख्सियतों का आना-जाना बड़ी ही आम बात हो जाता था. चुनाव से पूर्व ऐसे वीडियो भी जारी किए जाते थे जिनमें बड़ी-बड़ी पार्टियों के बड़े-बड़े नेता डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के सामने नतमस्तक होते नजर आते थे. राम रहीम के जेल जाते ही सब कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है. डेरे के अंदर श्रद्धालु आते-जाते दिखाई देते हैं. नाम चर्चा भी होती है, लेकिन राजनीति के नाम से मानों अब डेरे ने तौबा कर ली है. राम रहीम और उनके खास चुनिंदा लोग अब जेल में हैं.
मौन है पॉलिटिकल विंग
डेरे की तरफ से हर चुनावी साल में यह दावा किया जाता था कि यहां इतने डेरे के अनुयायी मतदाता हैं और वह सत्ता का निर्धारण करने का दम रखते हैं. अब जबकि विधानसभा चुनाव का प्रचार थमने को है, चुनावों के समय काफी सक्रिय नजर आने वाले डेरे के पॉलिटिकल विंग के लोग मौन साधे हुए हैं. पॉलिटिकल विंग के लोग किसी भी दल के समर्थन से इनकार कर रहे हैं. इस बार किसी भी दल का कोई नेता डेरे पर नहीं गया. गौरतलब है कि पहले डेरा प्रमुख राम रहीम डेरे पर जाने वाले नेताओं से अपनी शर्तों का एफिडेबिट लेते थे.
खामोशी बिगाड़ेगी गणित
डेरे की खामोशी विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाएगी, यह तो 24 अक्टूबर की तारीख बताएगी लेकिन राजनीतिक दलों के नेता दबी जुबान यह मान रहे हैं कि डेरा किसी का भी गणित बना-बिगाड़ सकता है. नेताओं ने डेरे से तो दूरी बनाए रखी है, लेकिन डेरा प्रेमियों से लगाव प्रदर्शित करने से भी नहीं हिचकते.