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अगर मिल गया चौटाला परिवार तो मुट्ठी में होगी हरियाणा सरकार

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो से टूटकर जेजेपी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला करीब 10 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. जबकि इनेलो को पांच सीटें मिलती दिख रही हैं. ऐसे में अगर चौटाला परिवार एक बार फिर से एक हुआ तो इनके बिना किसी भी पार्टी की सरकार नहीं बन पाएगी.

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दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला
दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला

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  • हरियाणा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं
  • जेजेपी-इनेलो किंगमेकर की भूमिका में

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए है. नतीजों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. हालांकि बीजेपी 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. वहीं कांग्रेस 31 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है जबकि जेजेपी को 10 सीट पर जीत मिली है.

ऐसे में चौटाला परिवार किंगमेकर की भूमिका में उभरता हुआ नजर आ रहा है. हालांकि इनेलो को सिर्फ 1 सीट मिली है. लेकिन इसके बावजूद अगर चौटाला परिवार एक बार फिर से एक हुआ तो इनके बिना किसी भी पार्टी की सरकार नहीं बन पाएगी.

ये है हरियाणा के चुनावी नतीजे

बता दें कि हरियाणा की सियासत में ताऊ चौधरी देवीलाल की जबरदस्त तूती बोलती थी. 32 साल के बाद उनकी विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट गया है. इनेलो की कमान जहां ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है तो भतीजे दुष्यंत चौटाला अलग पार्टी बनाकर किंगमेकर की भूमिका में दिख रहे हैं.

चुनावी नतीजे के बाद इनेलो और जेजेपी यानी चौटाला परिवार एकजुट होता है तो फिर हरियाणा की सत्ता की चाबी चाचा-भतीजे के हाथ में होगी, क्योंकि इन दोनों के पास करीब 11 सीटें हो जाएगी. ऐसे में इनके बिना कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होंगी.

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हरियाणा की सियासत में चौधरी देवीलाल दो बार के सीएम रहे. हरियाणा के साथ-साथ पंजाब में विधायक रहे देवीलाल दो अलग-अलग सरकारों में देश के उपप्रधानमंत्री भी बने. देवीलाल की राजनीतिक विरासत बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने संभाली और चार बार हरियाणा के सीएम रहे. तीन दशक के बाद देवीलाल की विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट चुका है.

दुष्यंत चौटाला दादा और चाचा से बगावत कर हरियाणा में किस्मत आजमा रहे थे. उन्होंने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. दुष्यंत चौटाला अपने चुनाव प्रचार में दादा और चाचा का जिक्र करने के बजाय अपने परदादा ताऊ चौधरी देवीलाल के नाम पर वोट मांग रहे थे. हरियाणा का युवा जाट बड़ी तादाद में जेजेपी से जुड़ा.

वहीं, इनेलो की कमान संभाल रहे ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ने हरियाणा के रण में कुल 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. चौटाला के जीवन में यह चुनाव सबसे कठिन रहा है. इनेलो के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.

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