हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस पार्टी की लिस्ट जारी होते ही पार्टी में मची खींचातानी सड़कों पर आ गई. कांग्रेस की लिस्ट में परिवारवाद हावी रहा है, इसके साथ परिवार में भी बेटों का बोलबाला रहा. लगभग 6 सीटें ऐसी हैं जहां पर टिकट पिता को न मिलकर बेटे को दिया गया.
एक तरफ कांग्रेस पार्टी लगातार महिलाओं के लिए राजनीति में 33% आरक्षण की मांग कर रही है. वहीं, दूसरी ओर 90 सीटों में से सिर्फ 9 टिकट महिलाओं को दिए गए हैं. इस बार पूर्व मंत्रियों की जगह उनके बेटे चुनाव लड़ेंगे. इनमें महेंद्र सिंह चट्ठा के बेटे मनदीप, फूलचंद मौलाना की बेटे वरुण चौधरी शामिल हैं. ये पहले विधायकी चुनाव हार चुके हैं.
कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीवी राव पहली बार चुनावी समर में उतरेंगे. फिर पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप और पूर्व मंत्री शिवचरण शर्मा के बेटे नीरज शर्मा प्रभु पर पार्टी मेहरबान हुई है और उनको टिकट दिया गया है.
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में राजघरानों के चंगुल में फंसी है.
एक ही परिवार से 3 कांग्रेस उम्मीदवार
हकीकत यह भी है कि एक ही परिवार के 3 लोग कांग्रेस उम्मीदवार बने हैं. चौधरी बंसीलाल के परिवार से उनकी बहू किरण चौधरी, उनके बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा और उनके दमाद सोमवीर सिंह को पार्टी ने मौका दिया है.
वहीं, एक वक्त पर कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे भजनलाल के दोनों बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्रमोहन भी इस बार चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ बना चुके हैं और पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. मगर जहां एक तरफ पार्टी युवा और नए चेहरों को मौका देने की पैरवी कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीन पर उसके इन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.
हुड्डा के खेमे में आईं 60 सीटें
टिकट बंटवारे को देखें तो ज्यादा से ज्यादा सीटें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में गई है. आंकड़ों की बात करें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में लगभग 60 सीटें आई हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के करीबियों को लगभग 13 सीटें मिली हैं. रणदीप सुरजेवाला को कैथल मिलाकर 5 सीटें मिली हैं, कुलदीप बिश्नोई को 4, पूर्व विधान मंडल दल की नेता किरण चौधरी को 3 सीटें मिली हैं.
मालूम हो कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर इसलिए खींजे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने 84 नामों की लिस्ट 10 जनपद को थमाई थी. इसके साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, मगर इतना हाथ पैर मारने के बावजूद भी अशोक तंवर के खेमे में सिर्फ दो सीटें आईं, जो उनके लोकसभा क्षेत्र सिरसा की है.