हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में अर्की विधानसभा सीट वीआईपी सीट है. यहां से कांग्रेस के वीरभद्र सिंह ने जीत दर्ज की है. इस बार राज्य के मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी वीरभद्र सिंह ने एक ऐसी सीट को चुना, जहां से बीजेपी पिछले 10 सालों से जीत दर्ज कर रही थी. इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार रत्न सिंह पाल से था.
अभ्यर्थी | दल का नाम | मत |
वीरभद्र सिंह | इंडियन नेशनल कांग्रेस | 34499 |
रत्न सिंह पाल | भारतीय जनता पार्टी | 28448 |
विजय सिंह राजपूत | जनरल समाज पार्टी | 445 |
विजय सिंह चौहान | निर्दलीय | 289 |
इनमें से कोई नहीं | इनमें से कोई नहीं | 530 |
अर्की विधानसभा सीट के लिए 9 नवंबर को 130 पोलिंग बूथों पर मतदान कराया गया था. हिमाचल प्रदेश की यह वीआईपी सीट राजधानी शिमला से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां मतदाताओं की कुल संख्या 80722 है जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 41903 है और महिला मतदाताओं की संख्या 38284 है जबकि 530 सर्विस वोटर हैं.
पिछले 10 सालों से अर्की विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन कांग्रेस छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उतारकर अपने पुराने गढ़ में वापसी करने की कोशिश में है.
अर्की की जनता ने 1993-2003 तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ को थामे रखा, लेकिन 2007 के बाद हुए दो चुनाव में जनता ने कमल खिलाकर कांग्रेस को इस सीट से बेदखल कर दिया. इस बार कांग्रेस अपने पुराने गढ़ में सीएम वीरभद्र सिंह के सहारे जहां वापसी करने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती है.
2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के गोविंद राम शर्मा ने कांग्रेस के उम्मीदवार संजय को हराकर जीत दर्ज की थी. गोविंद राम शर्मा को 17211 वोट हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार संजय को 15136 वोट हासिल हुए थे.
बीते सालों में बीजेपी इस सीट पर अपना दावा मजबूत करने में सफल हुई है. 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार नगिन चन्द्र पाल ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1982 और 1990 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में फिर से जीत दर्ज की. 1957 में वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के उम्मीदवार के तौर पर जीते थे.
कांग्रेस का हुआ करता था दबदबा
हालांकि इस सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा रहा था. 1962 में कांग्रेस के हरि दास ने जीत दर्ज की थी जबकि 1967 में हीरा सिंह पाल ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1972 में वह लोकराज पार्टी के उम्मीदवार बने और इस सीट पर अपना दबदबा बनाए रखा. 1985 में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर हीरा सिंह पाल ने चुनाव लड़ा और इस सीट पर फिर से अपना कब्जा किया. उसके बाद 1993, 1998 और 2003 में कांग्रेस के धरम पाल ठाकुर ने लगातार अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. हालांकि 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के गोविंद राम शर्मा ने कांग्रेस के धरम पाल ठाकुर का विजयी रथ रोक दिया और फिर 2012 में भी गोविंद राम शर्मा ने कांग्रेस को वापसी का मौका नहीं दिया.
जब-जब सीट बदली, तब-तब जीत दर्ज की
सिंह ने अपने 50 साल से ज्यादा लंबे करियर में 13 चुनाव लड़े हैं और अब तक सभी जीते हैं. वीरभद्र सिंह ने चौथी बार अपना निर्वाचन क्षेत्र बदला है. 83 वर्षीय सिंह ने 1983 में जुब्बल, 1985 में कोठकाई, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007 में रोहडू और 2012 में शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ा था. वीरभद्र सिंह का यह इतिहास रहा है कि जब-जब उन्होंने अपनी सीट छोड़कर नई सीट से चुनाव लड़ा है, वहां की जनता ने उनका साथ दिया है.
बीजेपी ने उतारे स्टार कैंपेनर
अर्की में चुनाव प्रचार के लिए अपने स्टार कैंपेनर भी उतारे. हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह को घरने के लिए बीजेपी ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया. यहां यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्य के बीजेपी प्रभारी मंगल पांडे ने बीजेपी के लिए प्रचार किया.