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हिमाचल चुनाव: कांग्रेस के टिकट बंटवारे में वंशवाद का बोलबाला

वीरभद्र सिंह कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर को मंडी विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिला है. चंपा ठाकुर से जब वंशवाद की बात की गई तो उन्होंने कहा कि शादीशुदा होने की वजह से उनका अलग परिवार है इसलिए उनको पार्टी का टिकट मिलना कोई परिवारवाद नहीं है.

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कांग्रेस के टिकट बंटवारे में वंशवाद का बोलबाला
कांग्रेस के टिकट बंटवारे में वंशवाद का बोलबाला

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वंशवाद भारतीय राजनीति की हकीकत है. ये बात कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते महीने अमेरिका की बर्क्ली यूनिवर्सिटी में एक सवाल का जवाब देते हुए मानी थी. राहुल ने कहा था कि वास्तव में भारत में अधिकतर पार्टियों में ये समस्या है, इसलिए सिर्फ हम पर नही जाइए. कांग्रेस से जुड़े नेताओं में वंशवाद का कितना बोलबाला है ये हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की फेहरिस्त पर नजर डालने से ही पता चल जाता है.

हिमाचल प्रदेश की राजनीति की बात की जाए तो वहां वंशवाद कोई नई बात नहीं है. खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का परिवार ही इसकी सबसे बड़ी मिसाल है. पहले मुख्यमंत्री ने 2013 में मंडी लोकसभा सीट पर खुद के इस्तीफा देने की वजह से हुए उपचुनाव में पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस से टिकट दिलवाया. प्रतिभा सिंह उपचुनाव जीत गईं लेकिन अगले ही साल 2014 में हुए आम चुनाव में उन्हें बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा के सामने हार का मुंह देखना पड़ा.

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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 9 नवंबर को होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बेटे विक्रमादित्य सिंह को शिमला ग्रामीण सीट से टिकट दिलवा कर फिर वंशवाद को तरजीह दी है. हालांकि विक्रमादित्य पार्टी टिकट मिलने को वंशवाद का नतीजा नहीं मानते. उनके मुताबिक वह हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उन्होंने 5 साल शिमला ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सेवा की है, इसी वजह से विधानसभा क्षेत्र में उनका काफी जनाधार है.

ऐसा नहीं कि वंशवाद सिर्फ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कुनबे तक ही सीमित है. कांग्रेस ने प्रदेश में इस बार विक्रमादित्य समेत सात ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो मौजूदा या पूर्व मंत्रियों के बेटे या बेटी हैं.   

हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता बृज बिहारी लाल बुटेल के बेटे आशीष बुटेल को कांग्रेस ने पालमपुर से चुनाव के मैदान में उतारा है. आशीष बूटेल टिकट मिलने को पार्टी आलाकमान का आशीर्वाद मानते हैं. उनकी नजर में भी पार्टी टिकट मिलना वंशवाद नहीं है.  

वीरभद्र सिंह कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर को मंडी विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिला है. चंपा ठाकुर से जब वंशवाद की बात की गई तो उन्होंने कहा कि शादीशुदा होने की वजह से उनका अलग परिवार है इसलिए उनको पार्टी का टिकट मिलना कोई परिवारवाद नहीं है. वैसे भी मेरा विधानसभा क्षेत्र पिता से अलग है और ससुराल में पड़ता है.

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पार्टी ने कुल्लू  के बंजार विधान सभा चुनाव क्षेत्र से दिवंगत करण सिंह के पुत्र आदित्य विक्रम सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. करण सिंह वीरभद्र सिंह कैबिनेट में मंत्री थे और उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे आदित्य विक्रम सिंह पर पार्टी ने दांव खेला है. आदित्य से जब वंशवाद को लेकर बात की गई तो उन्होंने कांग्रेस के टिकटों पर सवाल उठाने वाली बीजेपी को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दे डाली. आदित्य ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. जब एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है, वकील का बेटा वकील बन सकता है तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं बन सकता. अगर उसमें काबिलियत है तो उसे पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने में दिक्कत क्या है. कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले बीजेपी नेता शायद यह भूल गए हैं कि जब बीजेपी की प्रदेश में सरकार थी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर भी सांसद बने थे."

छह बार लोकसभा सांसद रहे कांग्रेसी नेता कृष्णदत्त सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी को भी कांग्रेस ने टिकट देकर कसौली विधानसभा चुनाव क्षेत्र से मैदान में उतारा है. विनोद सुल्तानपुरी वंशवाद के सवाल पर कहते हैं, "ये मायने नहीं रखता कि कोई किसका बेटा है या किसकी बेटी बेटी. जीत इस बात पर निर्भर करती है कि उसने कितनी मेहनत की है. मैं पहले भी चुनाव लड़ चुका हूं और मैं अब भी चुनाव लड़ रहा हूं. पिछला चुनाव हार गया था लेकिन इस चुनाव में मैं जीत दर्ज करूंगा. जिस का हक बनता है उसे चुनाव जरुर लड़ना चाहिए."

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कांग्रेस सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष रहे राम नाथ शर्मा के बेटे विवेक शर्मा को ऊना के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से पार्टी टिकट दिया गया है. विवेक भी पार्टी के टिकट को वंशवाद की देन नहीं मानते.

कांग्रेस की ओर से मौजूदा मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों के बेटी-बेटों को टिकट दिए जाने के बाद बीजेपी को भी निशाना साधने का मौका मिल गया है. हिमाचल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष सतपाल सत्ती कहते हैं, "कांग्रेस हमेशा से ही परिवारवाद और भ्रष्टाचार की जननी रही है, उसने हमेशा परिवारवाद को बढ़ावा दिया है."

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