गुजरात के बाद अब हिमाचल प्रदेश में नए मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की तैयारी है. बीजेपी ने जयराम ठाकुर को नया मुख्यमंत्री चुना है और बुधवार को वे अपने मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे. सबका ध्यान अब इस ओर है कि पहली बार सीएम बनने जा रहे जयराम ठाकुर की कैबिनेट में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे. माना जा रहा है कि ठाकुर कैबिनेट में कुछ नए तो कुछ पुराने चेहरों को शामिल किया जा सकता है. राज्य में कुछ ऐसे नाम हैं, जिनका मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है.
बता दें कि हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की है. लेकिन चुनाव में बीजेपी के सीएम का चेहरा रहे प्रेम कुमार सिंह धूमल नहीं जीत सके. इसके बाद कई दिन तक माथापच्ची के बाद पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री के लिए जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लगाई.
हिमाचल के मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर की ताजपोशी बुधवार को होगी. जयराम ठाकुर राज्य के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. उनके साथ कई मंत्रियों को भी शपथ लेना हैं. जयराम कैबिनेट के संभावित चेहरों में शिमला से विधायक सुरेश भारद्वाज, जुब्बल कोटखाई से विधायक नरेंद्र बरागटा, ज्वालामुखी से विधायक बने रमेश धवाला, शाहपुर से सरवीण चौधरी, धर्मशाला से किशन कपूर और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होकर विधायक बने सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा का नाम शामिल है.
संभावित चेहरों में प्रेम सिंह धूमल के करीबी माने जाने वाले नाहन से राजीव बिंदल, मंडी से महिंद्र सिंह , सुलाह विधानसभा से जीते विपिन परमार के नाम भी चल रहे हैं. धूमल विधानसभा चुनाव हार गए हैं, ऐसे में उनके करीबियों को मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी उसकी भरपाई करेगी. बता दें कि मुख्यमंत्री बनाने की बात जिस समय चल रही थी, उस दौरान राज्य के करीब दो दर्जन विधायक खुलकर धूमल के पक्ष में खड़े नजर आ रहे थे.
वैसे पिछले तीन दशकों से हिमाचल प्रदेश की राजनीति दो बड़े परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इनमें एक नाम कांग्रेस के वीरभद्र सिंह तो दूसरा नाम बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल का है. हिमाचल में 1985 के बाद हर विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ है. राज्य की जनता एक बार बीजेपी पर जीत का ताज पहनाती है तो अगली बार कांग्रेस को सिंहासन मिलता है. लेकिन सूबे के मुखिया के तौर पर बार-बार पलटकर दो चेहरे ही नजर आते रहे. कांग्रेस की सरकार आई तो शिमला के वीरभद्र सिंह सीएम बने, बीजेपी ने सत्ता वापसी की तो कमान हमीरपुर के प्रेम कुमार धूमल के हाथों में पहुंच गई. हालांकि, बीच में एक बार छोटे वक्त के लिए शांता कुमार को भी सीएम बनने का मौका मिला. लेकिन 1993 से लगातार यही सिलसिला जारी था.इस बार सरकार बदलने के साथ ही मुखिया भी बदला है. तीन दशकों में पहली बार वो मौका आया है, जब हिमाचल की सियासत शिमला और हमीरपुर से शिफ्ट होकर कहीं और पहुंची है.