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हिमाचल चुनाव: मतगणना की तैयारियां पूरी, सुरक्षा के तीन घेरों में होगी वोटों की गिनती

हिमाचल प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने आज तक से बातचीत में बताया कि मतगणना केंद्रों पर 3000 सरकारी सरकारी कर्मचारी और अधिकारी तैनात किए गए हैं. सभी मतगणना केंद्रों की बैरिकेडिंग के लिए खास तौर पर 7 फीट से 10 फीट ऊंची जाली लगाई गई है.

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सुरक्षा के कड़े इंतजाम
सुरक्षा के कड़े इंतजाम

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चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में सोमवार को होने वाली मतगणना की तैयारियां मुकम्मल कर ली हैं. प्रदेश के 68 विधानसभा चुनाव क्षेत्रों की मतगणना सोमवार सुबह 8 बजे शुरू होगी. राज्य के कुल 48 मतगणना केंद्रों मे सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. मतगणना सुरक्षा के तीन घेरों में होगी. जिसके लिए 5000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं ताकि मतगणना में कोई व्यवधान उत्पन न हो.

हिमाचल प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने आज तक से बातचीत में बताया कि मतगणना केंद्रों पर 3000 सरकारी सरकारी कर्मचारी और अधिकारी तैनात किए गए हैं. सभी मतगणना केंद्रों की बैरिकेडिंग के लिए खास तौर पर 7 फीट से 10 फीट ऊंची जाली लगाई गई है. मतगणना केंद्रों के आस-पास का 100 वर्ग मीटर का क्षेत्र वाहनों के लिए प्रतिबंधित होगा. जिसे पैदल जोन घोषित किया गया है.

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राज्य चुनाव अधिकारी के मुताबिक मतों की गणना सुबह 8:00 बजे शुरू हो जाएगी और कुछ मतगणना केंद्रों पर मतगणना वीवीपैट मशीनों के जरिए भी होगी. हर मतदान केंद्र पर एक ईवीएम इंजीनियर उपलब्ध करवाया गया है. जो मशीन की किसी भी खराबी से निबटने के लिए तैयार रहेगा. चुनाव अधिकारी के मुताबिक अगर किसी मतगणना केंद्र पर किसी मशीन में किसी भी तरह की कोई खराबी आती है तो वहां पर मतगणना वीवीपैट मशीन के जरिए की जाएगी.

पुष्पेंद्र राजपूत के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के सभी 48 मतगणना केंद्रों की वीडियोग्राफी की जाएगी और कुछ चुनिंदा मतगणना केंद्रों का वेबकास्ट भी होगा. राज्य के विभिन्न हिस्सों में 781 मतगणना टेबल स्थापित किए गए हैं और इसके अलावा 68 रिटर्निंग अधिकारियों के टेबल भी बनाए गए हैं. मतगणना के सभी टेबल एक जाली के जरिए महफूज रहेंगे.

हिमाचल प्रदेश में सोमवार करीब 12 बजे के करीब राज्य की सभी 68 सीटों के नतीजे घोषित हो जाने की संभावना है. राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी 5 वर्षों का एंटी इनकंबेंसी झेल रही है. भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की आय से अधिक संपत्ति के मामले को चुनाव का मुद्दा बनाया है. अब 5 वर्षों के बाद सत्ता में लौटने की उम्मीद है लेकिन ये सब चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा.

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