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हिमाचल: प्रतिभा सिंह की CM पद की दावेदारी के बीच बोले विक्रमादित्य, मां के लिए छोड़ दूंगा अपनी सीट

हिमाचल प्रदेश में जीत के बावजूद कांग्रेस अब तक मुख्यमंत्री का फैसला नहीं कर पाई है. मुख्यमंत्री की घोषणा के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला पार्टी विधायकों से मिले. शुक्रवार देर शाम तक चली विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चेहरे पर मुहर नहीं लग सकी, जिसके बाद विधायकों ने एक लाइन का प्रस्ताव पास करके फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया.

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बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ प्रतिभा सिंह (File Photo)
बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ प्रतिभा सिंह (File Photo)

हिमाचल प्रदेश में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री का नाम तय करने की कवायद में जुटा है. मुख्यमंत्री की घोषणा के लिए पार्टी पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला पार्टी विधायकों से मिले. शुक्रवार देर शाम तक चली विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चेहरे पर मुहर नहीं लग सकी. जिसके बाद विधायकों ने एक लाइन का प्रस्ताव पास करके फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है. 

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इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने इच्छा जताई है कि उनकी मां को सीएम बनाए जाने पर वह अपनी शिमला ग्रामीण सीट खाली कर देंगे, क्योंकि प्रतिभा सिंह अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं. दरअसल, हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और हरोली विधायक मुकेश अग्निहोत्री सीएम पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू दोनों प्रभावशाली राजपूत समुदायों से हैं, जबकि मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण हैं. अभी तक शांता कुमार ही अकेले ब्राह्मण थे, जो दो बार मुख्यमंत्री बने हैं.

वहीं पार्टी आलाकमान यदि किसी ओबीसी उम्मीदवार को तरजीह देता है तो जवाली के विधायक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंदर कुमार का नाम भी चर्चा में है. बड़ी उपस्थिति के बावजूद दलित मुख्यमंत्री की संभावना कम ही है, क्योंकि हिमाचल की राजनीति में राजूपत और ब्राह्मण जैसी उच्च जाति का वर्चस्व रहा है. कांग्रेस में डॉ धनी राम शांडिल सबसे मजबूत दलित नेताओं में से एक हैं. वहीं माना जा रहा है कि हिमाचल का अगला मुख्यमंत्री राजपूत या ब्राह्मण चेहरा ही होगा. ये हैं मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार:

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सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधायक नादौन, हमीरपुर

58 वर्षीय सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस कैंपेन कमेटी के प्रमुख हैं. वह हिमाचल में रिकॉर्ड पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. इस बार उन्होंने बीजेपी के विजय अग्निहोती को 3363 मतों के अंतर से हराया है. सुक्खू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में तब की थी जब वह सरकारी कॉलेज संजौली, शिमला में छात्र थे. वे कॉलेज छात्र संघ के महासचिव और अध्यक्ष रहे और 1989 से 1995 के बीच NSUI के अध्यक्ष रहे. 1999 से 2008 के बीच वे युवा कांग्रेस के प्रमुख भी रहे.

सुक्खू दो बार शिमला नगर निगम पार्षद भी चुने गए थे. वह 2013 में हिमाचल कांग्रेस के प्रमुख के पद तक पहुंचे और 2019 तक राज्य इकाई के प्रमुख बने रहे. सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रतिभा सिंह की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं, क्योंकि वह विधायक नहीं हैं.

प्रतिभा सिंह, अध्यक्ष हिमाचल कांग्रेस, लोकसभा सांसद

मंडी से लोकसभा सांसद 66 वर्षीय प्रतिभा सिंह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. वह अपने दिवंगत पति वीरभद्र सिंह की विरासत पर निर्भर हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1998 में की थी. तब उन्होंने मोंडी लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें बीजेपी के महेश्वर सिंह ने हरा दिया था. वह 2004 में फिर से लोकसभा चुनाव लड़ीं और महेश्वर सिंह को हराया.

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उन्होंने 2013 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और बीजेपी के जय राम ठाकुर को 1.39 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया. हालांकि मोदी लहर के कारण उन्हें 2014 में भाजपा के दिवंगत राम स्वरूप सिंह से हार का सामना करना पड़ा. आश्चर्यजनक रूप से, वह 2021 में मंडी लोकसभा उपचुनाव जीतने में सफल रहीं, जब राज्य में भाजपा की सरकार थी. प्रतिभा सिंह को 26 अप्रैल, 2022 को कांग्रेस की राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया और अब उनकी नजर मुख्यमंत्री पद पर है. उन्होंने परोक्ष रूप से पार्टी आलाकमान को चेतावनी दी है कि वीरभद्र सिंह की विरासत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

मुकेश अग्निहोत्री, विधायक हरोली, ऊना

पत्रकार से राजनेता बने मुकेश अग्निहोत्री ने भी अपना पांचवां विधानसभा चुनाव जीता है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2003 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर की थी. उन्हें 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा कैबिनेट मंत्री के रूप में भी शामिल किया गया था. वह 2017 में विपक्ष के नेता बने जब कांग्रेस को भाजपा ने राज्य में हराया था. मुकेश अगनाथरी सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा के करीबी माने जाते हैं. वे कभी वीरभद्र सिंह के समर्थक थे. मुख्यमंत्री के चेहरे के मुद्दे पर वे खामोश हैं लेकिन उन्हें दावेदार माना जा रहा है. जबकि प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू दोनों प्रभावशाली राजपूत समुदायों से संबंधित हैं तो वहीं मुकेश अग्निहोत्री एक ब्राह्मण हैं. 

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चंदर कुमार, विधायक जवाली, कांगड़ा

चंदर कुमार कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं, जो रिकॉर्ड पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे. चंदर कुमार ने जवाली विधानसभा क्षेत्र जीता है जो कांगड़ा जिले का हिस्सा है. वह 2017 का चुनाव भाजपा से हार गए थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1982 में की जब वे कृषि मंत्री बने. उन्होंने 1984, 1989, 1993 और 1998 के विधानसभा चुनाव भी जीते और कैबिनेट मंत्री रहे. उन्हें 2004 में कांगड़ा से लोकसभा के सदस्य के रूप में भी चुना गया था. चर्चा है कि प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू या मुकेश अग्निहोत्री के नामों पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

विक्रमादित्य सिंह, विधायक शिमला (ग्रामीण)

हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए हैं. वह मुख्यमंत्री की दौड़ में नहीं हैं, लेकिन पार्टी आलाकमान उन्हें उपमुख्यमंत्री पद के लिए शिमला और जिले के बीच शक्ति संतुलन बनाने के लिए विचार कर सकता है, जहां से मुख्यमंत्री शपथ लेंगे. विक्रमादित्य सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने हंसराज कॉलेज से स्नातक और सेंट स्टीफेंस कॉलेज से मास्टर्स की है. सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2013 में की जब उन्हें एचपी कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया. वह 2013 से 2017 के बीच हिमाचल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

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