सोरेन ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वो नेता और विधायक ऐस खरीदते हैं, जैसे वो सब्जी खरीद रहे हों. लेकिन अब सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं और बीजेपी का प्रभाव कम होता दिख रहा है. महाराष्ट्र इसका उद्धाहरण है. उन्होंने कहा कि चाहे महाराष्ट्र हो या फिर हरियाणा, राजनीति में बदलाव हुआ है.
19 साल के बाद भी राज्य सबसे पिछड़ा
चुनावी मुद्दों पर बात करते हुए सोरेन ने कहा कि झारखंड में रोजगार, गरीबी और पिछड़ापन की समस्या सबसे बड़ी है, यही चुनावी मुद्दे हैं. 19 साल में झारखंड राज्य आज भी विकास के मामले में देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है जिसका नंबर पीछे से तीसरे पायदान पर आता है.
उन्होंने कहा, 'यहां भुखमरी की स्थिति बहुत ज्यादा है. इस सरकार में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. उसमें सबसे अधिक आदिवासी और दलित महिलाएं थीं. हालांकि, इस सरकार से पहले इस राज्य का ऐसा कोई इतिहास नहीं था.' यहां किसान कभी आत्महत्या नहीं करता था, जो अब करने लगा है. बेरोजगारी की समस्या सिर चढ़कर बोल रही है.
एनआरसी का किया समर्थन
सोरेन ने आजतक से बात करते हुए कहा, एनआरसी लागू करने के लिए पहले से ही कानून बना हुआ है, इसमें नई बात क्या है. अगर गलत तरीके से परिभाषित होगी तो उसका विरोध करेंगे.
बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'आपने देखा होगा, पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 27 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था. देश में नोटबंदी भी हुई उसके बाद भी जो बीजेपी 2014 में 40-50 करोड़ वाली पार्टी थी वो आज 2000 करोड़ वाली पार्टी बन गई है. ये पैसे कहां से आ रहे हैं.'
बीजेपी राज में 70 फीसदी से 26 फीसदी पर आ गए आदिवासी
उन्होंने कहा, 'बीजेपी खुद को सबसे बड़ी पार्टी बताती है लेकिन झारखंड में एक भी ऐसा नेता पैदा नहीं हुआ जो उनकी पार्टी से मुख्यमंत्री बन सके. मुख्यमंत्री रघुवर दास की मानसिकता यहां के लोगों के विपरीत है. इनकी सरकार ने फॉरेस्ट राइट एक्ट में संशोधन करने का प्रयास किया. साथ ही इको सेन्सिटिव जोन के माध्यम से इस सरकार में राज्य के जंगलों में रहने वाले लोगों को और उनके गांव के गांव खाली करवा दिए गए.'
उन्होंने कहा कि यहां पर 70 फीसदी लोग आदिवासी थे, वो 26 फीसदी तक कैसे रह गए. यह चिंता का विषय है. ऐसा नहीं है कि यहां के लोग विकास नहीं चाहते लेकिन यह नहीं होना चाहिए यहां का एक पूरा का पूरा वर्ग ही खत्म हो जाए.
आजसू और भाजपा का रिश्ता गाय और बछड़े के जैसा
आजसू और भाजपा का रिश्ता गाय और बछड़े के जैसा है. यहां अभी भी उनकी सरकार है, लेकिन दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. जदयू और लोजपा सरकार में है लेकिन ये सभी चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि अमित शाह ने पहले ही घोषणा कर दिया है कि उनकी सरकार आजसू के साथ मिलकर बनेगी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है.
पर्यटन पर ध्यान होता को जंगलों में गोलियों की जगह ठहाके सुनाई देते
जब मोदी जी पहली बार झारखंड आए थे उस समय मैं राज्य का मुख्यमंत्री था. उस समय मैंने यही बात रखी थी कि राज्य में खनीज संपदा से निर्भता को कम करते हुए पर्यटन पर ज्यादा ध्यान दिए होते को जंगलों में गोलियों की आवाज की जगह सैलानियों के ठहाके सुनाई देते.
गोलियों से नक्सलवाद खत्म नहीं हो सकता
नक्सल की समस्या पर सोरेन ने कहा कि बेरोजगारी जब तक रहेगी यह समस्या बनी रहेगी. नक्सल की समस्या को लाठी-डंडे और गोलियों से खत्म नहीं किया जा सकता. वो भी उनके साथ जो समाज कभी भी हिंसा का समर्थक नहीं रहा हो. उन्होंने कहा, 'नक्सलवाद को किसने बढ़ावा दिया, यह सोचने वाली बात है. जिनके खेत और जमीन से सोना, चांदी निकला उन लोगों के परिवारों का कुछ पता नहीं है. किसी को नहीं पता कि वो परिवार किस हालत में हैं.'
राम और पटेल के नाम पर राजनीति करती है बीजेपी
बीजेपी को भगवान राम और पटेल के विचारों से कोई लेना देना नहीं है. उन्हें सिर्फ राजनीति करनी है. ये न संविधान को मानते हैं और न लोकतंत्र को मानते हैं. देश में चारों तरफ भय का माहौल उत्पन्न हो रहा है. बीजेपी से हाथ मिलाने की बात पर उन्होंने कहा कि मेरा टारगेट साफ है. वो ये है कि भाजपा भगाओ, झारखंड बचाओ.
मैं राजनीति में जल्दी नहीं आना चाहता था, क्योंकि पिता और भाई राजनीति में थे. इसलिए मैंने अपना काम शुरू किया, लेकिन पिता की तबीयत खराब होने के बाद मैं राजनीति में आया.