झारखंड के विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 20 सीटों पर आज यानी गुरुवार शाम में चुनावी शोर थम जाएगा. इसके बाद उम्मीदवार सिर्फ डोर टू डोर कैंपेन ही कर सकेंगे. दूसरे चरण की सीटों पर 7 दिसंबर को मतदान होंगे. इस चरण में 15 सीटें नक्सल प्रभावित इलाके में आती हैं. यही वजह है कि जमशेदपुर पूर्वी तथा जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होना है. जबकि, अन्य 18 विधानसभा क्षेत्रों में सुबह सात बजे से शाम तीन बजे तक ही मतदान हो सकेगा.
दूसरे चरण की 20 विधानसभा सीटों पर कुल 260 प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी के 20, कांग्रेस के 6, जेएमएम के 14, आजसू के 12 और झारखंड विकास मोर्चा के 20 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं. इसके अलावा अन्य प्रमुख दलों में शामिल बसपा के 14, माकपा और भाकपा के तीन, एनसीपी का एक, तृणमूल कांग्रेस के पांच और 73 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं.
इन नेताओं की साख दांव पर
मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्पीकर डा. दिनेश उरांव, बीजेपी के बागी नेता सरयू राय, मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र सहिस, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू सहित कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा इस चरण में लगी हुई हैं.
बता दें कि 2014 के चुनाव में बीजेपी विपक्षी दलों के बिखराव के बाद भी इस इलाके में जेएमएम से ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी. दूसरे चरण की जिन 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उन पर 2014 के चुनाव में आठ-आठ सीटों पर बीजेपी और जेएमएम ने कब्जा जमाया था. जबकि, दो सीटें आजसू ने जीती थी और दो सीटें अन्य के खाते में गई थी.
बीजेपी ने दूसरे चरण की घाटशिला, पोटका, जमशेदपुर पूर्व, जमशेदपुर पश्चिम, खुंटी, मांधर, सिसई और सिमडेगा सीट पर जीत दर्ज किया था. जबकि, जेएमएम ने सरायकेला, चायबासा, बरहागोड़ा, माझगांव, मनोहरपुर चक्रधरपुर, खरसावन और तोरपा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा तमाड़ व जुगसलाई सीट आजसू के खाते में गयी थी और कोलेबिरा और जगन्नाथपुर अन्य ने जीती थी.
दूसरे चरण की सीटों पर कितने प्रत्याशी
विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा 20-20 प्रत्याशी जमशेदपुर (पूर्वी) और जमशेदपुर (पश्चिमी) सीट से हैं. इसके अलावा बहरागोड़ा सीट के लिए 14, घाटशिला से16, पोटका से10, जुगसलाई से 10, सरायकेला से सात, खरसावां से 16, चाईबासा से 13, मझगांव से 16, जगन्नाथपुर से 13, मनोहरपुर से14, चक्रधरपुर से 12, तमाड़ से17, मांडर से13, तोरपा से आठ, खूंटी से11, सिसई से10, सिमडेगा से 11 और कोलेबिरा सीट के लिए नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
नक्सल प्रभावित सीटें
दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला - खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका और जुगसलाई, रांची के तमाड़ व मांडर, खूंटी के तोरपा व खूंटी का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभाव वाले इलाके में आता है. पश्चिमी सिंहभूम के पौड़ाहाट, सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है. सारंडा के इलाके में एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है. पौड़ाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है. वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है. सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करती रही है. विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभाव वाले इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है, साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है.
सरायकेला-खरसांवा में सबसे ज्यादा संकट
दूसरे चरण में सरायकेला-खरसांवा में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की सबसे बड़ी चुनौती है. सरायकेला-खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल नौ विस्फोट हुए थे. खरसावां में तो बीजेपी के कार्यालय को भी नक्सलियों ने उड़ा दिया था. इस बार भी सरायकेला में चुनाव बहिष्कार का पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपने इरादे जता दिए हैं. बताया जाता है कि सरायकेला में एक करोड़ का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने गिरोह के साथ है.
पतिराम के साथ ही अलग अलग गांवों में महाराज और अमित का दस्ता घूम रहा है. अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड़ में रही है. बीते चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड़ के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था. जिसकी वजह से नक्सलियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था.
पीएलएफआई के गढ़ में चुनाव
झारखंड के दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावा पीएलएफआई के गढ़ में भी चुनाव होना है. इनका प्रभाव खूंटी, सिमडेगा जिले में सर्वाधिक है. खूंटी के तोरपा, तपकरा, कर्रा, मुरहू के अलावा सिमडेगा पीएलएफआई के प्रभाव में है. पीएलएफआई उग्रवादियों के निशाने पर हमेशा से राष्ट्रीय पार्टी के नेता और कार्यकर्ता रहे हैं. इसीलिए यह इलाका काफी संवेदनशील माना जा रहा है. दूसरे चरण के लिए भी 2113 अतिसंवेदनशील बूथों को चिन्हित किया गया है. प्रशासन से पड़ोसी राज्यों से प्रशासनिक मदद ले रही है.