झारखंड में भाजपा का बढ़ता कुनबा विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए ही मुसीबत बन सकता है. कांग्रेस और जेएमएम के विधायकों का भाजपा में शामिल होना, पुराने भाजपाइयों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. भाजपा में शामिल हुए विधायकों को उनके क्षेत्रों से टिकट मिलने की पूरी संभावना भी है. ऐसे में पहले से चुनाव की तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं को झटका लग सकता है और वो भी पार्टी को झटका दे सकते हैं.
पिछले 4 महीने में हजारों लोगों ने गाजे-बाजे के साथ बीजेपी का झंडा थामा है. दूसरे दलों से भाजपा में टिकट की आस में आए लोगों और पार्टी के पुराने दावेदारों में इन दिनों एक प्रतिस्पर्धा सी देखी जा रही है. इससे कुछ सीटों पर भितरघात की आशंका बढ़ गई है.
सीधे शब्दों में कहें तो चुनाव के दौरान भाजपा को खुद के नेताओं से भी बड़ी चुनौती मिल सकती है. हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ का कहना है कि सभी को बिना शर्त पार्टी में शामिल कराया गया है और जीतने वाले कैंडिडेट को ही टिकट मिलेगा.
हाल के दिनों में भाजपा में शामिल हुए 5 विधायकों ने तो बीजेपी के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. आईपीएस अरूण ने भाजपा का दामन थामकर विधानसभा अध्यक्ष सह सिसई विधायक दिनेश उरांव और गुमला विधायक शिवशंकर उरांव की धड़कनें बढ़ा दी हैं.
जेएमएम से बीजेपी में प्रवेश करने वाले कुणाल षाड़ंगी की वजह से वर्षों से टिकट लेने की आस में बैठे समीर मोहंती ने जेएमएम का दामन थाम लिया है. इसी तरह बरही से कांग्रेस विधायक मनोज यादव के बीजेपी में आने से अकेला यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अकेला यादव ने तो साफ कह दिया कि कार्यकर्ताओं के लिए वो जेल जाएंगे और टिकट मनोज यादव को मिलेगा ऐसा नहीं होगा.
आशंका है कि टिकट की घोषणा होने के साथ ही कुछ नेता खुलकर बगावत कर सकते हैं तो कुछ असहयोगात्मक रवैया अख्तियार कर सकते हैं. लोहरदगा में सुखदेव भगत के शामिल होने से सहयोगी दल आजसू के तेवर तल्ख देखे जा रहे हैं.
हालांकि, अभी तक यह तय नहीं है कि यह सीट भाजपा के पास रहेगी या आजसू के पास. इसके अलावा तमाम अन्य सीटें हैं जहां से भाजपा के दावेदारों को दूसरे दलों से पार्टी में शामिल होने वाले लोगों ने झटका दिया है.
जेएमएम से बीजेपी में आने वाले मांडू से विधायक जेपी पटेल की वजह से वहां के टिकट की आस में कार्यकर्ताओं की बेचैनी काफी बढ़ गई है. पार्टी के राज्यसभा सांसद समीर ओरान का कहना है कि भाजपा में शामिल होने वाले सभी नेताओं को टिकट देना संभव भी नहीं है.
पार्टी में टिकट की घोषणा से पूर्व भाजपा में इस विषय पर चर्चा से हर कोई कतरा रहा है. लेकिन टिकट की घोषणा के बाद भाजपा के इस आंतरिक कलह के सतह पर आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. जाहिर है भाजपा को भी इस बात का एहसास है और वह अभी से इस आंतरिक टकराव को टालने की जुगत में जुट गई है.