झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तंज कसने में देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा, 'झारखंड की जनता ने जनादेश दे दिया है. इसमें आदेश भी शामिल है कि सरकार बनाने के लिए सुबह पांच बजे राष्ट्रपति महोदय को डिस्टर्ब न किया जाए, और राज्यपाल महोदय भी अलसुबह चोरी छिपे सरकार को शपथ दिलाने का कष्ट न उठाएं.'
कुछ ही महीना पहले लोकसभा चुनाव 2019 में बंपर जीत हासिल करने वाली बीजेपी के लिए झारखंड तीसरा राज्य है, जहां उसकी पकड़ कमजोर हुई है. झारखंड में पकड़ ही कमजोर नहीं हुई बल्कि यह राज्य बीजेपी के हाथ से जा रहा है. अपनी जीत को लेकर आश्वस्त बीजेपी को झारखंड में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी की अनदेखी करना उसे महंगा पड़ गया है.इसमें यह आदेश भी शामिल है कि-
- सरकार बनाने के लिए सुबह पाँच बजे राष्ट्रपति महोदय को डिस्टर्ब न किया जाए, और
- राज्यपाल महोदय भी अलमसुबह चोरी छिपे सरकार को शपथ दिलाने का कष्ट न उठाएँ.
— Manish Sisodia (@msisodia) December 23, 2019Advertisement
हरियाणा में काफी मशक्कत के बाद बीजेपी भले ही दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ सरकार बनाने कामयाब रही हो, लेकिन महाराष्ट्र में उसने अपनी पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा और देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं झारखंड उस तीसरे राज्य के रूप में खड़ा हो गया है जहां बीजेपी के हाथ से सत्ता जा रही है.
पीएम मोदी का निशाना क्यों नहीं बनें केजरीवाल
झारखंड में बीजेपी की हार का अंदेशा हो गया था, जब रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर नरम दिखे. हालांकि उन्होंने पानी और अनधिकृत कॉलोनियों को लेकर दिल्ली की सरकार पर निशाने जरूर साधे, लेकिन अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं लिया. केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली, पानी, सीसीटीवी, सरकारी बसों में महिला के लिए मुफ्त यात्रा और वाई-फाई के वादे को पूरा करके बीजेपी के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव को चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
तय है कि दिल्ली बीजेपी राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत किए जाने के मोदी सरकार के फैसले को लेकर चुनाव में उतरेगी. इसलिए पार्टी ने रविवार को रामलीला मैदान में 'आभार रैली' का आयोजन करके दिल्लीवासियों को एक संदेश देने की कोशिश की. लेकिन सवाल है कि केजरीवाल सरकार की उन तमाम योजनाओं की काट क्या पेश करेंगे जिसे दिल्ली में लागू किया जा चुका है.
दिल्ली में कौन होगा सीएम पद का उम्मीदवार
2014 में लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने बाद में हुए विभिन्न विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बदौलत जीत हासिल की. हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे तमाम राज्यों में जहां बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की, वहां चुनाव में उसने किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया. इन राज्यों में बीजेपी ने पीएम मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के बलबूते चुनाव जीते और चुनाव बाद जातिगत समीकरण को लेकर तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए दिल्ली से मुख्यमंत्रियों के नाम तय किए गए.
मगर झारखंड में बीजेपी का किसी बड़ी आबादी की अनदेखी कर किसी गैर-आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने का फॉर्मूला फिलहाल फेल नजर आ रहा है. क्या यही सवाल दिल्ली में भी बीजेपी के सामने खड़ा हो सकता है? कुछ ही दिनों में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का कैंडिडेट कौन होगा, इसे लेकर पार्टी का रुख अभी तक साफ नहीं है. दिल्ली में बहरहाल, किसी जाति की आबादी का सवाल बेअसर करके भी देखा जाए, तब भी अरविंद केजरीवाल के सामने एक अदद मुख्यमंत्री के चेहरे की बीजेपी को दरकार बनी रहेगी.