झारखंड चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में आने वाले हैं. पूरे देश को इन नतीजों का इंतजार है. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को मई 2019 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत मिली. उसके बाद ये तीसरा राज्य है जहां चुनाव हुए. हरियाणा में बीजेपी की वापसी हुई लेकिन महाराष्ट्र हाथ से निकल गया. अब झारखंड की बारी है जहां 81 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं.
आजतक माय इंडिया एक्सिस एग्जिट पोल के मुताबिक झारखंड में बीजेपी की दोबारा वापसी के आसार नहीं हैं. वहीं कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है. ऐसा माना जा रहा था कि झारखंड में विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की टक्कर एनडीए और रघुवर दास से होगी. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 'घर-घर रघुवर' और 'अबकी बार पैंसठ पार' का अति उत्साही नारा भी दिया था.
बीजेपी की समस्या 'अपनों' ने बढ़ाई
लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि झारखंड की सियासत, खासकर बीजेपी में कद्दावर हैसियत रखने वाले सरयू राय के बागी होने और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के खुलकर चुनावी मैदान में उतरने के बाद बीजेपी महागठबंधन की बजाए अपनों से लड़ने में ही व्यस्त होती गई.
टिकट न मिलने से भड़का गुस्सा
बीजेपी नेताओं की आपसी लड़ाई इतनी तल्ख हो गई कि बागी हो चुके सरयू राय ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनावी मैदान में उतर गए. जिस वजह से दोनों नेताओं के बीच लड़ाई सीधी हो गई है.
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असल में, सरयू राय को इस चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था. जिसके बाद जमशेदपुर में राय ने एक संवाददाता सम्मेलन में गुस्से में कहा था, "पार्टी नेतृत्व से सीट की भीख मांगना मेरे लिए उपयुक्त नहीं है. इसलिए मैंने उनसे मेरे नाम पर विचार नहीं करने को कहा है".
नाराजगी में दिया मंत्री पद से इस्तीफा
इसी नाराजगी की वजह से ही राय ने विधायक पद के साथ-साथ मंत्रीपद से भी त्यागपत्र दे दिया था. महागठबंधन ने इस मौके को फौरन लपका, पर राय का समर्थन करने से हिचक गया. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने सरयू राय के इस कदम का स्वागत किया और रांची में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे सरयू राय के साथ खड़े हैं. उनके इस बयान के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस पार्टी ने जमशेदपुर पूर्व सीट से अपने चर्चित प्रवक्ता गौरव वल्लभ को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दी.
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नायक रहे हैं सरयू राय
अब आपको बताते हैं कि सरयू राय रघुवर दास के लिए कैसे खतरनाक हो सकते हैं. बिहार-झारखंड में हुए चारा घोटाले को जनता के सामने लाकर उसकी अदालती जांच को अंजाम तक पहुंचाने में सरयू राय की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके अलावा सरयू राय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को जेल भिजवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी. झारखंड में उनकी प्रतिष्ठा इससे काफी बढ़ गई. यही वजह है कि चुनावों में सरयू राय का रघुवर दास के खिलाफ आवाज उठाना जनमानस में एक अलग संदेश लेकर गया.
1995 में रघुवर दास ने जमशेदपुर पूर्वी सीट से लड़ा था पहला चुनाव
रघुवर दास की बात करें तो उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी सीट से पहला चुनाव 1995 में लड़ा था. उस वक्त बीजेपी ने अपने निवर्तमान विधायक दीनानाथ पांडेय का टिकट काटकर उन्हें चुनाव लड़ाया था. जिस वजह से नाराज पांडेय ने शिवसेना के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा और रघुवर दास बमुश्किल चुनाव जीत पाए. लेकिन उसके बाद से रघुवर दास लगातार इस सीट पर जीत हासिल करते रहे. 2009 में वह पहली बार झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने और साल 2014 में मुख्यमंत्री पद हासिल किया.
पिछला चुनाव 70 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे रघुवर
2014 में पिछला विधानसभा चुनाव रघुवर दास ने 70,000 से भी अधिक वोटों के अंतर से जीता था. तब यहां बीजेपी को 61.5 फीसदी वोट मिले थे. तब कांग्रेस 19.8 फीसदी वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही थी. बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दास को 1,03,427 वोट मिले थे.
अब इस तीखी और तल्ख लड़ाई के निजी रूप धरने के बाद से झारखंड विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. आखिर, रघुवर दास का राजनीतिक करियर तभी आगे बढ़ेगा, बल्कि चमकेगा अगर वह सरयू राय को हरा देते हैं. अगर दास चुनाव हार जाते हैं तो उनकी सियासी पारी पर विराम लगने का खतरा मंडराएगा.