कर्नाटक में आज कांग्रेस-जेडीएस की सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होना है. बीजेपी इस दिन को 'जनमत विरोधी दिवस' के तौर पर मनाएगी. बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन को जनविरोधी और अपवित्र बताया है. इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व बीएस येदियुरप्पा करेंगे.
बीजेपी इस प्रदर्शन को कर्नाटक के कई जगहों पर करने वाली है. बेंगलुरु में प्रदर्शन का नेतृत्व बीएस येदियुरप्पा करेंगे. वहीं, राज्य के अलग-अलग जगहों पर पार्टी के पदाधिकारी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे.
We will observe 'Janmath Virodhi Diwas' on 23rd May to condemn the unholy alliance of Congress-JD(S). BJP leaders & Karyakartas will sport 'Black Arm Band' and protest in front of Gandhi statue near Maurya Hotel, condemning this alliance which is against the people's mandate.
— B.S. Yeddyurappa (@BSYBJP) May 22, 2018
बीएस येदियुरप्पा ने इस प्रदर्शन को लेकर ट्वीट किया कि, 23 मई को हम कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के खिलाफ 'जनमत विरेधी दिवस' मनाएंगे. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता काली पट्टी बांध कर इस जन विरोधी गठबंधन का विरोध करेंगे.
बता दें, एचडी कुमारस्वामी आज शाम 4.30 बजे कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष जी परमेश्वर डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे. विधानसभा के स्पीकर का पद भी कांग्रेस को मिला है, जबकि डिप्टी स्पीकर जेडीएस से होगा.
समारोह में शामिल होने वाले विपक्ष के दिग्गजों नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी के अलावा बीएसपी प्रमुख मायावती, सपा नेता अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, डीएमके नेता कनिमोझी समेत अन्य दिग्गज नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है. कुमारस्वामी ने सभी क्षेत्रीय नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है. बता दें कि तेजस्वी यादव और ममता बनर्जी शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने के लिए पहले ही बेंगलुरु पहुंच गए हैं.
बीएस येदियुरप्पा ने दिया था इस्तीफा
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव के बाद राज्यपाल वजूभाई वाला ने बीजपी को राज्य में ज्यादा सीटें जीतने के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया था. बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने इसके बाद आनन फानन में मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी. लेकिन ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. जहां येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने को कहा गया. लेकिन सदन में बीजेपी के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी. इस वजह से बीएस येदियुरप्पा ने अपने शपथ लेने के दो दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया.