कर्नाटक का अपना किला बचाने के लिए कांग्रेस एंटी-इनकम्बेंसी से निपटने और बीजेपी के चुनाव प्रबंधन कौशल से निपटने के लिए पूरी जान लगा दे रही है. मोदी के प्रसिद्ध गुजरात मॉडल के जवाब में आईआईएम बंगलौर (IIM-B) की मदद से कांग्रेस ने एक कर्नाटक मॉडल तैयार किया है. अब यह देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस अपने इस मॉडल के सहारे मोदी-शाह की रणनीति को मात दे पाएगी?
कांग्रेस की तीन महत्वपूर्ण टीमें-राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व वाली कम्युनिकेशन विंग, दिव्या स्पंदना के नेतृत्व वाली सोशल मीडिया टीम और राजीव गौड़ा के नेतृत्व वाला रिसर्च विभाग, मिलकर इस बात की पूरी कोशिश कर रही हैं कि कर्नाटक मॉडल खासकर युवा मतदाताओं को प्रभावित कर सके और पार्टी के नेता आरएसएस-बीजेपी के हिंदुत्व या सॉफ्ट हिंदुत्व के झांसे में न फंसें.
गौरतलब है कि गुजरात मॉडल का बखान करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के विकास के नारे को पिछले चार साल में काफी सफलता मिली है. लेकिन अब इसके जवाब के लिए कांग्रेस ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, बंगलौर (IIM-B) द्वारा तैयार रिपोर्ट का सहारा लिया है. इस रिपोर्ट 'कर्नाटक इनोवेशन रिपोर्ट: स्टेकहोल्डर्स डायलॉग' को IIM-B ने दिसंबर 2017 से जनवरी 2018 में आयोजित कई सेमिनार के आधार पर तैयार किया था.
पंचायती राज
IIM-B की रिपोर्ट में सिद्धारमैया सरकार की इस बात के लिए तारीफ की गई है कि उसने पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार ने मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए स्थानीय निकायों को सशक्त बनाया है. राज्य सरकार ने पंचायत संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया है. यही नहीं, पंचायत चुनावों में वोट डालना मतदाताओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया है.
कृषि
रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में सिद्धारमैया सरकार के प्रयासों की भी तारीफ की गई है. राज्य सरकार ने NCDEX ई-मार्केट के साथ मिलकर राष्ट्रीय ई-मार्केट सेवाएं (ReMS) शुरू की
हैं, ताकि किसानों की आय में सुधार किया जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि ReMS की शुरुआत के बाद कर्नाटक की कृषि मंडियों (APMC) में करीब 3500 अरब रुपये के पैदावार की खरीद-फरोख्त हुई है. ReMS के साथ करीब 48 लाख किसान रजिस्टर्ड हैं और यह कर्नाटक के 162 में से 158 मुख्य बाजारों से जुड़ा हुआ है.
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर IIM-B का कहना है कि साल 2013-14 से 2015-16 के बीच कर्नाटक के किसानों की आय में 38 फीसदी का इजाफा हुआ है. कृषि भाग्य और कृषि होंदा जैसी योजनाओं से कर्नाटक के सिंचित इलाकों में वर्षा जल का ज्यादा प्रभावी इस्तेमाल संभव हुआ है. राज्य सरकार की 'कृषि यंत्र धरे' योजना से किसानों को बाजार से करीब 30 फीसदी कम दर पर हाईटेक कृषि मशीनरी और उपकरण मुहैया कराए जाते हैं.
स्टार्ट-अप
कर्नाटक देश में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बायोटेक्नोलॉजी (BT) का केंद्र बन गया है. भारत की 60 फीसदी बायोटेक कंपनियां कर्नाटक में ही हैं. राज्य को आईटी और बायोटेक सेक्टर से करीब 50 अरब डॉलर का राजस्व हासिल होता है. IIM-B ने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बुनियादी ढांचे की सराहना की है. ऐसी तमाम परियोजनाएं समय से और सहजता से पूरी की गई हैं.
सिद्धारमैया सरकार ने स्टार्ट-अप के लिए एक अनूठा 'एलीवेट 100' प्रोग्राम शुरू किया है. इसके तहत राज्य के करीब 1,400 स्टार्ट-अप में से 111 का चयन कर उन्हें सरकारी अनुदान देने का फैसला किया गया है. राज्य सरकार ने 6,000 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ा है और उन्हें मुफ्त वाई-फाई दिया जा रहा है.
पोषण
सिद्धारमैया सरकार के 'इंदिरा कैंटीन' की भी रिपोर्ट में तारीफ की गई है. कांग्रेस सरकार ने बेंगलुरु में 132 इंदिरा कैंटीन स्थापित किए हैं. इन कैंटीन में सबको 5 रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में लंच मिलता है. इसी तरह पोषण की एक और योजना 'मातृ पूर्णा' की भी तारीफ की गई है जिसके तहत राज्य की 12 लाख गर्भवती और नवजात शिशुओं को दुग्धपान कराने वाली महिलाओं को महीने में 25 दिन हर रोज कम से कम एक समय पोषक भोजन देना सुनिश्चित किया जाता है.
इसी तरह की एक और श्री भाग्य योजना के तहत छह महीने से लेकर छह साल तक के बच्चों को हफ्ते में पांच दिन रोज 200 एमएल. दूध उपलब्ध किया जाता है. यही नहीं, कांग्रेस सरकार की 'मोत्ते भाग्य स्कीम' तहत हफ्ते में दो दिन सभी उम्र के बच्चों को खाने के लिए अंडे उपलब्ध कराए जाते हैं.
शिक्षा
राज्य सरकार ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की तर्ज पर बंगलौर अम्बेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का गठन किया है. दलितों, आदिवासियों और ओबीसी स्टूडेंट्स के लिए 30 फीसदी आरक्षण तय किया गया है.