कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने के बाद एचडी कुमारस्वामी अपने दो सदस्यीय कैबिनेट का बुधवार को विस्तार करेंगे. इस सिलसिले में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल जेडीएस और कांग्रेस के बीच खींचतान चल रही थी. कुमारस्वामी ने कहा कि प्रथम चरण में जेडीएस से कम से कम नौ विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया जाएगा.
वहीं, कांग्रेस के 12 से अधिक विधायकों के मंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है. इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और राज्य के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के बीच दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद पार्टी ने सूची को अंतिम रूप दिया.
सूत्रों ने बताया कि राहुल ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार और दिनेश गुंडु राव तथा कर्नाटक मामलों के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ दिल्ली में लंबी चर्चा की.
हालांकि, कांग्रेस ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है. लेकिन समझा जाता है कि राहुल ने करीब 12 विधायकों की सूची को अपनी सहमति दे दी है, जिनमें शिवकुमार भी शामिल हैं.
सत्ता साझेदारी के तहत मंत्रिमंडल में कांग्रेस के कुल 22 मंत्री और जेडीएस के 12 मंत्री होंगे. कुमारस्वामी ने कहा कि दो से तीन रिक्तियां बाद में भरी जाएंगी. उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जी परमेश्वर ने कहा कि कांग्रेस के कोटे से मंत्रियों में वरिष्ठ और कनिष्ठ विधायक शामिल होंगे.
उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के साथ मुलाकात से पहले नयी दिल्ली में कहा, 'वरिष्ठ या कनिष्ठ (विभाग आवंटन में) को वरीयता देने जैसी कोई चीज नहीं है.'
गौरतलब है कि कुमारस्वामी और परमेश्वर ने 23 मई को अपने-अपने पद की शपथ ली थी. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल वाजुभाई वाला नये मंत्रियों को कल राजभवन में एक कार्यक्रम में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे.
समझौते के मुताबिक कांग्रेस को गृह, स्वास्थ्य, राजस्व और कृषि जैसे विभाग मिलेंगे. वहीं, जेडीएस को वित्त, आबकारी, पीडब्ल्यूडी आदि विभाग मिलेंगे. सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियां कुछ विभागों को रिक्त रख सकती है. जेडीएस ने क्षेत्र के आधार पर मंत्रियों को शामिल करने का फैसला किया है.
उल्लेखनीय है कि जेडीएस और कांग्रेस ने 12 मई के विधानसभा चुनाव के त्रिशंकु नतीजे आने के बाद राज्य में गठबंधन किया था. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल से मिले न्योते के बाद भाजपा ने सरकार बनाई थी, लेकिन विश्वास मत का सामना किए बगैर ही 19 मई को बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.