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कौन हैं जस्टिस सीकरी जिनके एक फैसले से पलट गया येदियुरप्पा का पासा!

अगर जस्टिस सीकरी ने राज्यपाल की समयावधि को मंजूरी दे दी होती तो शायद येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए बेहतर मौका मिलता और संभवत: कामयाब भी हो जाते. आइए जानते हैं जस्टिस एके सीकरी के बारे में...

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जस्टिस एके सीकरी
जस्टिस एके सीकरी

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पिछले 5 दिनों से कर्नाटक में जारी राजनीतिक ड्रामे का अंत हो गया है. शनिवार को फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीजेपी के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफे की घोषणा कर दी. इस पूरी प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट का अहम रोल रहा.

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई थी. लेकिन मतगणना के दौरान ही चुनाव बाद हुए कांग्रेस-जेडीएस ने गठबंधन हो जाने से बीजेपी सत्ता से दूर हो गई. बीजेपी के पास बहुमत नहीं था, बावजूद सबसे बड़े दल होने के नाते कर्नाटक के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिला दी. बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने उन्हें 15 दिनों का समय भी दिया था. राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस और जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने जो फैसला सुनाया, वह बीजेपी के लिए भारी पड़ गया. इस बेंच में जस्टिस एके सीकरी के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोडबे और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल थे.

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सीकरी के फैसले की वजह से बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ दो दिन का ही समय मिल पाया. बेहद कम समय होने की वजह से बीजेपी की तमाम योजनाओं पर पानी फिर गया. अगर जस्टिस सीकरी ने राज्यपाल की समयावधि को मंजूरी दे दी होती तो शायद येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए बेहतर मौका मिलता और संभवत: कामयाब भी हो जाते. आइए जानते हैं जस्टिस एके सीकरी के बारे में...

अर्जन कुमार सीकरी ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर 12 अप्रैल 2013 को शपथ ली थी. इससे पहले उन्होंने पंजाब हाईकोर्ट और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर अपनी सेवाएं दीं. 7 मार्च 1954 को पैदा हुए जस्टिस सीकरी को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने 1977 में वकील के तौर पर नामित किया था जिसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपनी प्रैक्टिस शुरू की. इसके अलावा 1994-95 के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे.

7 जुलाई 1999 को वह दिल्ली हाई कोर्ट के जज पद पर नियुक्त हुए. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले भी दिए हैं. जस्टिस सीकरी इच्छा मृत्यु को सशर्त अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का भी हिस्सा रहे थे.

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जस्टिस सीकरी को मैनेजिंग इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी एसोसिएशन (MIPA) ने 2007 में दुनिया भर में बौद्धिक संपदा के मामले में 50 प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया था.

जस्टिस सीकरी 10 अक्टूबर को 2011 दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस बने थे. इसके बाद सितंबर 2012 में उनकी नियुक्ति पंजाब हाई कोर्ट और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर की गई.

12 अप्रैल 2013 को वह सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के पद पर नियुक्त किए गए.

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