कर्नाटक में ऊंट किस करवट बैठेगा, ये अब तक साफ नहीं हो सका है. सत्ता का रास्ता पल-पल बदल रहा है. ताजा अपडेट ये है कि जेडीएस ने राज्यपाल को एक चिट्ठी सौंपी है जिसमें कहा गया है कि वे कांग्रेस का समर्थन ले रहे हैं. इसके साथ ही कुमारस्वामी ने राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा है.
गोवा, मेघालय और मणिपुर क्यों भूल गई बीजेपी
इस बीच कर्नाटक में कैंप कर रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि बीजेपी को कर्नाटक में ही नैतिकता क्यों याद आई? गोवा में क्यों वे नैतिकता भूल गए थे. मणिपुर और मेघालय में भी उन्हें नैतिकता याद नहीं आई? तीनों राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी. इसके बावजूद वहां बीजेपी ने सरकार बनाई. क्या उस समय वे नैतिकता भूल गए थे? उस समय जोड़-तोड़ के साथ सरकार बनाई गई थी. अब कर्नाटक में ही उन्हें नैतिकता याद आ रही है.
2002 का दिया हवाला
संवैधानिक स्थिति का उदाहरण देते हुए आजाद ने 2002 का वाकया बताया. राज्यपाल की भूमिका का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में साल 2002 के चुनाव में कांग्रेस नंबर दो की पार्टी बनी थी. सबसे बड़ी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस बनी थी, जबकि पीडीपी तीसरे नंबर पर थी. ऐसे में जब हम गवर्नर के पास सरकार बनाने का दावा करने के लिए गए तो राज्यपाल ने हमें शपथ दिलाने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि चूंकि आप नंबर दो की पार्टी हैं, लिहाजा हम आपको शपथ के लिए नहीं बुला सकते. अगर नंबर दो और तीन यानि कांग्रेस और पीडीपी समर्थन की बात लिखकर एक साथ आते हैं तो आप सरकार बना सकते हैं. इसके बाद मैंने तत्कालीन पीडीपी प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब से बात की. उसके बाद मैं मुख्यमंत्री बना.
सरकार बनी तो जेडीएस का मुख्यमंत्री
आजाद ने कहा कि आज कांग्रेस और जेडीएस ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर भेज दी है. हमने उनसे कहा है कि हमारे पास सबसे ज्यादा संख्या है. बीजेपी 104 पर है, जबकि हमारे पास सभी मिलाकर 117 सीटें हैं. हमने जेडीएस से कहा है कि अगर सरकार बनती है तो हम उन्हें समर्थन देंगे. मुख्यमंत्री जेडीएस का ही होगा. अभी इससे ज्यादा कुछ भी कहना ठीक नहीं है. इस बारे में शपथ के बाद बात की जाएगी.
राष्ट्रहित में समर्थन लेते-देते रहते हैं
आजाद ने कहा कि 1996 में तो कांग्रेस के समर्थन से ही देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे. कई दफा हम लोगों ने एक-दूसरे का समर्थन लिया है. ये कोई नई बात नहीं है. राष्ट्रीय हित में हम लोग ऐसा करते रहते हैं.
आजाद ने कहा कि हमारा ये गठबंधन सिर्फ एक साल के लिए नहीं, बल्कि पांच साल के लिए होगा. 2019 में भी साथ चुनाव लड़ने के सवाल पर आजाद ने कहा कि जब हम सरकार साथ चलाएंगे तो 2019 में अलग-अलग क्यों लड़ेंगे. हम साथ में ही लड़ेंगे.