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कर्नाटक: क्या येदियुरप्पा को जानबूझकर PM मोदी की रैलियों से दूर रखेगी BJP?

प्रधानमंत्री मोदी 1 मई से लेकर 8 मई तक कर्नाटक में रहेंगे और इस बीच वो हर दिन तीन-तीन चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. बीजेपी की कोशिश यही है कि प्रधानमंत्री के प्रचार अभियान के दौरान कर्नाटक का ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र कवर कर लिया जाए.

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नरेंद्र मोदी और येदियुरप्पा
नरेंद्र मोदी और येदियुरप्पा

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बी.एस येदियुरप्पा कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी का चेहरा हैं. इसका बीजेपी ने काफी पहले ऐलान भी कर दिया था, लेकिन अब यही येदियुरप्पा कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होने वाली चुनावी रैलियों में मंच पर नजर नहीं आएंगे. पार्टी ने येदियुरप्पा को अलग से प्रचार करने के लिए कहा है. येदियुरप्पा सिर्फ 1 मई को चामराजनगर जिले में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैली में ही नजर आएंगे. इसी रैली से प्रधानमंत्री कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने करीब एक हफ्ते के प्रचार की शुरुआत करेंगे.

आखिर क्या वजह है येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री की रैलियों से अलग रखने की? बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में येदियुरप्पा का नाम लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था. भ्रष्टाचार की बात करते हुए राहुल ने कहा था कि कैसा लगेगा जब प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक में रैलियों में मंच से बोल रहे होंगे और उनके पीछे ही येदियुरप्पा खड़े होंगे. 

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ज्यादा इलाका कवर करना है मकसद

प्रधानमंत्री मोदी 1 मई से लेकर 8 मई तक कर्नाटक में रहेंगे और इस बीच वो हर दिन तीन-तीन चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. बीजेपी की कोशिश यही है कि प्रधानमंत्री के प्रचार अभियान के दौरान कर्नाटक का ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र कवर कर लिया जाए. येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री की रैलियों से अलग रखने के पीछे भी बीजेपी का यही तर्क है कि इससे सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकेगा.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव साख का सवाल बना हुआ है. लोकसभा चुनाव के लिए एक साल ही बचा है. ऐसे में कर्नाटक में नतीजे जिस पार्टी के पक्ष में भी आते हैं, उसके लिए लोकसभा चुनाव की तैयारी में बूस्टर का काम करेंगे. इसी साल नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इन तीनों राज्यों में भी बीजेपी और कांग्रेस सीधे मुकाबले में हैं.

आखिरी समय में आ रहे हैं मोदी

बीजेपी को पूरा भरोसा है कि बीते कुछ विधानसभा चुनावों की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार की पिच पर स्लॉग ओवर्स में उतरेंगे और विरोधियों के खिलाफ जोरदार हिटिंग से माहौल पूरी तरह बीजेपी के पक्ष में कर देंगे. बीजेपी और कर्नाटक में सत्तारूढ कांग्रेस, दोनों की कोशिश है कि राज्य त्रिशंकु विधानसभा की नौबत ना आए और वे अपने बूते ही बहुमत हासिल कर लें या उसके बहुत नजदीक पहुंच जाएं. हालांकि अधिकतर ओपिनियन पोल कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा आने के ही आसार जता रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो देवेगौड़ा- कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस और अन्य किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं.

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कर्नाटक बीजेपी के प्रवक्ता वमन आचार्य पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि चुनाव नतीजे बीजेपी के पक्ष में ही आएंगे. आचार्य ने इंडिया टुडे से कहा, 'बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और येदियुरप्पा ने ग्राउंड वर्क पूरा कर रखा है. मतदाताओं का रुझान बीजेपी की तरफ है. प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार में उतरने से माहौल पूरी तरह बीजेपी के पक्ष में हो जाएगा.' 

येदियुरप्पा से नाराज है पार्टी?

कर्नाटक विधानसभा के लिए 12 मई को वोटिंग है. ऐसे में प्रचार के आखिरी 10 दिन में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. कर्नाटक के रण में प्रचार के लिए प्रधानमंत्री के पहुंचने से पहले येदियुरप्पा को लेकर सियासी गलियारों में खुसर-पुसर जारी है. येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री की रैलियों से अलग रखने के पीछे बीजेपी की और से बेशक अधिक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करना वजह बताया जा रहा हो लेकिन राजनीतिक जानकारों की ओर से ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि येदियुरप्पा से कुछ बातों को लेकर पार्टी नेतृत्व की नाराजगी हो सकती है. बता दें कि येदियुरप्पा के बेटे विजयेन्द्र ने वरुणा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. टिकट ना मिलने पर विजयेन्द्र के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.

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रेड्डी ब्रदर्स के साथ नजर आ चुके हैं येदियुरप्पा

एक वजह ये भी हो सकती है कि येदियुरप्पा ने हाल में जी. जनार्दन रेड्डी के साथ मंच शेयर किया था और ये भी कहा था कि रेड्डी ब्रदर्स की मौजूदगी क्षेत्र में 10-15 सीटों को बीजेपी के पक्ष में झुका सकती है. बेल्लारी के जनार्दन रेड्डी को खनन किंग के तौर पर कहा जाता है. अरबों रुपए के खनन घोटाले में आरोपी होने की वजह से जनार्दन रेड्डी को 43 महीने जेल में भी रहना पड़ा था. सुप्रीम कोर्ट ने जनार्दन रेड्डी के बेल्लारी में घुसने पर भी रोक लगा दी थी. जनार्दन के दो भाई- सोमाशेखर रेड्डी, करुणाकर रेड्डी और बेहद करीबी श्रीरामुलु समेत उनके नजदीकियों को बीजेपी ने इस चुनाव में आठ टिकट दिए हैं. जनार्दन का बेल्लारी से दूर रह कर ही पार्टी के उम्मीदवारों के प्रचार से जुड़ाव है. जाहिर है बीजेपी ने बेल्लारी और आसपास बेशक रेड्डी ब्रदर्स और उनके करीबियों पर इस बार बड़ा दांव खेला है. लेकिन पार्टी साथ ही ये सतर्कता बरत रही है कि कर्नाटक चुनाव में ये संदेश ना जाए कि दागियों को अधिक भाव दिया जा रहा है.

येदियुरप्पा के नाम पर सहमति मुश्किल

येदियुरप्पा को लेकर सभी अटकलों को खारिज करते हुए वमन आचार्य कहते हैं, येदियुरप्पा ने खुद ऐलान किया कि उनका बेटा चुनाव नहीं लड़ेगा. बीजेपी में सभी के लिए पार्टी की जीत ही मायने रखती है. पार्टी सूत्रों की ओर से ये भी कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा को सीएम के लिए पार्टी अपना चेहरा घोषित कर चुकी है और इस फैसले को बदलने का कोई इरादा नहीं है.

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सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि अगर कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा आती है और बीजेपी को जेडीएस से हाथ मिलाने की नौबत आई तो गठबंधन के नेता के तौर पर येदियुरप्पा के नाम पर सहमति बनना नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर होगा. बहरहाल, कयासों से अलग बीजेपी और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की अब यही कोशिश रहेगी कि प्रचार के आखिरी दिनों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया जाए.

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