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देश का 'सबसे महंगा चुनाव' बना कर्नाटक इलेक्‍शन, 10 हजार करोड़ रुपये हुए खर्च

ये चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए बेहद अहम है. आज जहां पीएम मोदी के मैजिक की आजमाइश है, वहीं राहुल गांधी की रणनीति का इम्तहान भी है. साथ ही कांग्रेस के सिद्धारमैया और बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा की साख भी दांव पर है.

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कर्नाटक चुनाव में मतगणना आज
कर्नाटक चुनाव में मतगणना आज

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आज कर्नाटक की सियासी परीक्षा के परिणाम का दिन है. नतीजे आने शुरू हो गए हैं. 12 मई को राज्य की 222 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ था. कर्नाटक विधानसभा चुनाव राजनीतिक पार्टियों और उनके द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में देश में आयोजित ‘अब तक का सबसे महंगा’ विधानसभा चुनाव रहा. कुल 5.06 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से रिकॉर्ड 72.13 प्रतिशत ने मतदान किया था.

ये चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए बेहद अहम है. आज जहां पीएम मोदी के मैजिक की आजमाइश है, वहीं राहुल गांधी की रणनीति का इम्तहान भी है. साथ ही कांग्रेस के सिद्धारमैया और बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा की साख भी दांव पर है.

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अपने सर्वे में इसे सबसे महंगा चुनाव बताया है. इसके द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कर्नाटक चुनाव को ‘धन पीने वाला’ बताया है. सीएमएस के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों द्वारा कर्नाटक चुनाव में 9,500 से 10,500 करोड़ रुपये के बीच धन खर्च किया गया.

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पिछले चुनाव से दोगुना खर्च

यह खर्च राज्य में आयोजित पिछले विधानसभा चुनाव के खर्च से दोगुना है. सर्वेक्षण में बताया गया कि इसमें प्रधानमंत्री के अभियान में हुआ खर्च शामिल नहीं है. पिछले 20 वर्षों के सीएमएस द्वारा किए गए जमीनी सर्वेक्षण यह संकेत देते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुआ खर्च आम तौर पर देश के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुए खर्च से ज्यादा है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु देश में विधानसभा चुनाव में खर्च के मामले में सबसे आगे हैं.  

सीएमएस के एन भास्कर राव ने कहा कि खर्च की दर अगर यही रही तो 2019 के लोकसभा चुनाव में 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. पिछले लोकसभा चुनाव में 30,000 करोड़ रुपया खर्च हुआ था. राज्य में 12 मई को चुनाव आयोजित किया गया था और आज मतगणना हो रही है.

लोकसभा चुनाव भी होगा महंगा

सर्वेक्षण में पाया गया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो कुल चुनावी खर्च हुआ हैं, उसमें व्यक्तिगत उम्मीदवारों का खर्च 75 फीसदी तक बढ़ गया है. संगठन ने एक बयान में कहा कि ऐसे में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार का खर्च 55-60 फीसदी बढ़ने की संभावना है, जबकि राजनीतिक पार्टियों का खर्च 29-30 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है, जो कि 12,000-20,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है.

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कौन बनेगा सीएम?

वैसे इस महंगे चुनाव के बाद कर्नाटक में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, इस बात का खुलासा कुछ ही घंटे में हो जाएगा. कांग्रेस की ओर सिद्धारमैया और बीजेपी की ओर से बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. इन 2 नामों के अलावा 3 और ऐसे नाम हैं, जो सीएम की कतार में हैं. दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक के सियासी गलियारों में चर्चा है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की सूरत में इन 3 नामों में से किसी 1 के सिर मुख्यमंत्री का ताज सज सकता है.

मतगणना में अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरती है, लेकिन बहुमत से दूर रहती है तो सिद्धारमैया के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को करारा झटका लगेगा. JDS सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार नहीं होगी. सिद्धारमैया भी दलित चेहरे के लिए मुख्यमंत्री की दावेदारी छोड़ने को तैयार दिख रहे हैं.

ऐसे में पार्टी में दलित चेहरे के रूप में सबसे मजबूती से मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जी परमेश्वर का नाम सामने आता है. वहीं जेडीएस के पास सत्ता की चाबी है. ऐसे में जेडीएस के कुमारस्वामी के भी मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है.

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