कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सत्तारूढ़ कांग्रेस को पटखनी दे दी है. कांग्रेस को यह शिकस्त कर्नाटक के उन सभी 6 राजनीतिक जोन में मिली है जिनमें से कम से कम तीन जोन को कांग्रेस का गढ़ कहा गया है. राज्य विधानसभा की 222 सीटों पर वोटों की गिनती पूरी होने के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी और 36.2 फीसदी वोट शेयर के साथ 104 सीटों पर विजयी हुई. वहीं 38 फीसदी वोट शेयर के साथ राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को महज 78 सीटों पर जीत मिली. राज्य की क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस ने 18.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 38 सीटों पर जीत हासिल हुई.
बीजेपी की इस जीत के लिए यदि कर्नाटक के सभी जोन ओल्ड मैसूर, कोस्टल-कर्नाटक, बंगलुरू-कर्नाटक, मुंबई-कर्नाटक, सेंट्रल कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक जिम्मेदार है तो वहीं कांग्रेस के लिए इन सभी जोन में खराब प्रदर्शन के साथ-साथ कोस्टल कर्नाटक, सेंट्रल-कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक और ओल्ड मैसूर के अपने गढ़ को गंवा दिया.
ओल्ड मैसूर क्षेत्र
ओल्ड मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. हालांकि यहां बीजेपी की क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस से सांठगांठ तुरुप का इक्का साबित हुआ. इन चुनावों में कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली तो बीजेपी को 9 सीटों पर जीत दर्ज हुई. बीजेपी-जेडीएस का कांग्रेस के खिलाफ लामबंदी से इस क्षेत्र में जेडीएस को कुल 28 सीटों पर जीत हासिल हुई.
इसे पढ़ें: उल्टा पड़ा कांग्रेस का दांव, टीपू सुल्तान के इलाके में BJP पर बरसे वोट
वहीं 2013 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस को 40 सीट तो 2008 के चुनावों में उसे 41 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं 2008 में जेडीएस को ओल्ड मैसूर क्षेत्र में 18 सीट तो 2013 में उसे 30 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं 2013 में बीजेपी को इस क्षेत्र में महज 5 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी.
इन आंकड़ों से साफ है कि इस क्षेत्र में बीजेपी-जेडीएस सांठगांठ से कांग्रेस को यह मजबूत गढ़ गंवाना पड़ा. वहीं बीजेपी ने इस क्षेत्र में कांग्रेस के बराबर पकड़ बनाई तो सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर जेडीएस ने कांग्रेस की सरकार बनाने की क्षमता को सबसे करारा झटका दिया.
कोस्टल-कर्नाटक क्षेत्र
कर्नाटक का कोस्टल क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन के बूते कांग्रेस ने 2013 में राज्य की सरकार का नेतृत्व किया था लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस को यहां बीजेपी के हाथों मुंह की खानी पड़ी. इन चुनावों में जहां कांग्रेस को महज 3 सीट जीतने को मिली वहीं क्षेत्र की 21 सीटों में बीजेपी को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई. वहीं 3 सीटें अन्य के खाते में गई है.
ठीक इसी तरह 2013 के चुनावों में बीजेपी को इस क्षेत्र में मुंह की खानी पड़ी थी और वह सिर्फ एक सीट जीतने में सफल हुई थी. वहीं 2008 के चुनावों बीजेपी ने इस क्षेत्र की दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी. गौरतलब है कि 2013 से पहले इस क्षेत्र को बीजेपी का सबसे मजबूत किला समझा जाता था और अब 2018 में इस प्रदर्शन के बाद एक बार फिर कोस्टल कर्नाटक राज्य की सत्ता को बीजेपी के हाथ सुपुर्द करने में सबसे कारगर भूमिका में रहा.
बंगलुरू-कर्नाटक क्षेत्र
कर्नाटक राजनीति की दिशा बेंगलुरू में हुई वोटिंग से भी निर्धारित होती है. राजधानी बेंगलुरू और इर्दगिर्द की विधानसभा सीटों पर आमतौर पर विकास के नाम पर वोटिंग देखने को मिलती है. इन चुनावों में इस क्षेत्र की 15 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली तो 11 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार हावी रहे. यहां 4 सीटें जेडीएस के खाते में गई.
इसे पढ़ें: कर्नाटक में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी बीजेपी, लेकिन किसी को भी बहुमत नहीं
विधानसभा चुनाव 2008 में इस क्षेत्र ने बीजेपी से उम्मीद रखी थी लेकिन 2013 के चुनावों में इस क्षेत्र ने विकास के लिए कांग्रेस पर भरोसा किया. 2013 के चुनावों में बीजेपी को कांग्रस से एक कम सीट पर जीत दर्ज हुई थी. इस क्षेत्र की कुल 28 विधानसभा सीटों में 201 के चुनावों में बीजेपी को 12 और कांग्रेस को 13 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं 2008 के चुनावों में इस क्षेत्र में बीजेपी को कुल 17 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी. 2018 के चुनाव नतीजों में एक बार फिर बीजेपी को कांग्रेस से अधिक सीटें मिल रही है.
मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र
कर्नाटक के मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र में उत्तर कर्नाटक के सात जिले शामिल हैं. 2018 विधानसभा चुनावों के नतीजों में इस क्षेत्र में कांग्रेस को महज 17 सीटें तो बीजेपी को 30 सीटों पर जीत मिली है. वहीं जेडीएस के खाते में 2 और अन्य के खाते में 1 सीट दर्ज हुई है.
राज्य में सरकार बनाने के लिए यह एक अहम क्षेत्र है. विधानसभा चुनाव 2013 के नतीजों के आधार पर इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना गया क्योंकि इन चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को तगड़ी शिकस्त देते हुए अपनी उम्मीद से भी अधिक 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी को महज 14 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं 2008 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इस क्षेत्र में 38 सीटों पर अप्रत्याशित जीत देखने को मिली थी.
सेंट्रल कर्नाटक क्षेत्र
विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को सेंट्रल कर्नाटक का अपना मजबूत गढ़ गंवाना पड़ा. इस क्षेत्र में कर्नाटक के टुमकुर, दावनगेरे, चित्रदुर्ग और शिमोगा जिले की विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन चुनावों में इस क्षेत्र की 11 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली को 24 सीटें बीजेपी के नाम रही. वहीं जेडीएस को भी इस क्षेत्र में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.
2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं जेडीएस ने इन चुनावों में कुल 10 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए बीजेपी को महज 2 सीट पर सीमित कर दिया था.
हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र
हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र राज्य का वह क्षेत्र है जो आंध्रप्रदेश से सटा हुआ है. इस क्षेत्र में कुल 31 विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन चुनावों में इस क्षेत्र पर कांग्रेस ने अपनी साख बचाने में थोड़ी सफलता पाई है. कांग्रेस के 15 उम्मीदवार इस क्षेत्र से विजयी रहे जबकि बीजेपी को यहां 13 सीटों पर जीत दर्ज हुई है. जेडीएस ने यहां 3 सीटों पर जीत दर्ज की है. 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इस क्षेत्र में 19 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी वहीं बीजेपी को महज 4 सीटें मिली थी.