कर्नाटक चुनाव में वैसे तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. लेकिन अभी भी वो जादुई आंकड़े 112 से 4 कदम दूर है. ऐसे में सरकार बनाने के लिए बीजेपी की राह भी आसान नहीं है.
दरअसल अगर कांग्रेस+जेडीएस के आंकड़े 112 तक पहुंच जाते हैं तो फिर बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस दो फॉर्मूले पर अपनी ताकत झोंक देगी. पहला कांग्रेस चाहेगी कि सभी गिले-शिकवे भुलाकर जेडीएस उसे समर्थन कर दे. इस कड़ी में अगर जेडीएस सिद्धारमैया के नाम पर असहमत होती है तो कांग्रेस बिना देर किए जेडीएस की पसंद वाले कांग्रेसी सीएम पर मुहर लगा देगी.
दूसरा फॉर्मूला ये है कि जेडीएस भी करीब 40 सीटें जीतती दिख रही है, और कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार कमजोर हुई है. ऐसे में अगर जेडीएस अपना मुख्यमंत्री का दावा पेश करती है तो कांग्रेस इस पर भी विचार कर सकती है, क्योंकि भले ही सीएम की कुर्सी जेडीएस के पास होगी, लेकिन कांग्रेस अपनी रणनीति पर कामयाब रहेगी. कांग्रेस हर हाल में बीजेपी को सत्ता से दूर रखना चाहती है.
कांग्रेस सोमवार से ही कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए प्लान-बी में जुट गई है. इसी कड़ी कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत सोमवार को ही बेंगलुरु पहुंच गए. कहा जा रहा है कि कांग्रेस जेडीएस प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के साथ संपर्क में है.
लेकिन कांग्रेस को सरकार बनाने या फिर सरकार में भागीदार बनने का मौका तभी मिलेगा, जब बीजेपी अपने दम सरकार नहीं बना पाएगी. इसके अलावा अगर जेडीएस बीजेपी को समर्थन देने से मना कर दे. लेकिन फिलहाल जब तक पूरे आंकड़े नहीं आ जाते तब तक केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं.
इस बीच बीजेपी ने भी प्लान-बी पर भी काम करना शुरू कर दिया है. अगर बीजेपी बहुमत से कुछ दूर रहती है तो पहले निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाने की कोशिश होगी. लेकिन आंकड़े निर्दलीय विधायकों को साथ लेने पर भी नहीं पूरे होने की स्थिति में जेडीएस को साथ लाना जरूरी हो जाएगा. इसी कड़ी में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए हैं. वैसे बीजेपी ने पहले की संकेत दे दिया था कि जेडीएस से उसे परहेज नहीं है.