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कर्नाटक: 40 साल में 15 CM, सिर्फ सिद्धारमैया कर पाए कार्यकाल पूरा

1952 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और के हनुमंत्याह पहले सीएम बने. 1954 में राज्यों के पुर्नगठन के बाद 1956 में मैसूर को राज्य का दर्जा मिला. 1956 से 1972 तक मैसूर राज्य रहा, इस दौरान पांच मुख्यमंत्री चुने गए.

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कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

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कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या सिद्धारमैया अपनी कुर्सी बचा पाएंगे? क्या बी एस येदियुरप्पा दोबारा कर्नाटक के किंग बनेंगे? इन सवालों के जवाब तो 15 मई को मिलेंगे जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती के परिणाम सामने आएंगे लेकिन सिद्धारमैया ने एक रिकॉर्ड तो अपने नाम कर ही लिया है. कर्नाटक की सियासत में सिद्धारमैया ऐसे पहले सीएम हैं, जिन्होंने राज्य के पिछले चार दशक के इतिहास में पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया है.

कर्नाटक विधानसभा बनने से पहले इसे मैसूर नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद से अब तक यहां 28 मुख्यमंत्री रहे हैं. 1947 से लेकर 1956 के बीच मैसूर से तीन मुख्यमंत्री हुए. 1952 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और के हनुमंत्याह पहले सीएम बने. 1954 में राज्यों के पुर्नगठन के बाद 1956 में मैसूर को राज्य का दर्जा मिला. 1956 से 1972 तक मैसूर राज्य रहा, इस दौरान पांच मुख्यमंत्री चुने गए.

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1972 में मैसूर राज्य को कर्नाटक नाम मिला. 1972 में पांचवें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई और मुख्यमंत्री डी देवराज उर्स मुख्यमंत्री बने. वे कर्नाटक के पहले सीएम हैं जो 5 साल 286 दिन तक अपने पद रहे. इतने लंबे समय तक कोई दूसरा सीएम नहीं रहा. इसके बाद पांच साल के कार्यकाल पूरा करने वाले सीएम के तौर पर सिद्धारमैया का ही नाम आता है.

कर्नाटक के 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया, तो सत्ता के सिंहासन पर सिद्धारमैया विराजमान हुए. उन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. जबकि 1978 से लेकर अब तक करीब 15 मुख्यमंत्री बने और 5 बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है. इस दौरान सिद्धारमैया को छोड़कर कोई दूसरा मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. इतना ही नहीं 1999 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता और एसएम कृष्णा सीएम बने, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.

2008 में बीजेपी ने पहली बार कर्नाटक के जरिए दक्षिण भारत में एंट्री की. कर्नाटक में बीजेपी के लिए कमल खिलाने का श्रेय बीएस येदियुरप्पा को मिला, लेकिन वे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.

येदियुरप्पा तीन साल 62 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट येदियुरप्पा के गले की फांस बनी और उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से अपनी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी गंवानी पड़ी.

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येदियुरप्पा की जगह सदानंद गौड़ा सीएम बने, लेकिन वे एक साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकें. पार्टी ने उनकी जगह जगदीश शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाया. शेट्टार सीएम के पद पर महज 304 दिन रहे और उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी एक बार फिर बीएस येदियुरप्पा को सीएम के चेहरे पर आगे करके रणभूमि में उतरी है, तो वहीं कांग्रेस सीएम सिद्धारमैया के सहारे सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रही है.

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