दक्षिणी कर्नाटक में कांग्रेस का सारा दारोमदार डीके शिवकुमार पर है. वो रामनगर जिले के कनकपुरा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. हालांकि, एक दौर था जब इस क्षेत्र में जेडीएस सबसे मजबूत माना जाता था. लेकिन शिवकुमार ने इसे कांग्रेस का गढ़ बना दिया है. ऐसे में उन्हें इस सीट से मात देना जेडीएस और बीजेपी के लिए आसान नहीं है.
कनकपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार डीके शिवकुमार के खिलाफ बीजेपी ने नंदिनी गौड़ा को उतारा है. वहीं जेडीएस ने नारायण गौड़ा पर दांव लगाया है. कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं.
2013 के विधानसभा चुनाव में कनकपुरा सीट से डीके शिवकुमार ने दूसरी बार जीत हासिल की थी. चुनाव में उन्हें 1 लाख वोट मिले थे. वहीं जेडीएस उम्मीदवार पीजीआर सिंधिया को 68 हजार 583 वोट मिले थे. इस तरह से शिवकुमार ने 31 हजार 424 वोट से जीत हासिल की थी.
कनकपुरा विधानसभा सीट पर 1957 से अब तक 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें ज्यादातर गैर कांग्रेसी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. कांग्रेस इस सीट पर महज 5 बार ही चुनाव जीत सकी है. जबकि 2 बार जेडीएस, 2 बार जनता दल और 2 बार जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. इसके अलावा एक बार निर्दलीय और एक बार पीएसपी ने जीत हासिल की है.
कनकपुरा सीट पर कांग्रेस का खाता 1967 में खुला था. इसके बाद पीजीआर सिंधिया ने 1983 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर यह सीट छीन ली थी. उन्होंने लागतार 6 बार चुनावी जीत हासिल की. 2008 में कांग्रेस के डीके शिवकुमार ने जेडीएस से यह सीट छीन ली. जिसके बाद से वे 2 बार चुनाव जीत चुके हैं.
शिवकुमार तीसरी बार कनकपुरा सीट से चुनावी मैदान में हैं. वे वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. बीजेपी और जेडीएस ने भी वोक्कालिगा समुदाय पर दांव लगाया है. शिवकुमार कांग्रेस के सबसे अमीर उम्मीदवारों में गिने जाते हैं. उन्होंने नामांकन के दौरान हलफनामे में अपनी करीब 840 करोड़ रुपए की संपत्ति का ब्योरा दिया है.