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कर्नाटक चुनाव: BJP का मजबूत दुर्ग है मुधोल, कांग्रेस-JDS के लिए कड़ी चुनौती

मुधोल क्षेत्र की एक पहचान दुनिया भर में शिकारी कुत्ते की बेहतर नस्ल के लिए है. मुधोल के महाराजा ने 1900 के दौर में इंग्लैंड के किंग जॉर्ज पंचम को एक जोड़ी शिकारी कुत्ते भेंट किए थे. मुधोल में शिव का एक बहुत पुराना भूमिगत मंदिर है. साथ ही मुधोल यहां पाए जाने वाले बारीक पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है. उत्तर कर्नाटक के बागलकोट जिले की मुधोल विधानसभा सीट 1978 से 2008 तक अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित थी. परिसीमन के बाद 2013 में ये सामान्य सीट हो गई.

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मुधोल से बीजेपी विधायक गोविंद करजोल
मुधोल से बीजेपी विधायक गोविंद करजोल

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कर्नाटक की मुधोल सीट प्रमुख विधानसभा सीटों में से एक है. ये बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है. राज्य में बीएस येदियुरप्पा के बाद बीजेपी के दूसरे नंबर के नेता के तौर पर गोविंद करजोल का नाम आता है. वे इस सीट से विधायक हैं और एक बार फिर से बीजेपी ने उन्हें चुनाव मैदान में अपना चेहरा बनाया. कांग्रेस ने यहां से सतीश चिन्नपा बंदीवद्दार को टिकट दिया, तो वहीं जेडी (एस) ने शंकर नाईक पर दांव लगाया. अब देखने वाली बात यह है कि बीजेपी इस सीट को बचा पाती है या फिर कांग्रेस और जेडीएस यहां से जीत का परचम लहराती है.

मुधोल सीट पर अन्य प्रत्याशी

शिवसेना के अरविंद कांबली, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के भीमराव कालवगोल, प्रबुद्ध रिपब्लिकन पार्टी के रमेश गोन्यागोल, कर्नाटक राज्य रैयत संघ के बस्वंत लक्ष्मण कांबली और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने मुधोल सीट से चुनाव मैदान में ताल ठोका है. गोविंद करजोल कर्नाटक की सियासत के ऐसे नेता हैं जिनका सियासी रुतबा ही उनकी जीत की गारंटी रहा है. इस सीट पर बीजेपी का मजबूत कब्जा है. ऐसे में कांग्रेस और जेडीएस के लिए इस सीट पर जीतना एक बड़ी चुनौती है.

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मुधोल क्षेत्र की एक पहचान दुनिया भर में शिकारी कुत्ते की बेहतर नस्ल के लिए है. मुधोल के महाराजा ने 1900 के दौर में इंग्लैंड के किंग जॉर्ज पंचम को एक जोड़ी शिकारी कुत्ते भेंट किए थे. मुधोल में शिव का एक बहुत पुराना भूमिगत मंदिर है. साथ ही मुधोल यहां पाए जाने वाले बारीक पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है. उत्तर कर्नाटक के बागलकोट जिले की मुधोल विधानसभा सीट 1978 से 2008 तक अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित थी. परिसीमन के बाद 2013 में ये सामान्य सीट हो गई.

मुधोल सीट पर चुनाव की शुरुआत

कर्नाटक में बीजेपी के सबसे अनुभवी चेहरे के तौर पर गोविंद करजोल की पहचान होती है. वे बीजेपी कर्नाटक इकाई के उपाध्यक्ष हैं. करजोल 1994 में जनता दल के टिकट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रामप्पा बालप्पा के खिलाफ चुनाव जीते थे. इसके बाद 1999 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बालप्पा के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा, लेकिन 2004, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर गोविंद ने इस सीट को बीजेपी का मजबूत दुर्ग बना दिया.

इस बार कांग्रेस ने गोविंद करजोल को मात देने के लिए अपने पुराने नेता रामप्पा बालप्पा की जगह सतीश चिन्नपा बंदीवद्दार को टिकट दिया. हालांकि रामप्पा बालप्पा टिकट मांग रहे थे. पर पार्टी ने सतीश पर भरोसा जताया. पार्टी इस उम्मीद में है कि गोविंद करजोल के मजबूत किले में वे कांग्रेस की जीत का परचम लहराने में कामयाब हो सकते हैं.

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जेडीएस ने शंकर नाईक को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है. नाईक 2003 में अखिल भारतीय प्रगतिशील जनता दल (एआईपीजेडी) का दामन छोड़कर जेडीएस में आए थे. ऐसे में पार्टी ने उनपर भरोसा जताया.

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मुधोल तालुका में बड़ी संख्या में हैंडलूम हैं, जहां हस्तनिर्मित साड़ी बनाई जाती हैं. इन साड़ियों की देश भर में अच्छी मांग है. इसके अलावा मुधोल कई चीनी कारखानों के लिए भी पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस बुनकरों को दिए जाने वाले फायदे गिना रही है, जबकि जेडीएस गन्ना किसानों के जरिए अपनी जीत की उम्मीद लगाए हुए है.

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