कर्नाटक की चुनावी जंग अब चरम पर पहुंच गई है. मतदान में सिर्फ 3 दिन बचे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक चुनाव को आर-पार की जंग के रूप में ले रहे हैं. यही कारण है कि दोनों दलों के मेनिफेस्टो में महिलाओं, युवाओं, किसानों और गांवों को फोकस करके कई सारे वादे किए गए हैं.
तमाम जातीय और धार्मिक समीकरणों के सहारे दोनों दलों को अपनी-अपनी जीत का भरोसा है. जेडीएस भी राज्य के चुनावी समर में अपनी किस्मत आजमा रही है. 12 मई को 223 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. मोदी मैजिक और येदियुरप्पा के लिंगायत कार्ड के जरिए बीजेपी पूरा जोर लगाए हुए है. बीजेपी के लिए कर्नाटक की जीत कई मायनों में बहुत जरूरी है.
1. पार्टी के लिए 2019 की गाड़ी पटरी पर आ जाएगी
गुजरात के मुश्किल लेकिन विजयी मुकाबले के बाद कर्नाटक की जीत बीजेपी के लिए 2019 से पहले किसी सेमीफाइनल से कम नहीं है. अगर बीजेपी जीतती है तो इससे जहां 2019 के मिशन के लिए बीजेपी की चुनावी रणनीति को मजबूती मिलेगी. वहीं, आने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए भी ये जीत संजीवनी साबित हो सकती है. पीएम मोदी ने कर्नाटक के कार्यकर्ताओं के लिए ‘पोलिंग बूथ जीतो और चुनावी जीत तय’ का मंत्र दिया है. ये आगे के चुनावों के लिए भी विजयमंत्र बन सकता है. पीएम मोदी का ये मंत्र अमित शाह की रणनीति के रूप में कर्नाटक चुनाव में धरातल पर उतर भी चुका है. बीजेपी ने हर विधानसभा सीट को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर अलग-अलग नेता को उसका जिम्मा दिया है. यूपी में भी बीजेपी का पन्ना प्रमुखों का प्रयोग सफल रहा था.
2. ब्रांड मोदी को मिलेगी मजबूती
कर्नाटक को अगर जीतने में बीजेपी कामयाब होती है तो कांग्रेस के कर्नाटक मॉडल के सामने मोदी का गुजरात मॉडल मजबूत साबित होगा. 2014 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत के बाद ब्रांड मोदी का सफल अभियान अब तक जारी है. 20 राज्यों में बीजेपी और सहयोगी दलों की सरकारें हैं. बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में वाम गढ़ पर कब्जा कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. इसी के मद्देनजर अब कर्नाटक की जीत पर पार्टी की नजर है. अगर ये जीत हासिल होती है तो इससे एक बार फिर ब्रांड मोदी को मजबूती मिलेगी और 2019 के चुनावों में पार्टी की रणनीति को धार मिलेगी. विपक्ष में राहुल गांधी के मुकाबले में मोदी मैजिक फिर कारगर साबित होगा. क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी का दांव येदियुरप्पा से ज्यादा मोदी मैजिक पर है जबकि कांग्रेस केंद्रीय नेताओं की जगह सिद्धारमैया कार्ड पर ज्यादा निर्भर है.
3. विरोध के मुद्दों पर विपक्ष की धार कमजोर होगी
गुजरात चुनाव के समय से कांग्रेस हमलावर है और बीजेपी तमाम मुद्दों पर घिरी हुई. कर्नाटक में कांग्रेस और ज्यादा मुखर है क्योंकि इस बार वह अपने दुर्ग में लड़ाई लड़ रही है. राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर मोदी सरकार की नीतियों को निशाना बना रहे हैं और बीजेपी सिर्फ बचाव और जवाबी मुद्रा में दिख रही है. लेकिन अगर पार्टी कर्नाटक में जीतती है तो ये उसके लिए संजीवनी साबित हो सकती है. किसानों-दलितों के मुद्दों, रोजगार और विकास के गुजरात मॉडल को लेकर पार्टी तब और मुखर तरीके से विपक्ष का सामना कर पाएगी. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊपर होगा. 2019 के चुनावी रण से पहले कर्नाटक में जीत इस मायने से बीजेपी के लिए काफी अहम है.
4. दक्षिण भारत में जीत का नया दौर शुरू होगा
2008 के चुनाव में येदियुरप्पा के चेहरे को आगे कर बीजेपी ने कर्नाटक का रण जीत दक्षिण भारत में खाता खोला था. इस बार फिर येदियुरप्पा का चेहरा पार्टी ने आगे किया है. इस बार येदियुरप्पा कार्ड के साथ मोदी मैजिक भी है. संघ और बीजेपी ने 2019 के मद्देनजर संगठन के स्तर पर दक्षिण भारत में पिछले कुछ सालों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है. अमित शाह का मिशन 120 उन दक्षिणी और पूर्वोत्तर के राज्यों पर ही केंद्रित है जहां बीजेपी 2014 में जीत हासिल नहीं कर सकी थी लेकिन संभावनाएं अच्छी बनी थी. कर्नाटक जीतकर बीजेपी दक्षिण भारत में विजय यात्रा शुरू करना चाहेगी. इसके बाद बीजेपी तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना-हैदराबाद पर फोकस कर सकेगी.
5. कांग्रेस मुक्त भारत का नारा और बुलंद होगा
बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के लिहाज से कर्नाटक के नतीजे काफी अहम होंगे. पंजाब के अलावा अब सिर्फ कर्नाटक कांग्रेस के पास मजबूत गढ़ के रूप में बचा है. अगर कर्नाटक जीतने में बीजेपी सफल रहती है तो उसका असर दूरगामी हो सकता है. बीजेपी आगामी विधानसभा चुनावों में और 2019 के चुनावी अभियान में पूरे मनोबल के साथ उतरेगी. कांग्रेस को झटका लगने से तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज होगी और विपक्षी फूट का फायदा उठाने की रणनीति पर बीजेपी काम करेगी. इन सब कारणों से बीजेपी किसी भी कीमत पर कर्नाटक का रण जीतना चाहेगी.