कर्नाटक की सियासत में ओल्ड मैसूर जेडीएस का मजबूत किला माना जाता है. इसे दक्षिणी कर्नाटक भी कहते हैं. बीजेपी इस इलाके में उतनी मजबूत नहीं है. यहां सीधी लड़ाई कांग्रेस और जेडीएस के बीच मानी जा रही है. बीजेपी पहली बार दक्षिणी कर्नाटक में अपना आधार बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रही है.
दक्षिणी कर्नाटक में 57 विधानसभा सीटें
दक्षिणी कर्नाटक (ओल्ड मैसूर) क्षेत्र में कुल 7 जिले आते हैं. इनमें चामराज नगर, हासन, मांड्या, मैसूर, कोलार, तुमकुर और चिक्कबल्लपुर आते हैं. राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों में से 57 सीटें दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र से आती हैं. इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर वोक्कालिगा समुदाय का है और दूसरे नंबर पर दलित और कोरबा समुदाय के लोग हैं. देवगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, जबकि सिद्धारमैया कोरबा समुदाय से.
जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा हासन जिले से आते हैं. कांग्रेस के एच मुन्नियप्पा और डी शिव कुमार भी इसी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा देवगौड़ा के दोनों बेटे एचडी कुमारस्वामी और एचडी रवन्ना इसी इलाके से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि बीजेपी विधायक संजय पाटिल भी इसी क्षेत्र से आते हैं.
2013 के विधानसभा चुनाव में दक्षिणी कर्नाटक में भी कांग्रेस ने जबर्दस्त जीत हासिल की थी. इस क्षेत्र की 57 विधानसभा सीटों में से 27 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. इसके बाद 25 जेडी (एस) ने और तीन बीजेपी ने जीती थीं.
2013 के चुनाव में वोट शेयर के मामले में भी कांग्रेस को 38 फीसदी वोट मिले जबकि जेडीएस को 34 फीसदी और बीजेपी को आठ प्रतिशत वोट मिले. केजेपी को यहां 9 प्रतिशत वोट मिले थे.
विधानसभा चुनाव के एक साल के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपना किला बचाने में सफल रही. कांग्रेस को दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में 42 फीसदी वोट मिले जबकि जेडीएस को 29 फीसदी और बीजेपी को 24 फीसदी वोट मिले. लोकसभा चुनाव में वोटिंग के पैटर्न को अगर विधानसभा के सीटों के लिहाज से देखते हैं तो कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि जेडीएस ने 14 सीटों पर और बीजेपी ने 9 विधानसभा सीटों पर विजय हासिल की थी.
कर्नाटक की सत्ता के किंगमेकर बनने के लिए जहां जेडीएस ने पूरी ताकत इसी इलाके में लगा रही है, तो वहीं कांग्रेस इस क्षेत्र के सहारे एक बार फिर सत्ता में वापसी करना चाहती है. सिद्धारमैया ने दक्षिणी कर्नाटक की जिम्मेदारी अपने दिग्गज नेता एचडी शिवकुमार के दे रखी है.
राजनीतिक जानकार कांग्रेस और जेडीएस के बीच सीधा मुकाबला मानते हैं. इस क्षेत्र में वोक्कालिगा और दलित वोटर ही हार और जीत तय करने की ताकत रखते हैं. कांग्रेस से आए पूर्व केंद्रीय मंत्री एस एम कृष्णा के सहारे बीजेपी यहां अपनी नैया पार लगाने की जुगत में है.