scorecardresearch
 

'ऑपरेशन लोटस' का नायक एक बार फिर बना कर्नाटक का किंग

येदियुरप्पा अपनी पुरानी परंपरागत शिकारीपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे. ये लिंगायत बहुल सीट मानी जाती है. येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं. कांग्रेस ने उनके खिलाफ जीबी मालतेश को उतारा, वहीं जेडीएस ने एचटी बालिगर पर दांव लगाया.

Advertisement
X
बीएस येदियुरप्पा
बीएस येदियुरप्पा

Advertisement

कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे बीएस येदियुरप्पा का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है और इसी के बूते बीजेपी बहुमत के करीब पहुंच गई है. दक्षिण भारत में बीजेपी दूसरी बार सत्ता में आती दिख रही है और इस कामयाबी का सेहरा येदियुरप्पा के सिर बंधता है, जिन्होंने 2008 के चुनाव में 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए सत्ता हासिल की थी, उस चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

चावल मिल के क्लर्क और एक किसान नेता से आगे बढ़कर येदियुरप्पा दक्षिण में पहली बार कर्नाटक में बीजेपी की सरकार के रूप में कमल खिलाने वाले नायक बने थे. और अब 2018 में उन्होंने एक बार फिर बीजेपी की सत्ता में वापसी लगभग सुनिश्चित कर दी है. मालूम हो कि पांच साल पहले 2013 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी के लिए यही येदियुरप्पा खलनायक बन गए थे.

Advertisement

2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतरी. उन्होंने राज्य में दूसरी बार कमल खिलाने के लिए जमकर मेहनत की.

येदियुरप्पा अपनी पुरानी परंपरागत शिकारीपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे. ये लिंगायत बहुल सीट मानी जाती है. येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं. कांग्रेस ने उनके खिलाफ जीबी मालतेश को उतारा है. वहीं जेडीएस ने एचटी बालिगर पर दांव लगाया है.

बीएस येदियुरप्पा 75 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. उनका जन्म 27 फरवरी 1943 को राज्य के मांड्या जिले के बुकानाकेरे में सिद्धलिंगप्पा और पुत्तथयम्मा के घर हुआ था. चार साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया था. 

सियासी सफर

येदियुरप्पा राज्य के सबसे प्रभावी लिंगायत समुदाय से आते हैं. 1972 में उन्हें शिकारीपुरा तालुका जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. 1977 में जनता पार्टी के सचिव पद पर काबिज होने के साथ ही राजनीति में उनका कद और बढ़ गया.

पहली बार बने MLA

उनके वास्तविक राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में हुई जब वह पहली बार विधानसभा पहुंचे और तब से अब तक 7 बार शिकारीपुरा से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. वो तीसरी बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

Advertisement

पहली बार 7 दिन के लिए CM बने

येदियुरप्पा की बदौलत बीजेपी ने 2008 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की थी. हमेशा सफेद सफारी सूट में नजर आने वाले येदियुरप्पा नवम्बर 2007 में जनता दल (एस) के साथ गठबंधन सरकार गिरने से पहले भी 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे थे.

ऑपरेशन लोटस अभियान से 2008 में कमल खिला

येदियुरप्पा ने कर्नाटक में 'ऑपरेशन लोटस' अभियान चलाया था. इस अभियान के जरिए बीजेपी ने राज्य में कमल खिलाने की बात कही थी. इसके लिए बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को बीजेपी की नीतियों की बात करते थे. कमल को हिंदुत्व के प्रतीक के तौर पर भी पेश किया था. बीजेपी 'ऑपरेशन लोटस'  दम पर ही 2008 में 224 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी बहुमत हासिल करने में सफल रही थी, लेकिन खनन क्षेत्र से जुड़े प्रभावशाली रेड्डी बंधु जनार्दन और करुणाकर उनके लिए परेशानी का सबब बने रहे.

संकटों भरा रहा सीएम कार्यकाल

कर्नाटक में बीजेपी के लिए कमल खिलाने वाले बीएस येदियुरप्पा के तीन साल 62 दिनों का कार्यकाल संकटों से भरा रहा. बताते चलें कि खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट येदियुरप्पा के गले की फांस बनी और उन्हें भ्रष्टाचार की वजह से अपनी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी. उन पर जमीन और अवैध खनन घोटाले के आरोप लगे थे. इसके बाद वो जेल गए और फिर रिहा हुए. इसके बाद उन्होंने बीजेपी से बगावत करके अपनी पार्टी का गठन किया.

Advertisement

एक बार फिर बीजेपी ने लगाया दांव

विधानसभा चुनाव 2008 में बीजेपी के साथ-साथ उन्हें भी करारी हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के बाद जनवरी 2013 में उनकी दोबारा बीजेपी में वापसी हुई. एक के बाद एक संकटों से उबरकर येदियुरप्पा ने खुद को पार्टी के अंदर राजनीतिक धुरंधर के रूप में साबित किया है. 2018 के चुनावी नतीजे इसकी शानदार गवाही देते हैं.

Advertisement
Advertisement