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लिंगायतों के गढ़ सेंट्रल कर्नाटक पर टिका है BJP की वापसी का दारोमदार

लोकसभा चुनाव के पैटर्न को विधानसभा के सीटों के लिहाज से देंखे तो बीजेपी करीब 18 सीटों पर नंबर एक पर रही. जबकि कांग्रेस 8 विधानसभा सीटों पर आगे रही. जेडीएस को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.

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बीएस येदियुरप्पा
बीएस येदियुरप्पा

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस ने चुनावी जंग जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. कर्नाटक की सत्ता में बीजेपी की वापसी का सारा दारोमदार सेंट्रल कर्नाटक इलाके पर है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा इसी क्षेत्र से आते हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी से येदियुरप्पा के बगावत का फायदा कांग्रेस ने उठाया था. अब जब येदियुरप्पा बीजेपी के खेवनहार बने हुए हैं, तो ऐसे में कांग्रेस के सामने पिछला रिकॉर्ड दोहराने की बड़ी चुनौती है.

कर्नाटक के बीचोबीच बसे इलाके को सेंट्रल कर्नाटक कहा जाता है. शिमोगा, दावणगेरे और चित्रदुर्गा जिले आते हैं. इस इलाके में 26 विधानसभा सीटें आती हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी जेडीएस ने 6 और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. वोट शेयर के मामले में बीजेपी को 18 फीसदी और येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी को 15 फीसदी वोट मिले थे.

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विधानसभा चुनाव के एक साल के बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जबर्दस्त वापसी की. बीजेपी की इस जीत में येदियुरप्पा की अहम भूमिका रही. लोकसभा चुनाव से पहले ही उनकी पार्टी में वापसी हुई, इसी का नतीजा था कि सेंट्रल कर्नाटक में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 46 फीसदी वोट हासिल किए और कांग्रेस को 37 फीसदी वोट मिले.

लोकसभा चुनाव के पैटर्न को विधानसभा के सीटों के लिहाज से देंखे तो बीजेपी करीब 18 सीटों पर नंबर एक पर रही. जबकि कांग्रेस 8 विधानसभा सीटों पर आगे रही. जेडीएस को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.

सेंट्रल कर्नाटक लिंगायत समुदाय बहुल माना जाता है. बीजेपी का मजबूत वोटबैंक माना जाता रहा है, लेकिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का बड़ा कदम उठाया है. इसी का नतीजा है कि लिंगायतों के कई मठ ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर रखा है.

बीजेपी येदियुरप्पा के चेहरे के सहारे पार्टी की सत्ता में वापसी की आस लगाए हुए है. वह शिमोगा के शिकारीपुरा विधानसभा से उम्मीदवार हैं. इस सीट के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में बीजेपी कमल खिलाने की जुगत में भी है.

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