कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आज रहे हैं. नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल के नतीजों ने त्रिशंकु विधानसभा के संकेत दिए. यही एग्जिट पोल चुनावी नतीजों में तब्दील हुए तो फिर जेडीएस ही नहीं बल्कि कई और भी ऐसे दल हैं, जो किंगमेकर की भूमिका में हो सकते हैं. इनमें बीएसपी से लेकर एनसीपी तक शामिल हैं.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस के साथ बसपा और एनसीपी गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरी थी. राज्य की कुल 224 सीटों से बीएसपी ने 18 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि एनसीपी ने 14 सीटों पर दांव लगाया है. बाकी सीटों पर जेडीएस ने अपने उम्मीदवार हैं.
कर्नाटक में 19 फीसदी अनुसूचित जाति हैं और 5.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति मतदाता है. राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों में से 36 सीटें अनुसूचित जाति और 15 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. हालांकि, इन 51 एससी-एसटी सीटों में से जेडीएस को 2008 में 2 और 2013 में 11 सीटें मिली थीं. इसी मद्देनजर जेडीएस ने बसपा के साथ गठबंधन किया है. इसके अलावा महाराष्ट्र के क्षेत्र से लगे इलाके में फायदे के लिए एनसीपी के साथ मैदान में थी.
कर्नाटक की कोलेगाला विधानसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार एन महेश मजबूत नजर आ रहे हैं. वे पिछले 25 साल से जीत के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्हें जीत की उम्मीद नजर आ रही है. कर्नाटक के जिस इलाके में रहते हैं, वहां यूपी के दलितों का एक बड़ा वोटबैंक है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों से महेश को चौथा, तीसरा और दूसरा स्थान मिल रहा था.
बसपा के 18 सीटों में से 11 दलित हैं और एन महेश उनमें से एक हैं. इसके साथ ही चार दलित, एक मराठा, एक कुरुबा (ओबीसी) और एक मुस्लिम को भी टिकट दिया है. हालांकि 1994 में बीएसपी कर्नाटक चुनाव बीदर से जीत हासिल कर चुकी है. ऐसे में इस बार जेडीएस के साथ मिलने से बसपा को कई सीटों पर जीत की उम्मीद नजर आ रही है. यही वजह रही कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने करीब 22 चुनावी रैलियां की है.
बसपा ने कर्नाटक में 2013 विधानसभा चुनाव में 175 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 174 की जमानत जब्त हो गई थी. लेकिन एन महेश वाली सीट पर पार्टी दूसरे नंबर थी. बसपा को 0.91 फीसदी वोट मिले थे. इतना ही नहीं बीएसपी उम्मीदवारों को 17 सीटों पर 14 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. यही वजह है कि मौजूद जेडीएस के गठबंधन से बसपा को अपनी जीत की उम्मीद नजर आ रही है. बसपा ऐसे में तीन से चार सीटें जीत जाती है और किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो फिर किंगमेकर की भूमिका आ सकती है.
कर्नाटक में एनसीपी का आधार महाराष्ट्र से लगे मुंबई कर्नाटक क्षेत्र में है. इस बार के चुनाव में एनसीपी जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी थी. एनसीपी ने 14 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. ये सभी प्रत्याशी मुंबई कर्नाटक क्षेत्र के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर थे. पार्टी के कई नेताओं ने जाकर वहां प्रचार किया है. ऐसे में एनसीपी भी एक से दो सीटों की जीत की आस लगाए हुए हैं.
हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने 24 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इनमें से सभी की जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को 0.06 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन इस बार जेडीएस के समर्थन से एनसीपी का खाता खुलता है, तो फिर किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है. बता दें कि पिछले चुनाव में मुंबई कर्नाटक क्षेत्र की कई सीटें थी, जहां जेडीएस उम्मीदवार 5 हजार से कम वोटों से हारे थे.