कांग्रेस ने कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में बैकसीट पर आना स्वीकार करके बीजेपी को हार का स्वाद चखा दिया है. इसकी रणनीति दिल्ली में बनी और उसे अमल में लाने के लिए कांग्रेस के रणनीतिकार एक्टिव हो गए. इन रणनीतिकारों में पार्टी महासचिव अशोक गहलोत भी शामिल थे जिन्होंने बीजेपी के लिए हार की कहानी तैयार की. राजस्थान के पूर्व सीएम गहलोत इससे पहले गुजरात में बीजेपी के लिए सिरदर्द पैदा कर चुके हैं.
कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन में जाने की बात कहने वाले सबसे पहले नेता अशोक गहलोत ही थे. कांग्रेस को कर्नाटक में अकेले दम पर सरकार बनाने की उम्मीद थी. लेकिन 15 मई को मतगणना से पहले जैसे ही कांग्रेस को अपने नंबर कम पड़ते लगे अशोक गहलोत मीडिया के सामने आए और उन्होंने कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक राजनीति में विकल्प खुले होने की बात कही और इशारा कर दिया कि कर्नाटक के राजनीतिक समीकरण अब कहां जाने वाले हैं.
दिल्ली में राहुल के साथ सीनियर नेताओं की बैठक में प्लान बना और उसे अमल में लाने के लिए गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत जैसे नेता कर्नाटक भेजे गए. उसके बाद विधायकों को बचाने और जेडीएस को पाले में लाने की कवायद शुरू हुई. जिसका नतीजा सबके सामने है. येदियुरप्पा और बीजेपी से कांग्रेस ने जिस तरह न सिर्फ अपने बल्कि निर्दलीय और जेडीएस के विधायकों तक को बचाकर रखा, वो बताता है कि इस बार पार्टी किस हद तक तैयारी के साथ मैदान में उतरी थी.
मोदी-शाह के गढ़ में दी थी उनको मात
गुजरात के प्रभारी रहते हुए अशोक गहलोत ने राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. तब भी गुजरात के कांग्रेसी विधायकों को बीजेपी से बचाने के लिए कर्नाटक के ईगलटन रिजॉर्ट में ही रखा गया था. उन्हें चुनाव से एक दिन पहले गुजरात लाया गया. बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अहमद पटेल को हराने के लिए पूरा जोर लगाया था, लेकिन आधी रात तक बने सस्पेंस के बाद आखिरकार जीत पटेल की ही हुई और गहलोत ने कांग्रेस नेतृत्व का भरोसा जीता.
गुजरात विधानसभा चुनावों में दिखाया था दम
अशोक गहलोत की रणनीतिक सफलता गुजरात विधानसभा चुनावों में सामने आई थी. चुनाव प्रचार से पहले कांग्रेस के 25-35 सीटों तक सिमटने की उम्मीद लगाई जा रही थी. लेकिन गहलोत ने राहुल गांधी को सॉफ्ट हिंदुत्व का मंत्र देकर सारे कयासों को गलत साबित कर दिया था. उनकी रणनीति का ही कमाल था कि बीजेपी 115 से 99 सीटों पर अटक गई थी और वह कांग्रेस को 61 से 77 सीटों पर ले आए थे.
कांग्रेस में ऐसे बढ़ा अशोक गहलोत का कद
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी होने के साथ ही अशोक गहलोत का ट्रैक रिकॉर्ड खासा सफल भी रहा है. मूल रूप से राजस्थान के गहलोत पहले सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया पर ही निशाना साधते दिखते थे. इन दिनों वह पीएम मोदी को उनकी नीतियों के खिलाफ घेरते हैं. कर्नाटक चुनाव के बाद मोदी के नेपाल के मंदिर में जाकर पूजा करने पर उन्होंने ही सवाल उठाए थे और कहा था कि मोदी को ऐसे अप्रत्यक्ष चुनाव प्रचार बंद करने चाहिए. राजस्थान के विधानसभा चुनाव उनकी अगली परीक्षा होगी.