कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे, लेकिन उससे पहले दलित को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के बयान को लेकर सियासत शुरू हो गई है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ''सिद्धारमैया से विचार करके कांग्रेस आलाकमान जो भी फैसला करेगा, मैं उसको स्वीकार कर लूंगा. इससे ज्यादा मैं इस मसले पर कुछ नहीं कहना चाहता हूं. मीडिया में बिना वजह इसको मुद्दा बनाकर हम लोगों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की जा रही है.''
सोमवार को कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा, ''कल भी मैंने कहा था कि दलित को मुख्यमंत्री बनाए जाने के सिद्धारमैया के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. इस बारे में कांग्रेस आलाकमान विधायक दल की बैठक में तय करेंगे. महज 12 घंटे में ही चीजें साफ हो जाएगी. इसके बाद हाईकमान जो तय करेंगा, वो हमको मंजूर है.''
दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह कहकर सियासी पारा गरमा दिया कि अगर किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो वो अपनी कुर्सी कुर्बान करने को तैयार हैं.
कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने और जरूरत पड़ने पर जनता दल (सेक्युलर) के साथ जाने व उसका समर्थन लेने के सवाल पर मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि 12 घंटे के अंदर सब कुछ साफ हो जाएगा. इससे पहले बहुमत को लेकर कोई सवाल नहीं है. हमको बहुमत मिलने की पूरी उम्मीद है. अगर किसी कारणवश बहुमत नहीं मिलता है, उस दशा में हम सोचेंगे कि क्या करना है? जो भी नतीजे आएगा, उसके हिसाब से कदम उठाया जाएगा. BJP तो पहले से ही दावा कर रही है कि उसको 150 सीटें मिल रही हैं.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को दोपहर 12:00 बजे के बाद चुनाव के रिजल्ट आ जाएंगे और सच्चाई का पता चल जाएगा. इसके बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान और विधायक मिलकर फैसला करेंगे.
मालूम हो कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मतदान के बाद कहा था कि अगर कांग्रेस दलित मुख्यमंत्री बनाना चाहती है, तो वह पीछे हट सकते हैं. उनके लिए रास्ता साफ कर सकते हैं. कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भी, वो दलित मुख्यमंत्री का समर्थन करने को तैयार हैं.
इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि वह दलित के तौर पर नहीं, बल्कि वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर मुख्यमंत्री पद को स्वीकार करने को तैयार है.
मालूम हो कि मल्लिकार्जुन खड़गे स्वच्छ छवि वाले नेता माने जाते हैं और नौ बार जीतकर विधायक बन चुके हैं. इसके अलावा दूसरी बार सांसद हैं. वो कर्नाटक की राजनीति में लंबा अनुभव रखने वाले नेता हैं. ऐसे में दलित सीएम के रूप में खड़गे सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.