कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का यूपी के कई राजनेता-विश्लेषक भी दम साधे इंतजार कर रहे हैं. सबकी जिज्ञासा इस बात में है कि अगर कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आई और जेडी (एस) ने कहीं बीजेपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे दिया, तो क्या होगा?
यह 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में एसपी-बीएसपी के बीच गठजोड़ के लिए एक परीक्षा साबित हो सकती है. खासकर समाजवादी पार्टी बेसब्री से नतीजों का इंतजार कर रही है.
असल में ज्यादातर एग्जिट पोल यह बता रहे हैं कि कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेकुलर किंगमेकर बन सकती है. कर्नाटक में जेडी (एस) ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठजोड़ किया है. तो अगर जेडी (एस) ने कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए बीजेपी का साथ दिया तो इस गठबंधन में बसपा भी रह सकती है.
खटाई में पड़ेगा गठबंधन!
तो ऐसे में यूपी में क्या होगा, जहां बीजेपी के विरोध में 2019 में सपा-बसपा के गठजोड़ बनने की चर्चा है. कुछ जानकारों का तो यही मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो यूपी में दोनों पार्टियों का गठबंधन खटाई में पड़ सकता है. अभी तक तो एसपी और बीएसपी, दोनों अपने को बीजेपी का धुर विरोधी मानते रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार अभी यूपी के दिग्गज सपा नेताओं को यह भरोसा है कि मायावती कर्नाटक में किसी संभावित बीजेपी-जेडी (एस) गठबंधन में शामिल नहीं होंगी, क्योंकि इससे उन्हें यूपी में बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने अखबार से कहा, 'यूपी बसपा का गढ़ है और यहां पार्टी की जिस तरह की मौजूदगी है, उससे कर्नाटक की तुलना नहीं की जा सकती. पार्टी को कर्नाटक से इतना राजनीतिक लाभ नहीं मिलने वाला कि वह यूपी की कीमत पर वहां गठबंधन करे.'
वैसे तो जेडी (एस) ने भी पहले यह दावा किया है कि वह दोनों राष्ट्रीय पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस में से किसी के साथ नहीं जाएगी.
वैसे कांग्रेस ने संभवत: जेडी (एस) को अपने पाले में करने के लिए ही दलित सीएम का पासा फेंका है. लेकिन यूपी में चीनी मिलों की बिक्री में कथित अनियमितता को लेकर सीबीआई ने सख्ती बरती है, जिसके बाद इस बात से भी नहीं इनकार किया जा सकता कि बसपा कर्नाटक में बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो जाए.