कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना के शुरुआती रुझानों में बीजेपी को 113, जबकि कांग्रेस को 67 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है. जेडीएस को 40 सीटों पर बढ़त है. बीजेपी कर्नाटक चुनाव में बहुमत की ओर बढ़ रही है. ऐसे में विशेषज्ञों की राय में यह चुनाव बीजेपी के लिए 2019 की राह आसान बनाने में काफी सहायक सिद्ध होगा.
मोदी मैजिक और येदियुरप्पा के लिंगायत कार्ड के जरिए बीजेपी ने कर्नाटक में दांव लगाया था. बीजेपी के लिए कर्नाटक की जीत कई मायनों में बहुत जरूरी है. इन नतीजों के पार्टी के लिए दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. पढ़ें.
1. मिशन 2019 के आगाज के लिए अहम
कर्नाटक चुनाव नतीजों से पहले ही बीजेपी ने मिशन 2019 की तैयारियां शुरू कर दी थी. पार्टी ने कांग्रेस के 48 साल बनाम बीजेपी के 48 महीने का नारा दिया. गुजरात के मुश्किल लेकिन विजयी मुकाबले के बाद कर्नाटक की जीत बीजेपी के लिए 2019 से पहले किसी सेमीफाइनल से कम नहीं होगी. आने वाले समय में बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी उतरना है. कर्नाटक के नतीजे यहां भी असर डालेंगे. पीएम मोदी ने कर्नाटक के कार्यकर्ताओं के लिए ‘पोलिंग बूथ जीतो और चुनावी जीत तय’ का मंत्र दिया था. इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट के लिए यूपी की तरह अमित शाह ने कर्नाटक में भी पन्ना प्रमुखों का प्रयोग आजमाया.
2. ब्रांड मोदी पर फिर जोर
कर्नाटक जीतने से बीजेपी का गुजरात मॉडल कांग्रेस के कर्नाटक मॉडल के सामने मजबूत साबित होगा. 2014 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत के बाद ब्रांड मोदी का सफल अभियान लगातार जारी रहा. 20 राज्यों में बीजेपी और सहयोगी दलों की सरकारें हैं. बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में वाम गढ़ पर कब्जा कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. अब ब्रांड मोदी की परीक्षा कर्नाटक में है. कर्नाटक में बीजेपी का दांव येदियुरप्पा से ज्यादा मोदी मैजिक पर था, जबकि कांग्रेस केंद्रीय नेताओं की जगह सिद्धारमैया कार्ड पर ज्यादा निर्भर थी.
गुजरात चुनाव के समय से कांग्रेस हमलावर है और बीजेपी तमाम मुद्दों पर घिरी हुई. कर्नाटक में कांग्रेस और ज्यादा मुखर हुई क्योंकि इस बार वह अपने दुर्ग में लड़ाई लड़ रही थी. राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर मोदी सरकार की नीतियों को निशाना बना रहे थे और बीजेपी सिर्फ बचाव और जवाबी मुद्रा में दिख रही थी. कर्नाटक में जीत 2019 के चुनावी रण से पहले बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हो सकती है. किसानों-दलितों के मुद्दों, रोजगार और विकास के गुजरात मॉडल को लेकर पार्टी तब और मुखर तरीके से विपक्ष का सामना कर पाएगी. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊपर होगा.
4. दक्षिण भारत पर बीजेपी-संघ की नजर
2008 के चुनाव में येदियुरप्पा के चेहरे को आगे कर बीजेपी ने कर्नाटक का रण जीत दक्षिण भारत में खाता खोला था. इस बार फिर येदियुरप्पा का चेहरा पार्टी ने आगे किया. इस बार येदियुरप्पा कार्ड के साथ मोदी मैजिक का भी जोर था. संघ और बीजेपी ने 2019 के मद्देनजर संगठन के स्तर पर दक्षिण भारत में पिछले कुछ सालों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है. अमित शाह का मिशन 120 उन दक्षिणी और पूर्वोत्तर के राज्यों की सीटों पर ही केंद्रित है जहां बीजेपी 2014 में जीत हासिल नहीं कर सकी थी लेकिन संभावनाएं अच्छी बनी थी. कर्नाटक का चुनाव इस रणनीति का भविष्य तय करेगा. इसके बाद बीजेपी तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना-हैदराबाद पर फोकस कर सकेगी.
5. कांग्रेस मुक्त भारत का नारा और बुलंद होगा
बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के लिहाज से कर्नाटक के नतीजे काफी अहम हैं. पंजाब के अलावा कर्नाटक कांग्रेस के पास एक मजबूत गढ़ है. कर्नाटक के नतीजों के असर दूरगामी हो सकते हैं. जीतने पर बीजेपी आगामी विधानसभा चुनावों में और 2019 के चुनावी अभियान में पूरे मनोबल के साथ उतरेगी. तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज होगी और विपक्षी फूट का फायदा उठाने की रणनीति पर बीजेपी काम करेगी.