2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक और राज्य कांग्रेस के हाथ से जाता दिखाई दे रहा है. 113 सीटों पर बढ़त के साथ बीजेपी कर्नाटक चुनाव में बहुमत की ओर बढ़ रही है. वहीं कांग्रेस की बढ़त 68 सीटों तक रह गई है.
आपको बता दें कि कर्नाटक का जनादेश देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए ये काफी अहम है. पंजाब के बाद कर्नाटक देश में कांग्रेस का दूसरा सबसे बड़ा गढ़ बचा हुआ था. यहां कांग्रेस जीती तो 2019 के चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी अपनी दावेदारी मजबूती से पेश कर सकेंगे. कर्नाटक में जीत या हार से कांग्रेस के लिए क्या स्थितियां उत्पन्न होंगी. ऐसे में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस का पीछे होना राहुल गांधी के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पढ़ें.
चुनाव रुझानों में कांग्रेस पीछे चल रही है, जानें कांग्रेस की हार से पार्टी के लिए कैसे मुश्किल हो जाएगी 2019 की राह:
1. एक बड़ा सियासी दुर्ग हाथ से निकलेगा
कांग्रेस अगर कर्नाटक का चुनाव हार जाती है तो इससे उसका एक बड़ा सियासी दुर्ग छिन जाएगा. इसके बाद कांग्रेस के पास सिर्फ पंजाब का बड़ा किला बचेगा. 2019 से पहले पार्टी के लिए ये बड़ा झटका साबित हो सकता है. इसलिए कांग्रेस के लिए कर्नाटक चुनाव जीतना बेहद जरूरी है.
2. 2019 से पहले ब्रांड राहुल को बड़ा झटका लगेगा
ब्रांड मोदी के मुकाबले ब्रांड राहुल को खड़ा करने की कांग्रेस की रणनीति के लिहाज से कर्नाटक के नतीजे काफी अहम हैं. चुनाव में हार से विपक्ष में फूट की संभावना बढ़ जाएगी. तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज होगी और इससे सीधा फायदा बीजेपी को पहुंचेगा.
3. कर्नाटक मॉडल फेल साबित हो जाएगा
कर्नाटक अगर कांग्रेस के हाथ से निकला तो मोदी के गुजरात मॉडल के मुकाबले कांग्रेस का कर्नाटक मॉडल कमजोर साबित होगा. कांग्रेस कर्नाटक में पिछले 5 साल से सत्ता में थी. वहां के काम के दावों और नीतियों का प्रचार पार्टी ने खूब किया. यहां तक कि पार्टी के रणनीतिकार गुजरात मॉडल के सामने अपने कर्नाटक मॉडल की चर्चा लगातार कर रहे थे.
बीजेपी का दांव जहां येदियुरप्पा से ज्यादा मोदी मैजिक पर था वहीं कांग्रेस केंद्रीय नेताओं की जगह सिद्धारमैया कार्ड पर ज्यादा निर्भर थी. साथ ही राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व की एक और प्रयोगशाला भी कर्नाटक बना. अगर ये प्रयोग सफल नहीं होता है तो पार्टी के सामने मुश्किलें बढ़ेंगी.
4. गठबंधन को लेकर बातचीत में स्थिति कमजोर होगी
कांग्रेस के कर्नाटक चुनाव हारने पर 2019 के लिए सहयोगी दलों के साथ बातचीत में स्थिति कमजोर होगी. वैसे भी सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, आरजेडी ये सब ऐसे दल हैं, जिनकी अपने-अपने राज्यों में जबरदस्त पकड़ है. कर्नाटक हारने से कांग्रेस की बार्गेनिंग कैपेसिटी कम होगी.
5. दक्षिण भारत में भी ब्रांड मोदी की चुनौती बढ़ जाएगी
मोदी मैजिक के दम पर बीजेपी ज्यादात्तर हिंदी भाषी राज्यों की सत्ता पर काबिज है, लेकिन गैर हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस की स्थिति अब भी मजबूत है. 2014 के चुनाव में जब कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई थी, तब भी कांग्रेस को 33 सीटें दक्षिण भारत और बाकी गैर हिंदी भाषी राज्यों से ही मिली थीं.
कर्नाटक में कांग्रेस के हारने से बीजेपी के लिए दक्षिणी राज्यों में संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे. तेलंगाना, हैदराबाद, तमिलनाडु, केरल जैसे कांग्रेस के मजबूत गढ़ों में बीजेपी अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुट जाएगी.