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कर्नाटक में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी बीजेपी, लेकिन किसी को भी बहुमत नहीं

जेडीएस ने कांग्रेस के समर्थन के सहारे राज्यपाल वजुभाई वाला के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. इधर बीजेपी भी राज्यपाल के पास पहुंच गई है. बीएस येदियुरप्पा ने बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 48 घंटे का समय मांगा है. खबरों के मुताबिक राज्यपाल ने येदियुरप्पा को 17 मई का समय दिया है.

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.

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कर्नाटक का जनादेश आ गया है. विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर उभरी है. हालांकि सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई नंबर से ठीक पहले बीजेपी का विजय रथ रुक गया. कांग्रेस दूसरे नंबर पर और जेडीएस तीसरे नंबर पर आई है. ऐसे में राज्य में साफ तौर पर त्रिशंकु विधानसभा की तस्वीर सामने आई है.

हालांकि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिला लिया है. कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. जेडीएस ने कांग्रेस के समर्थन के सहारे राज्यपाल वजुभाई वाला के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. इधर बीजेपी भी राज्यपाल के पास पहुंच गई है. बीएस येदियुरप्पा ने बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 48 घंटे का समय मांगा है. खबरों के मुताबिक राज्यपाल ने येदियुरप्पा को 17 मई का समय दिया है.

रात नौ बजे तक आए परिणामों के मुताबिक 222 में से बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई है. दूसरे नंबर पर 78 सीटों के साथ कांग्रेस है, जबकि जेडीएस 37 सीटें जीतने में सफल हुई है. इससे पहले शाम को येदियुरप्पा के बाद जेडीएस नेता कुमारस्वामी राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे. उनके सपोर्ट में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया भी राजभवन पहुंचे थे. दोनों ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सरकार बनाने का दावा किया.

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चुनाव परिणाम के बाद शाम को सिद्धारमैया इस्तीफा देने राज्यपाल भवन अपने साथी नेताओं के साथ पहुंचे. कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव ने देवगौड़ा से मुलाकात की और उन्हें समर्थन पत्र सौंपा. इसके अलावा समर्थन का एक पत्र राज्यपाल को भी सौंपा गया है.

इधर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जेडी(एस) के वरिष्ठ नेता एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात की. साथ ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी देवगौड़ा को फोन कर बधाई दी और कहा कि उम्मीद है कि जेडीएस कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाएगी.

बीजेपी के संपर्क में हैं जेडीएस के 5 विधायक

सूत्रों के मुताबिक जेडीएस के 5 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. बीजेपी आलाकमान को उम्मीद है कि सबसे बड़ी पार्टी के नाते राज्यपाल बीजेपी को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे. राज्यपाल येदियुरप्पा को शपथ के लिए 17 मई का समय दे सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक दो सीटों पर चुनाव जीते कुमारस्वामी पर बीजेपी एक सीट से जल्दी-जल्दी इस्तीफा देने का दबाव बनाएगी. साथ ही इस मामले को राज्यपाल सामने भी रखेगी कि विश्वास मत से पहले कुमारस्वामी दो जीती हुई सीटों में से एक से इस्तीफा दें. ऐसे में यह भी जानकारी निकलकर आ रही है कि जेडीएस अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए बेंगलुरु के बाहर भी ले जा सकती है.

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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के लिंगायत विधायक भी बीजेपी के संपर्क में हैं. अगर कांग्रेस कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन करती हैं, तो कांग्रेस के लिंगायत विधायक विश्वास मत पर गैरहाजिर रह सकते हैं.

बीजेपी की ओर से भी मोर्चाबंदी

हालांकि भाजपा भी कर्नाटक को आसानी से अपने हाथ से निकलने नहीं देगी. भाजपा की ओर से भी राज्य में मोर्चेबंदी शुरू कर दी गई है. कई कद्दावर नेता पहले से राज्य में मौजूद हैं और धर्मेंद्र प्रधान, जेपी नड्डा, प्रकाश जावड़ेकर जैसे नेता भी बेंगलुरु पहुंच गए हैं.

कर्नाटक का चुनाव दरअसल दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. अभी तक के रुझानों और परिणामों को देखते हुए किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नज़र नहीं आ रहा है.

ऐसा लग रहा है कि जेडीएस की मदद के बिना कोई भी सरकार बनाने की स्थिति में फिलहाल नहीं है.

भाजपा भले ही कुछ देर पहले तक जश्न में डूबी नज़र आ रही थी, लेकिन अब दोनों ही दलों का सारा ध्यान सरकार बनाने की कोशिशों पर है और तब तक के लिए जश्न की गुंजाइशें भी थमती नज़र आ रही हैं.

जनादेश पर दांव

मंगलवार की दोपहर सिद्धारमैया के साथ बाहर से आए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारी फोन पर देवगौड़ा और कुमारस्वामी के साथ बात हुई है और उन्होंने सैद्धांतिक समर्थन पर सहमति जताई है. जेडी(एस) सरकार का नेतृत्व करेगी और दोनों पार्टियां एक साथ राज्यपाल से मुलाकात करेंगी.

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सिद्धारमैया ने कहा कि हम जेडीएस को बाहर से समर्थन देंगे. बता दें कि सिद्धारमैया सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे डीके शिवकुमार ने मुलबगल से निर्दलीय विधायक एच. नागेश को समर्थन किया है, जिसके बाद नागेश कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार हो गए हैं.

इससे पहले बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कर्नाटक में मौजूद गुलाम नबी आजाद से बात की और जनता दल (एस) के नेता कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए देवगौड़ा से बात करने को कहा.

दिल्ली से संकेत आते ही बेंगलुरु स्थित मुख्यमंत्री आवास एक तरह से वॉर रूम में बदल गया. कांग्रेस ने जेडीएस के साथ बातचीत को लेकर अपने सभी दरवाजे खोल दिए. पार्टी की कोशिश जेडी(एस) को यह बताने की थी कि कांग्रेस उसके लिए किसी भी परिस्थिति में एक बेहतर विकल्प होगी.

जेडीएस का फायदा

भले ही राज्य विधानसभा चुनाव में जेडीएस तीसरे पायदान पर खड़ी नजर आती है लेकिन अब वो किंगमेकर से खुद किंग बनने की भी स्थिति में है. कुमारस्वामी के लिए कांग्रेस के साथ जाकर खुद मुख्यमंत्री बनना और सरकार बनाना ज्यादा फायदे का सौदा होगा. ऐसे में 2019 के लिए भी खुद के लिए संभावनाएं देख रहे हैं.

ताज़ा रुझान और नतीजे

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बता दें कि बीजेपी को 104 सीटों पर बढ़त है. उधर कांग्रेस को 78 सीटों पर बढ़त हासिल है. चुनाव की तीसरी प्रमुख पार्टी जेडी(एस) को भी 38 सीटों पर बढ़त हासिल है.

चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक रात साढ़े नौ बजे तक बीजेपी ने 103 सीटों पर जीत हासिल कर ली है. वहीं कांग्रेस को 78 सीटों पर विजय मिली है. इसके अलावा जेडी(एस) ने 37 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कर्नाटक प्रज्ञयवंथा जनता पार्टी (KPJP) ने 1-1 सीट पर जीत हासिल की है. 224 सीटों वाली राज्य विधानसभा की 222 सीटों पर पड़े मतों की गिनती मंगलवार सुबह 8 बजे से शुरू हुई थी.

कांग्रेस का अहंकार

सबसे दिलचस्प बात यह है कि अभी तक चुनाव आयोग की ओर से जारी आकड़ों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी को भारतीय जनता पार्टी से ज़्यादा वोट मिले हैं. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच 20 सीटों से ज्यादा का अंतर नजर आ रहा है. जेडीएस को मिल रही बढ़त के बाद अब राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस को उसका अहंकार ले डूबा. अगर कांग्रेस पार्टी जेडीएस और बसपा जैसे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी होती तो शायद जनादेश की तस्वीर बिल्कुल अलग होती और भाजपा वहां दिखाई दे रही होती जहां अब कांग्रेस खड़ी होने को मजबूर है.

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कांग्रेस के लिए कर्नाटक में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला तो भारी पड़ा ही. साथ ही इससे केंद्रीय स्तर पर एक संगठित विपक्ष का मोर्चा बनाने की कोशिशों को भी धक्का लगा है. अन्य विपक्षी दल अब इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी को घेरने से नहीं चूकेंगे.

कुछ अहम नतीजे

अबतक के नतीजों में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से हार गए हैं, जबकि बदामी सीट पर उन्होंने 1600 वोटों के साथ जीत हासिल की है. वहीं जनता दल (एस) के कुमारस्वामी ने अपनी दोनों सीटें जीत ली हैं, देवगौड़ा के दूसरे बेटे एचडी रमन्ना भी विजयी रहे हैं.

सिद्धारमैया के बेटे डॉ. यतीन्द्र ने वरुणा विधानसभा सीट 50 हजार वोटों के अंतर से जीत ली है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा को शिकारीपुरा सीट पर 35 हजार 397 वोटों से जीत मिली है.

दोपहर तक पार्टी के बहुमत के करीब पहुंचते ही बीजेपी मुख्यालयों में जश्न शुरू हो गया. लेकिन बहुमत से कुछ दूरी पर ही ठिठक जाने पर जश्न ज्यादा लंबा नहीं चल सका.

भले ही चुनाव दक्षिण भारत के इस राज्य में हैं, लेकिन पूरे उत्तर भारत सहित देश भर की नज़र इस पर है. यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था और इसमें भाजपा ने सफलता का स्वाद चखा है.

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इस विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां सिद्धारमैया और बीएस येदियुरप्पा के बीच कुर्सी की लड़ाई थी, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ी हुई है.

राज्य में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और नई सरकार के लिए जनादेश का फैसला आज की मतगणना से होना है. विधानसभा के लिए गत शनिवार यानी 12 मई को मतदान हुआ था.

40 केंद्रों पर मतगणना

मतों की गणना का काम 40 केंद्रों पर सुबह आठ बजे शुरू हुआ. पार्टियों के प्रतिनिधियों के अलावा भारी तादाद में सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि मतगणना का काम सुचारु रूप से पूरा किया जा सके. 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा की आरआर नगर सीट पर चुनावी गड़बड़ी की शिकायत के चलते चुनाव आयोग ने मतदान स्थगित कर दिया गया था. वहीं जयनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार के निधन के चलते मतदान टाल दी गई थी.

12 मई को मतदान खत्‍म होने के बाद चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए 72.13 फीसदी मतदान हुआ है. 1952 के बाद इस चुनाव में मतदान प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा.

'अब तक का सबसे महंगा चुनाव'

कर्नाटक विधानसभा चुनाव राजनीतिक पार्टियों और उनके द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में देश में आयोजित ‘अब तक का सबसे महंगा’ विधानसभा चुनाव रहा.

यह सर्वेक्षण सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने किया है. इसके द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कर्नाटक चुनाव को ‘धन पीने वाला’ बताया है.

सीएमएस के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों द्वारा कर्नाटक चुनाव में 9,500-10,500 करोड़ रुपये के बीच धन खर्च किया गया. यह खर्चा राज्य में आयोजित पिछले विधानसभा चुनाव के खर्च से दोगुना है. सर्वेक्षण में बताया गया कि इसमें प्रधानमंत्री के अभियान में हुआ खर्च शामिल नहीं है.

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