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कर्नाटक: 22 साल बाद देवगौड़ा-वजुभाई फिर आमने सामने, लोग शेयर कर रहे कहानी

राममाधव के शेयर किए मैसेज के मुताबिक, 'वॉट्सऐप पर एक रोचक तथ्‍य मुझे मिला है. कांग्रेस के कर्म उसका पीछा करते हुए 22 साल बाद कर्नाटक आए हैं. ये बात 1996 की है जब गुजरात की बीजेपी सरकार को राज्‍यपाल कृष्‍णपाल सिंह की सिफारिश के बाद हटा दिया गया था.'

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राज्यपाल वजुभाई वाला-पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा
राज्यपाल वजुभाई वाला-पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा

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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आ गए, लेकिन किसी भी दल को स्‍पष्‍ट बहुमत न मिलने से यहां सरकार बनाने को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है. जहां एक ओर बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने की बात कह रही है. वहीं, कांग्रेस और जेडीएस भी अपनी दावेदारी पक्‍की करने में जुटी हैं.

खैर, इस खींचतान के बीच वॉट्सऐप पर एक मैसेज शेयर किया जा रहा है, जिसके मुताबिक 22 साल बाद पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और राज्यपाल वजुभाई वाला फिर से आमने सामने हैं. इस मैसेज को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने अपनी फेसबुक वॉल पर भी शेयर किया है.

राममाधव के शेयर किए मैसेज के मुताबिक, 'वॉट्सऐप पर एक रोचक तथ्‍य मुझे मिला है. कांग्रेस के कर्म उसका पीछा करते हुए 22 साल बाद कर्नाटक आए हैं. ये बात 1996 की है जब गुजरात की बीजेपी सरकार को राज्‍यपाल कृष्‍णपाल सिंह की सिफारिश के बाद हटा दिया गया था.'

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'उस वक्‍त गुजरात में बीजपी की सरकार थी. लेकिन बीजेपी नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. इसके बाद बीजेपी की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना पड़ा. इस दौरान विधानसभा में बहुत हंगाम हुआ. इस पर स्‍पीकर ने पूरे विपक्ष को एक दिन के लिए सस्‍पेंड कर दिया.'

'इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा को भंग करने की सिफारिश राष्‍ट्रपति से कर दी. राष्‍ट्रपति ने इस सिफारिश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से राय ली और विधानसभा भंग करने का आदेश दे दिया. 22 साल पहले ये फैसला देवगौड़ा ने लिया था. उस वक्‍तम वजुभाई वाला गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष थे. देवेगौड़ा के इस फैसले से बीजेपी को सत्ता गवानी पड़ी थी.'

एक बार फिर आमने सामने देवगौड़ा और वजुभाई

एक बार फिर कर्नाटक में ऐसी स्थिति बनी है कि देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी के पास मुख्यमंत्री बनने का मौका है. लेकिन इसका फैसला वजुभाई वाला को करना है. इस वजह से सोशल मीडिया में ऐसा कहा जा रहा कि 22 साल बाद कांग्रेस के कर्म उसका पीछा करते हुए कर्नाटक में आ गए हैं.

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