कर्नाटक चुनाव के नतीजों के दिन भारी उठापटक देखने को मिली. सुबह जहां बीजेपी कुर्सी पर काबिज होते दिख रही थी, वहीं दोपहर होते-होते कांग्रेस-जेडीएस भी कतार में लग गईं. शाम होते-होते गेंद राजनीतिक खेमे से निकलकर राज्यपाल के पाले में जा पहुंची है. घंटे दर घंटे बदलने वाले इस घटनाक्रम की शुरुआत में आंकड़े बीजेपी की ओर झुके नजर आए और वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी उभरी, बावजूद इसके बहुमत के आंकड़े से पिछड़ गई.
दूसरी ओर सत्ताधारी कांग्रेस को नतीजों में सीटों के मामले में काफी नुकसान हुआ और वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. शाम होते-होते कांग्रेस ने बिना शर्त के जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया और दोनों दलों ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है. बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा पहले ही राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके थे. तो जान लेते हैं आज कर्नाटक के कसे हुए नतीजों में दिनभर हुआ क्या था.
पल-पल बदली तस्वीर
सुबह जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस रुझानों में आगे-पीछे चल रही थीं. कभी कांग्रेस बाजी मार लेती तो कभी बीजेपी की सीटें बढ़ती दिखतीं. जेडीएस शुरुआत से ही नंबर तीन पर रहकर रुझानों में आगे बढ़ती रही.
बीजेपी की बढ़त धीरे-धीरे ज्यादा होती गई और तय होने लगा कि वह बीते चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करने जा रही है. कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा था और जेडीएस वहीं तीसरे स्थान पर काबिज थी. दोपहर तक बीजेपी 100 सीटों का आंकड़ा पार कर चुकी थी और यहां से 112 के जादुई आंकड़े को छूना काफी आसान दिख रहा था. कांग्रेस को इस वक्त 50 से 60 सीटों का नुकसान होता साफ दिख रहा था.
जीत से पहले BJP का जश्न
तस्वीर साफ होती उससे पहले ही बीजेपी नेताओं के जश्न की तस्वीरें आनी शुरू हो चुकी थीं. पार्टी नेताओं ने एक-दूसरे को बधाई देना भी शुरू कर दिया था, क्योंकि रुझानों में बीजेपी 120 से ज्यादा सीटें पाती दिख रही थी. कांग्रेस की हार तय मानी जा रही थी और उसका मुकबला अब तीसरे नंबर की पार्टी जेडीएस से था.
असल तस्वीर दोपहर बाद साफ हुई जब रुझान नतीजों में बदलने लगे. नतीजों से साफ हो गया कि कोई भी दल बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पा रहा है और जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में उभर रही है. जब जीत से आश्वस्त हो चुकी बीजेपी में जश्न का माहौल था तब कांग्रेस आलाकमान सरकार बनाने की कवायद में जुटी थी. एकाएक कांग्रेस की ओर से जेडीएस को बिना शर्त के समर्थन का ऐलान किया गया और जेडीएस नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने पर भी सहमती बनी.
किसी को नहीं मिला बहुमत
शाम होते-होते बीजेपी 104 सीटों पर सिमट गई और उसे अब भी बहुमत के लिए 8 सीटों की दरकार थी. साथ ही कांग्रेस के खाते में 78 सीटें आईं तो जेडीएस की झोली में भी निर्णायक 38 सीटें थी. अब ऐसे में बीजेपी के लिए अकेले सरकार बनाना मुश्किल था और कांग्रेस-जेडीएस की कुल 116 सीटें बहुमत के पार पहुंच रही थीं.
दोनों ही दलों में सरकार बनाने को लेकर मंथन शुरू हो चुका था. दिल्ली और बेंगलुरु की दूरी भी घट रही थी. कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत सुबह ही बेंगलुरु पहुंच चुके थे और बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार पहले से वहां मौजूद थे. दोनों ही दलों ने राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा, लेकिन तब राज्यपाल की ओर से अंतिम नतीजों तक इंतजार करने के लिए कहा गया. इस बीच शाम को बेंगलुरु के एक होटल में जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा के साथ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत दोनों पार्टी के नेताओं ने बैठक भी की है.
तस्वीर साफ हो जाने के बाद कांग्रेस के सिद्धारमैया ने पहले मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दिया. इसके बाद बीजेपी के येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. इसके ठीक बाद कुमारस्वामी और सिद्धारमैया ने भी गठबंधन को मिली सीटों के आधार पर सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने रखा.
राज्यपाल के पाले में गेंद
राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से फिलहाल कोई संकेत नहीं दिए गए हैं लेकिन माना जा रहा है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते वह बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देंगे. हालांकि मणिपुर और गोवा में चुनाव बाद बने गठबंधन के आधार पर अगर कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बनाने का न्योता दिया जाता है तो इन दोनों दलों को सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
इस बीच बीजेपी की ओर से सीएम उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने दावा कि है कि उन्हें राज्यपाल की ओर से बहुमत साबित करने के लिए 48 घंटों का वक्त दिया गया है. सूत्रों से यह भी पता चला है कि जेडीएस के 5-6 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. बहुमत के आंकड़े से दूर बीजेपी संख्याबल जुटाने के लिए विधायकों को अपने पाले में लेने की कोशिश भी कर रही है. जानकारी यह भी है कि कांग्रेस अपने विधायकों को गुजरात राज्यसभा चुनावों की तर्ज पर बेंगलुरु से बाहर भी भेज सकती है.
कर्नाटक में फिलहाल सरकार के गठन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है. राज्यपाल के निर्देश और बीजेपी की कोशिशों पर निर्भर करेगा कि राज्य में किसकी सरकार बनेगी. इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के पास सिर्फ इंतजार करने का विकल्प ही बचा है.