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BJP के लिए खतरे की घंटी भी बजा गए कर्नाटक के चुनाव नतीजे

कर्नाटक चुनाव के नतीजों से पहली नजर में तो ऐसा ही लगता है कि बीजेपी देश की सभी दिशाओं में अपना झंडा गाड़ने के बाद अब दक्ष‍िण पर कब्जे की ओर बढ़ रही है. लेकिन गहराई से विश्लेषण करें तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है.

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बीजेपी के लिए थोड़ी फीकी हो गई कर्नाटक की जीत
बीजेपी के लिए थोड़ी फीकी हो गई कर्नाटक की जीत

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कर्नाटक चुनाव के नतीजों से पहली नजर में तो ऐसा ही लगता है कि बीजेपी देश की सभी दिशाओं में अपना झंडा गाड़ने के बाद अब दक्ष‍िण पर कब्जे की ओर बढ़ रही है. लेकिन गहराई से विश्लेषण करें तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. इन चुनावों का एक बड़ा संदेश यह है कि बीजेपी के लिए 2019 की राह आसान नहीं है.

कर्नाटक के नतीजों से बीजेपी के उन नेताओं को थोड़ी राहत मिली है, जो मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर चिंता में थे. उन्हें लगता है कि अब बीजेपी के लिए माहौल थोड़ा सकारात्मक हुआ है और इससे 2019 का चुनाव भी आसान हो गया है. इन नतीजों से पार्टी नेताओं में उत्साह बढ़ा है और आगे राजस्थान, एमपी के चुनाव में उतरने के लिए उनमें नया आत्मविश्वास कायम हुआ है.

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बीजेपी अब वास्तव में एक अखिल भारतीय पार्टी हो गई है. हालांकि कर्नाटक की सफलता थोड़ी फीकी हो गई है. बहुमत के आंकड़े से दूर रहने की वजह से पार्टी को अब कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है, जो उसे सत्ता से दूर रखने की पूरी कोशिश में लग गए हैं. अगले कुछ दिनों में यह साफ हो जाएगा कि गेम ऑफ थ्रोन के इस देसी वर्जन में जीत किसकी होती है.

मंगलवार सुबह रुझान आते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था, लेकिन दोपहर तक जब ट्रेंड में थोड़ा बदलाव आया तो कार्यकर्ताओं-नेताओं में चुप्पी छा गई. बहुमत के आंकड़े से कुछ सीटें कम होने की वजह से जश्न फीका हो गया. कांग्रेस ने बिना किसी देरी के जेडी एस को समर्थन देने की घोषणा कर दी. वह तो कुमारस्वामी को सीएम बनाने के लिए भी तैयार हो गई.

तो इस तरह से बीजेपी को उसी के खेल से मात देने की कोशिश की जा रही है. मोदी-शाह की जोड़ी हार को रातोरात जीत में बदलने में माहिर है. लेकिन अब ऐसा लगता है कि कहानी पलट गई है. मोदी-शाह की जोड़ी के लिए कर्नाटक चुनाव का एक बड़ा संदेश है-विपक्ष समझदार हो गया है, वह उनकी अजेय दौड़ को रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.

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कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन बना तो राष्ट्रीय राजनीति में एक मोर्चा बनाने की संभावना मजबूत होगी. तो बीजेपी के लिए 2019 के चुनाव की राह इतनी आसान नहीं होगी.

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