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कर्नाटक में सियासी पेच, राज्यपाल के पास हैं ये 5 ऑप्शन

कांग्रेस ने जेडीएस के साथ सरकार बनाने का दावा किया है. तो वहीं सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली बीजेपी राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा पेश कर चुकी है. ऐसे में अब गेंद राज्यपाल के पाले में है और यह फैसला उन्हें ही लेना है कि किस पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए.

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कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला
कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला

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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद भी यह तय नहीं हो पा रहा है कि राज्य में अगली सरकार किस पार्टी की होगी. किसी भी दल को जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया है, जिसके बाद मामला पूरी तरफ फंस गया है.

एक तरफ सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस ने क्षेत्रीय दल जेडीएस को मदद देकर सरकार बनाने का दावा किया है. तो वहीं सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली बीजेपी राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा पेश कर चुकी है. ऐसे में अब गेंद राज्यपाल के पाले में है और यह फैसला उन्हें ही लेना है कि किस पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए.

इस पशोपेश की स्थिति में राज्यपाल के पास पांच विकल्प होने की चर्चा की जा रही है, जिनके आधार पर वो फैसला ले सकते हैं. ये हैं वो पांच विकल्प-

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पहला विकल्प: राज्यपाल के पास इस बात पर विचार करने का मौका होता है कि चुनाव से पहले गठित गठबंधन दलों को सरकार के लिए बुलाया जाए. लेकिन कर्नाटक में ऐसा नहीं है और कांग्रेस व जेडीएस ने नतीजे आने के बाद गठबंधन में सरकार बनाने का फैसला किया है. इसलिए राज्यपाल इस आधार पर दोनों दलों को बुलाने की स्थिति में नजर नहीं आते हैं.

दूसरा विकल्प: नतीजों के बाद जो पार्टी सबसे ज्यादा सीट प्राप्त करती है, वह राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा करती है, जिसके बाद राज्यपाल उस पर विचार करते हैं और पर्याप्त नंबर होने की स्थिति में बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं.

तीसरा विकल्प: चुनाव पश्चात बने गठबंधन को भी राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं. अगर नतीजों के बाद कुछ पार्टियों का गठबंधन हो जाए और वह सरकार बनाने का दावा पेश करे तो राज्यपाल उन्हें भी सरकार गठन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. कर्नाटक में फिलहाल यही समीकरण हैं.

चौथा विकल्प: अगर चुनाव के बाद गठबंधन करने वाले दल किसी और दल या निर्दलीय विधायकों के बाहरी समर्थन से भी सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं, तो राज्यपाल उन्हें भी सरकार गठित करने के लिए कह सकते हैं.

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पांचवां विकल्प: अगर किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक विधायक संख्या न हो तो इस परिस्थिति में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन के लिए कदम उठा सकते हैं.

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