रामलिंगा रेड्डी कर्नाटक की राजनीति में अपनी खास पहचान रखते हैं. प्रदेश में सिद्धारमैया की वर्तमान कांग्रेस सरकार में वह गृह मंत्री हैं. इससे पहले भी वह कई अन्य मंत्रालय को संभाल चुके हैं. पिछले 4 दशक से वह राजनीति में सक्रिय हैं. वह 6 बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे और इस बार उनके साथ-साथ उनकी बेटी भी चुनावी समर में किस्मत आजमा रही है.
नहीं लिया सरकारी बंगला
कांग्रेस के दिग्गज नेता रेड्डी बेहद सादगी से रहने वाले चंद नेताओं में शुमार किए जाते हैं. उन्होंने वीआईपी सुविधा भी नहीं ली. साथ ही उन्होंने सरकारी बंगला भी लेने से मना कर दिया. वह लक्कासांद्रा में अपने पैतृक निवास स्थान पर ही रहते हैं.
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1989 में पहली बार रामलिंगा रेड्डी जयनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने. इसके बाद वह इसी क्षेत्र से लगातार 3 बार और चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 1989 के बाद उन्होंने 1994, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल की.
जयनगर के बाद बीटीएम लेआउट
लगातार 4 बार विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने बीटीएम लेआउट विधानसभा क्षेत्र को अपना चुनावी क्षेत्र चुना. इस क्षेत्र से भी उन्हें जीत हासिल हुई और 2008 के बाद 2013 में भी जीते. 2013 की जीत इस लिहाज से बड़ी थी क्योंकि इनकी जीत का अंतर 49 हजार मतों से ज्यादा था.
कांग्रेस का यह कद्दावर नेता उन 3 शीर्ष नेताओं में शामिल है जिन्हें पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में नेताओं के बेटे-बेटियों को टिकट दिया है. रेड्डी के अलावा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और पूर्व केंद्रीय मंत्री केएच मुनियप्पा की बेटी को टिकट दिया गया है.
रेड्डी जिस जयनगर से लगातार 4 बार विधायक चुने गए थे, इस बार उसी सीट से उनकी बेटी सौम्या रेड्डी चुनाव लड़ रही हैं. कर्नाटक में अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलवाने के लिए दर्जनों नेताओं ने सिफारिश लगवाई थी, लेकिन 3 नेताओं के बच्चों को ही यह टिकट मिला.
बीटीएम लेआउट विधानसभा क्षेत्र से भी हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटे रेड्डी के सामने बीजेपी, जेडीएस और आप के उम्मीदवार हैं. लेकिन अपने अपार अनुभव के दम वह इन चुनौतियों से पार पाने में सक्षम हैं. बीजेपी ने यहां से लल्लेश रेड्डी उर्फ लालनाथ रेड्डी को टिकट दिया है.