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Viral Test: कर्नाटक का फर्जी चुनावी सर्वे, जानें कैसे पर्दे के पीछे छिप रहे हैं लोग

पेज पर चुनावी माहौल के हिसाब से बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का चुनाव चिन्ह लगा है. फेसबुक पर ये पेज मीडिया और न्यूज कंपनी होने का दावा करता है. इसके सात हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

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कर्नाटक में फर्जी चुनावी सर्वे का खेल
कर्नाटक में फर्जी चुनावी सर्वे का खेल

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कर्नाटक चुनाव की सरगर्मी पूरे जोर पर है. इसलिए ये स्वभाविक है कि लोग इस चुनाव से जुड़ी हर खबर में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं. अखबार, टीवी से लेकर सोशल मीडिया तक हर कोई कर्नाटक की हर खबर को पढ़ और देख रहा है. लोग ये जानना चाहते हैं कि क्या कांग्रेस अपना किला बचा पाएगी या फिर मोदी मैजिक के दम पर बीजेपी वहां भी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखेगी.

ऐसे में फेसबुक पर कर्नाटक इलेक्शन अपडेट्स नाम का एक पेज लोकप्रिय हो जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं है. क्योंकि ये पेज राज्य की सभी 224 सीटों के बारे में सटीक खबरें देने का दावा करता है.

पेज पर चुनावी माहौल के हिसाब से बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का चुनाव चिन्ह लगा है. फेसबुक पर ये पेज मीडिया और न्यूज कंपनी होने का दावा करता है. इसके सात हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.  2 अप्रैल को कर्नाटक इलेक्शन अपडेट्स के पेज पर एक अपोनियन पोल के हवाले से बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी की गई है.

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ओपिनियन पोल के मुताबिक, बीजेपी को 95, कांग्रेस को 85 और जेडीएस को 40 सीटें मिलने वाली हैं. ओपिनियन पोल में चौंकाने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के चामुंडेश्वरी और बादामी दोनों सीटों से हारने का अनुमान लगाया गया है. एक दिन के भीतर ही 2700 से ज्याद लोग इस खबर को लाइक कर चुके थे और ये 127 बार शेयर भी किया जा चुका था.

लेकिन गौर से देखने से पता चलता है कि ये सर्वे कराने वाली एजेंसी का नाम C Force है. हमें खोजने से भी इस नाम की कोई एजेंसी नहीं मिली. बात बिल्कुल साफ थी कि C Fore नाम की जानी- पहचानी एजेंसी के नाम को इस तरह से बदल कर इस्तेमाल किया गया है कि लोग धोखा खा जाएं. C Fore ने मार्च में कर्नाटक चुनाव का ओपिनियन पोल किया था. लेकिन उसका नतीजा ठीक उल्टा था. इसमें बीजेपी नहीं, बल्कि कांग्रेस को सबसे आगे बताया गया था.  सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 126 सीट, बीजेपी को 70 सीट और जेडीएस को 27 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया था.

देखें C Fore का असली सर्वे....

जब हमने C Fore के चीफ एक्सक्यूटिव प्रेमचंद पैलेटी से बात की तो उन्होंने कहा कि वो भी इस बात से हैरान हैं कि उनकी एजेंसी के नाम को तोड़-मरोड़ कर इस्तेमाल किया गया है.

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वायरल टेस्ट के लिए हमने इस खबर की और गहराई में जाकर सच्चाई का पता लगाने की ठानी. कर्नाटक इलेक्शन अपडेट्स के फेसबुक ने  http://bangalore-herald.com/  के पेज के हवाले से ये खबर छापी है और इसका लिंक भी दिया गया है. एक बार फिर ये धोखा देने के मकसद से चुना गया नाम लगता है जो डेक्कन हेराल्ड नाम के अखबार से मिलता जुलता है. bangalore herald नाम का कोई बड़ा अखबार या मीडिया हाउस नहीं है. जिस bangalore herald.com की खबर कर्नाटक इलेक्शन अपडेट्स ने अपने फेसबुक पेज पर डाली है उसपर जाकर देखें तो ये बात साफ हो जाती है कि वेबसाइट किस स्तर की है. न तो इसमें वेबसाइट चलाने वालों का कोई जिक्र है और न ही कोई नाम पता या फोन नंबर. यहां तक कि इसके नाम पर क्लिक करने से कोई होम पेज तक नहीं खुलता है, जैसा कि आम तौर पर होता है. यानी ये बेहद बचकानी तरीके से बनाई गई वेबसाइट लगती है.

हद तो ये है कि इस साइट के हवाले से ही कर्नाटक इलेक्शन अपडेट्स ने अब लगातार कर्नाटक के कुछ विधानसभा सीटों का रुझान भी दिखाना शुरू कर दिया है. इसके लिए बाकायदा मुहर लगाकर इसे सीडीएस का सर्वे बताया गया है. मसलन, बताया गया है कि रजनीनगर सीट से बीजेपी उम्मीदवार एस सुरेश की स्थिति कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले मजबूत  है क्योंकि सुरेश की छवि साफ सुथरी और विकास कराने वाले नेता की है.

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एक बार भी नाम ऐसा चुना गया है लोग चुनाव सर्वे कराने वाली एजेंसी CSDS के नाम से धाेखा खा जाएं. खोजने पर हमें चुनाव सर्वे कराने वाली  CSD नाम की कोई संस्था नहीं मिली.  

जब हमने इस वेबसाइट बनाने वालों के बारे में और जानकारी जुटाई तो पता चला कि साइट को सिर्फ एक महीने पहले 17 मार्च 2018 को GoDaddy.com, के जरिए अमेरिका में रजिस्टर कराया गया था. वेबसाइट का नाम बैंगलोर हेराल्ड है लेकिन वेबसाइट रजिस्टर कराते समय भारत का कोई नाम पता  या फोन नंबर नहीं दिया गया है. रजिस्टर करने वाले के पते के तौर पर अमेरिका के एरिजोना के Scottsdale शहर का जिक्र किया गया है. दरअसल अपनी पहचान छिपाने ले लिए  वेबसाइट चलाने वाले लोगों ने Domains by Proxy नाम के इंटरनेट कंपनी की सेवाएं ली हैं. इसके जरिए कोई भी वेबसाइट इससे पीछे के लोगों की पहचान छिपा सकती है और नाम पते ही जगह सिर्फ  Domains by Proxy कंपनी का नाम पता आता है.

वायलर टेस्ट में न सिर्फ खबर फर्जी साबित हुई कि बल्कि ये भी साबित हुआ कि कैसे फर्जी खबरें फैलाने में लगे लोग पर्दे के पीछे छिप कर काम कर रहे हैं. जानी मानी एजेंसियों के नाम बदल कर धोखा देने में लगे हैं.

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